Friday, 5 September 2014

Butch Kmetiः government will not oppose bail in 81 cases

छत्तीसगढ़ की जेलों में बंद आदिवासियों के मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के लिए बनी बुच कमेटी की गुरुवार को बैठक हुई। इसमें आदिवासियों के 81 मामलों में सरकार की ओर से जमानत का विरोध नहीं करने की अनुशंसा की गई। बुच कमेटी की अध्यक्ष निर्मला बुच ने बताया कि सुबह दस बजे से शुरू हुई बैठक में 300 मामलों पर विचार किया गया। इसमें से 47 मामलों में पहले ही सरकार को जमानत का विरोध नहीं करने की अनुशंसा कर दी गई है।

निर्मला बुच ने बताया कि कमेटी की आठ बैठकों में 654 मामलों पर विचार किया गया। इनमें 292 मामलों में किसी प्रकार की अनुशंसा नहीं की गई। उन्होंने बताया कि कई मामलों में जमानत का विरोध नहीं करने की अनुशंसा के बाद भी जेल में बंद आदिवासियों ने जमानत नहीं ली है। कमेटी को बताया गया कि गरीबी और अन्य कारणों के कारण आदिवासी वकील करने में सक्षम नहीं हैं। कमेटी ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि गरीब आदिवासियों को वकील उपलब्ध कराने की पहल करे। इसके आलावा जो आरोपी जमानत का आवेदन नहीं देते हैं, उनको जेल से ही जमानत देने की व्यवस्था की गई है। बैठक में नारकोटिक्स से जुड़े कुछ मामले आए थे, जिन पर कमेटी ने विचार नहीं किया।

कितने आदिवासियों ने ली जमानत, कमेटी को पता नहीं

बुच कमेटी ने अब तक 306 मामलों में जमानत का विरोध नहीं करने की अनुशंसा की है। निर्मला बुच से जब यह सवाल किया गया कि इनमें से कितने आदिवासियों ने जमानत ली है? तो उन्होंने कहा कि अभी इसकी जानकारी नहीं है। अगली बैठक में यह जानकारी दी जाएगी कि कितने मामलों में जमानत ले ली गई है। निर्मला बुच ने बताया कि प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों में 7 फीसदी नक्सली हैं। कमेटी नक्सली और गैर नक्सली सभी मामलों की सुनवाई कर रही है।

दस साल पुराने मामले में की अनुशंसा

कमेटी ने दस साल पुराने हत्या के एक मामले में जमानत का विरोध नहीं करने की अनुशंसा की। अंबिकापुर की रहने वाली महिला हत्या के आरोप में जेल में बंद है। कमेटी से जब यह सवाल किया गया कि अनुशंसा का आधार क्या है, तो निर्मला बुच ने बताया कि पहली बैठक में पैमाने तय किए गए थे। इसमें आरोपी कब से जेल में बंद है। अपराध की स्थिति क्या है। आरोपी के परिवार, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति को देखते हुए निर्णय लिया जा रहा है। इसके लिए पहले जेल और कलेक्टर की अनुशंसा जरूरी है।

क्या कमेटी के कामकाज से संतुष्ट हैं?

निर्मला बुच से जब यह सवाल किया गया कि क्या वे कमेटी के कामकाज से संतुष्ट हैं, तो उन्होंने कहा कि वे संतुष्ट हैं। लेकिन जब यह सवाल किया गया कि कमेटी की गतिविधियां कागजों पर दिखाई देती हैं? तो इसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। जब उनसे सवाल किया गया कि क्या कमेटी बेहतर परिणाम दे पाई है? तो उन्होंने कहा कि लगातार आदिवासियों के मामलों की सुनवाई हो रही है।

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