Thursday, 11 September 2014

Bilaspur high court ask chhattisgrah government what doing

राजधानी और न्यायधानी के अलावा समूचे प्रदेश में अव्यवस्था का आलम है। लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है। सड़कें खराब हैं, नालियां जाम हैं। कचरों का अंबार लगा हुआ है। लोगों को मौत के मुहाने पर खड़ा कर दिया गया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सरकारी कामकाज को लेकर तल्ख टिप्पणी की है।

सुनवाई के दौरान शासन की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल एडवोकेट जनरल को निर्देशित किया कि लोगों को बुनियादी सुविधा मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार क्या कर रही है। दो सप्ताह के भीतर कार्ययोजना का खुलासा करते हुए संपूर्ण रिपोर्ट पेश करने फरमान जारी किया है।

सफाई व्‍यवस्‍था चौपट होने से बताया खतरा

डिवीजन बेंच की तल्खी को लेकर प्रशासनिक अमलों में हड़कंप मच गया है। रायपुर नगर निगम में सफाई व्यवस्था के चौपट होने और इसके चलते मलेरिया, पीलिया, चिकनगुनिया जैसे संक्रामक रोग से लोगों की हो रही मौत को लेकर दायर जनहित याचिका पर डिवीजन बेंच में सुनवाई चल रही है। रायपुर निवासी श्रीमती ममता शर्मा ने वकील नरेंद्र चंदेल व अजय बारिक के जरिए जनहित याचिका दायर कर रायपुर नगर निगम की सफाई व्यवस्था के चौपट होने के कारण लोगों की जानमाल को खतरा होने का अंदेशा जाहिर किया है।

याचिका के अनुसार रायपुर नगर निगम ने एक आदेश जारी कर सालिड वेस्ट मैजनमेंट योजना के तहत शहर की सफाई व्यवस्था का काम किवार कंपनी को सौंप दिया है। इसके एवज में उसे लाखों रुपए का भुगतान किया जा रहा है। ठेका कंपनी व निगम प्रशासन के बीच आधिकारिकतौर पर अनुबंध भी कर लिया गया है। ठेका शर्तों के अनुसार शहर की सफाई व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी ठेका कंपनी को दे दी गई है।

लिहाजा शहर की साफ-सफाई, कचरों को उठाना तथा उसे एक निश्चित जगह पर डंप करने के अलावा नाले व नालियों की सफाई का काम भी ठेका कंपनी को करना है। सफाई के एवज में ठेका कंपनी को भारी-भरकम रकम देने के बाद भी निगम के आला अफसरों का उस पर नियंत्रण नहीं है। कंपनी के स्थानीय अधिकारी व कर्मचारी मनमानी पर उतर आए हैं।

संक्रामक रोगों से खतरा

शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है। कचरों के कारण नालियां बजबजा रही हैं । दुर्गंध के कारण लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। शहर की प्रमुख सड़कों व मोहल्लों की सफाई न होने के कारण कचरों का ढेर पड़ा हुआ है। इसके बीच से लोगों को आना-जाना पड़ रहा है। इसके चलते अब संक्रामक रोग का खतरा उत्पन्न हो गया है। निचली बस्ती इलाके में लोगों को संक्रामक रोग तेजी के साथ जकड़ रहा है। इससे लोगों के बीच जानमाल का खतरा उत्पन्न हो गया है।

संक्रामक रोगों से गईं लोगों की जान

साफ-सफाई के अभाव में निचली बस्ती इलाके में संक्रामक रोगों से सैकड़ों लोगों की जानें चली गईं। मलेरिया व पीलिया से मरने वालों की संख्या 200 पार कर गया है। वर्तमान में शहर की निचली बस्ती इलाके में मलेरिया, पीलिया व चिकनगुनिया का प्रकोप देखा जा सकता है। सफाई व्यवस्था के चौपट होने के अलावा निगम द्वारा प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य शिविर भी नहीं लगाया जा रहा है। चारों तरफ अव्यवस्था का आलम है।

दो सप्ताह में मांगी पूरी जानकारी

बुधवार 10 सितंबर को जस्टिस नवीन सिन्हा व जस्टिस प्रशांत मिश्रा की डिवीजन बेंच में जनहित याचिका की सुनवाई प्रारंभ हुई। वकीलों की दलीलों के बीच डिवीजन बेंच ने निगम व शासन की व्यवस्था को लेकर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि राजधानी से न्यायधानी से लेकर समूचे प्रदेश की यही स्थिति है। कोर्ट में शासन की ओर से पैरवी करने उपस्थित एडिशनल एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल भारत से डिवीजन बेंच ने पूछा कि सरकार का सिस्टम क्या है।

लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध क्यों नहीं कराई जा रही है। शहर की सड़कें खराब हैं। नालियां जाम हैं। साफ-सफाई नहीं हो रही है। पूरा सिस्टम क्यों इस तरह है। नाराज डिवीजन बेंच ने लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने सरकार की कार्ययोजना के संबंध में दो सप्ताह के भीतर संपूर्ण रिपोर्ट पेश करने निर्देश जारी किया है।

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