प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रहे हायर सेकंडरी स्कूलों में पढ़ने वाले विज्ञान के छात्रों को अब मोबाइल लैब के माध्यम से प्रैक्टिकल कराया जाएगा। छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं अनुसंधान परिषद (सीकॉस्ट) ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के लिए तीन अलग-अलग लैब तैयार किए गए हैें। मोबाइल लैब तैयार करने की जिम्मेदारी बिलासपुर की साइंस सेंटर नाम की संस्था को दी गई है।
बिलासपुर जिले से ही इसकी पायलटिंग अगले महीने से शुरू होगी। इसके परिणामों को देखने के बाद ऐसे ही मोबाइल लैब प्रदेश के सभी 27 जिलों के लिए तैयार किए जाएंगे। तीनों लैब में 11 वीं और 12 वीं के छात्रों की प्रैक्टिकल के लिए जरूरी उपकरण और साधन रहेंगे। जिला मुख्यालय से इन्हें ब्लॉक मुख्यालय में स्थित हायर सेकंडरी स्कूल में ले जाया जाएगा। आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे अपने ब्लॉक मुख्यालय में पहुंचकर विषय में दिए गए प्रैक्टिकल का अभ्यास कर सकेंगे।
प्रदेश के एक लाख छात्र-छात्राओं को होगा फायदा
मोबाइल लैब की योजना सफल रही तो इसका फायदा प्रदेश के 3000 से अधिक सरकारी हायर सेकंडरी स्कूलों में विज्ञान विषय लेकर पढ़ाई कर रहे एक लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को होगा। अभी अधिकांश स्कूलों में प्रैक्टिकल की सुविधा नहीं होने के कारण बच्चे हर साल प्रैक्टिकल से वंचित हैं। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में खुले हायरसेकंडरी स्कूलों में तो प्रैक्टिकल रूम की भी कमी है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने मोबाइल लेब में प्रैक्टिकल की सुविधा मुहैया कराने की योजना बनाई।
60 लाख में तैयार हुए तीन लैब
पायलटिंग के लिए विज्ञान विषय फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी के लिए तीनों मोबाइल लैब 60 लाख रुपए की लागत से तैयार किए गए हैं। प्रत्येक लैब की कीमत 20 लाख रुपए आई है। इन लैब के निर्माण और संचालन की जिम्मेदारी सीकॉस्ट ने बिलासपुर की संस्था साइंस सेंटर को दी है। साइंस सेंटर अगले एक साल तक बिलासपुर जिले में विकासखंड स्तर पर इनका संचालन करेगा। इस दौरान इनका स्टाफ स्कूलों में प्रैक्टिकल कराने में आने वाली परेशानियों और कमियों को भी नोट करेगा। संस्था के फीड बैक के आधार पर लैब में भविष्य में सुधार किए जाएंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग को सौंप देंगे
पायलटिंग के बाद लैब की कमियां दूूर की जाएंगी। इसके बाद स्कूली शिक्षा विभाग को सौंप दिया जाएगा। 27 जिलों में ऐसे ही यूनिट बनाकर संचालन और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भविष्य में स्कूल शिक्षा विभाग उठाएगा।
प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल की सुविधा नहीं मिल पाती है। मोबाइल लेब में तीनों विषयों केलिए अलग-अलग उपकरण और जरूरी सामान होंगे। बिलासपुर जिले में इसकी पायलटिंग होगी। लैब बनकर तैयार हैं। लोकार्पण के बाद इसका उपयोग शुरू होगा। इस साल बिलासपुर जिले के सभी ब्लॉक मुख्यालयों में इससे प्रैक्टिकल कराने के बाद आने वाले फीड बैक के हिसाब से लैब में सुधार कर भविष्य में इसे से सभी 27 जिलों के लिए शुरू किया जाएगा।
-एम ए हंबर्डे, निदेशक, सीकॉस्ट
बिलासपुर जिले से ही इसकी पायलटिंग अगले महीने से शुरू होगी। इसके परिणामों को देखने के बाद ऐसे ही मोबाइल लैब प्रदेश के सभी 27 जिलों के लिए तैयार किए जाएंगे। तीनों लैब में 11 वीं और 12 वीं के छात्रों की प्रैक्टिकल के लिए जरूरी उपकरण और साधन रहेंगे। जिला मुख्यालय से इन्हें ब्लॉक मुख्यालय में स्थित हायर सेकंडरी स्कूल में ले जाया जाएगा। आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे अपने ब्लॉक मुख्यालय में पहुंचकर विषय में दिए गए प्रैक्टिकल का अभ्यास कर सकेंगे।
प्रदेश के एक लाख छात्र-छात्राओं को होगा फायदा
मोबाइल लैब की योजना सफल रही तो इसका फायदा प्रदेश के 3000 से अधिक सरकारी हायर सेकंडरी स्कूलों में विज्ञान विषय लेकर पढ़ाई कर रहे एक लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को होगा। अभी अधिकांश स्कूलों में प्रैक्टिकल की सुविधा नहीं होने के कारण बच्चे हर साल प्रैक्टिकल से वंचित हैं। सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में खुले हायरसेकंडरी स्कूलों में तो प्रैक्टिकल रूम की भी कमी है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने मोबाइल लेब में प्रैक्टिकल की सुविधा मुहैया कराने की योजना बनाई।
60 लाख में तैयार हुए तीन लैब
पायलटिंग के लिए विज्ञान विषय फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी के लिए तीनों मोबाइल लैब 60 लाख रुपए की लागत से तैयार किए गए हैं। प्रत्येक लैब की कीमत 20 लाख रुपए आई है। इन लैब के निर्माण और संचालन की जिम्मेदारी सीकॉस्ट ने बिलासपुर की संस्था साइंस सेंटर को दी है। साइंस सेंटर अगले एक साल तक बिलासपुर जिले में विकासखंड स्तर पर इनका संचालन करेगा। इस दौरान इनका स्टाफ स्कूलों में प्रैक्टिकल कराने में आने वाली परेशानियों और कमियों को भी नोट करेगा। संस्था के फीड बैक के आधार पर लैब में भविष्य में सुधार किए जाएंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग को सौंप देंगे
पायलटिंग के बाद लैब की कमियां दूूर की जाएंगी। इसके बाद स्कूली शिक्षा विभाग को सौंप दिया जाएगा। 27 जिलों में ऐसे ही यूनिट बनाकर संचालन और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भविष्य में स्कूल शिक्षा विभाग उठाएगा।
प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल की सुविधा नहीं मिल पाती है। मोबाइल लेब में तीनों विषयों केलिए अलग-अलग उपकरण और जरूरी सामान होंगे। बिलासपुर जिले में इसकी पायलटिंग होगी। लैब बनकर तैयार हैं। लोकार्पण के बाद इसका उपयोग शुरू होगा। इस साल बिलासपुर जिले के सभी ब्लॉक मुख्यालयों में इससे प्रैक्टिकल कराने के बाद आने वाले फीड बैक के हिसाब से लैब में सुधार कर भविष्य में इसे से सभी 27 जिलों के लिए शुरू किया जाएगा।
-एम ए हंबर्डे, निदेशक, सीकॉस्ट
Source: MP Hindi News and Chhattisgarh Hindi News
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