मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) की हालत सबसे बदतर है। हमें विरासत में ही यह बदहाली मिली है। चार माह में प्रदेश को अच्छे दिन आने का अहसास होने लगेगा। यह बात केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने स्वीकारी और दावा किया कि दो साल में प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों को चकाचक कर देंगे। अपने विभागों के सौ दिन के कामकाज का ब्यौरा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश करते हुए उन्होंने बताया यूपीए सरकार के रहते मध्यप्रदेश के साथ अन्याय हुआ। एनएच 3, 7 और 12 चिंताजनक हालात में हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ 3-4 घंटे सड़कवार चर्चा हुई है। भूमि अध्ािग्रहण सहित कुछ मुद्दे हैं, जिनमें राज्य के सहयोग की दरकार होगी। 2012-13, 13-14 सहित सारे बैकलॉक पूरे किए जाएंगे। प्रदेश के साथ अन्याय अब नहीं होगा।
मप्र में सड़कों का हाल
4,709 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग में 2,368 किलोमीटर सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के हवाले है। लंबे समय तक 1,460 किलोमीटर सड़क का फैसला ही नहीं हो पाया था कि कौन देखेगा। सड़कें राज्य सरकार के तीखे प्रहारों के बाद अप्रैल 2012 में राज्य को लौटाई। दो-तीन साल से एनएचएआई रखरखाव ही नहीं कर रहा है। सड़कों के बुरे हाल और प्रदेश की छवि को देखते हुए सरकार ने 300 करोड़ रुपए लगाकर मरम्मत कराई।
वह राशि अभी तक केंद्र सरकार ने नहीं लौटाई है। एनएच 3 (ग्वालियर-देवास), 7 (रीवा-जबलपुर-लखनादौन), 59 (इंदौर-अहमदाबाद) और 75 (ग्वालियर-झांसी) की हालत खराब है। 86 (भोपाल-रायसेन-सांची) और 69 (औबेदुल्लागंज-बैतूल) का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। एनएचएआई की बेरुखी के चलते लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह केंद्र से एनएच 3 और 7 वापस लेने तक की मांग चुके हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ 3-4 घंटे सड़कवार चर्चा हुई है। भूमि अध्ािग्रहण सहित कुछ मुद्दे हैं, जिनमें राज्य के सहयोग की दरकार होगी। 2012-13, 13-14 सहित सारे बैकलॉक पूरे किए जाएंगे। प्रदेश के साथ अन्याय अब नहीं होगा।
मप्र में सड़कों का हाल
4,709 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग में 2,368 किलोमीटर सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के हवाले है। लंबे समय तक 1,460 किलोमीटर सड़क का फैसला ही नहीं हो पाया था कि कौन देखेगा। सड़कें राज्य सरकार के तीखे प्रहारों के बाद अप्रैल 2012 में राज्य को लौटाई। दो-तीन साल से एनएचएआई रखरखाव ही नहीं कर रहा है। सड़कों के बुरे हाल और प्रदेश की छवि को देखते हुए सरकार ने 300 करोड़ रुपए लगाकर मरम्मत कराई।
वह राशि अभी तक केंद्र सरकार ने नहीं लौटाई है। एनएच 3 (ग्वालियर-देवास), 7 (रीवा-जबलपुर-लखनादौन), 59 (इंदौर-अहमदाबाद) और 75 (ग्वालियर-झांसी) की हालत खराब है। 86 (भोपाल-रायसेन-सांची) और 69 (औबेदुल्लागंज-बैतूल) का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। एनएचएआई की बेरुखी के चलते लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह केंद्र से एनएच 3 और 7 वापस लेने तक की मांग चुके हैं।
Source: Chhattisgarh News and MP Hindi News
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