पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा दलितों के लिए सौ साल तक आरक्षण देने की बात को स्वार्थ सिद्धि का षड्यंत्र बताया है। उन्होंने कहा कि यही संघ प्रमुख है जिन्होंने वर्ष 2010 में सार्वजनिक रूप से आरक्षण का विरोध करते हुए कहा था कि आरक्षण का आधार धर्म या जाति नहीं होना चाहिए।
केन्द्र की सत्ता में आते ही दलितों का वोट हासिल करने के लिए संघ परिवार के मुखिया के सुर बदल गए हैं। श्री जोगी ने कहा कि दलित इस कथन से चकित हैं और संघ के इस बयान के पीछे छुपे मकसद को भांप चुकी है। उन्होंने कहा कि दलितों के प्रति इतना ही प्रेम है तो श्री भागवत बताएं कि अभी तक आरएसएस के इतिहास में किसी भी दलित को सरसंघचालक क्यों नहीं बनाया गया।
श्री जोगी ने आरएसएस की बदलती सोच को रिझाने का पैंतरा बताया है, जिससे दलित भलीभांति परिचित हैं और इनके बहकावे में कदापि नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि आज भी देश में दलितों को कुछ वर्ग घृणा की दृष्टि से देखते हैं। दलितों का कुछ खास आराधना स्थलों में प्रवेश प्रतिबंधित है। भागवत को चाहिए कि सबसे पहले दलितों को समाज में सम्मान दिलाएं और दलितों से रोटी-बेटी का रिश्ता स्थापित कर उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाने की पहल करें। श्री जोगी ने कहा कि भागवत का कथन दिखावा मात्र है। दलितों को सम्मान दिलाना सभी देशवासियों का कर्तव्य है, क्योंकि देश का सेक्यूलर संविधान सभी वर्गों को हर क्षेत्र में बराबरी का हक देता है।
केन्द्र की सत्ता में आते ही दलितों का वोट हासिल करने के लिए संघ परिवार के मुखिया के सुर बदल गए हैं। श्री जोगी ने कहा कि दलित इस कथन से चकित हैं और संघ के इस बयान के पीछे छुपे मकसद को भांप चुकी है। उन्होंने कहा कि दलितों के प्रति इतना ही प्रेम है तो श्री भागवत बताएं कि अभी तक आरएसएस के इतिहास में किसी भी दलित को सरसंघचालक क्यों नहीं बनाया गया।
श्री जोगी ने आरएसएस की बदलती सोच को रिझाने का पैंतरा बताया है, जिससे दलित भलीभांति परिचित हैं और इनके बहकावे में कदापि नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि आज भी देश में दलितों को कुछ वर्ग घृणा की दृष्टि से देखते हैं। दलितों का कुछ खास आराधना स्थलों में प्रवेश प्रतिबंधित है। भागवत को चाहिए कि सबसे पहले दलितों को समाज में सम्मान दिलाएं और दलितों से रोटी-बेटी का रिश्ता स्थापित कर उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाने की पहल करें। श्री जोगी ने कहा कि भागवत का कथन दिखावा मात्र है। दलितों को सम्मान दिलाना सभी देशवासियों का कर्तव्य है, क्योंकि देश का सेक्यूलर संविधान सभी वर्गों को हर क्षेत्र में बराबरी का हक देता है।
Source: MP Hindi News and Chhattisgarh News
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