आयकर विभाग और राज्य शासन ने अंग दान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने और अंग प्रत्यारोपण करने वाले अस्पतालों के चयन की प्रक्रिया आसान करने के लिए दो अहम कदम उठाए हैं। आयकर विभाग ने इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन को दिए गए दान को आयकर में छूट देने का ऐलान किया है। यह आदेश 1 अप्रैल 2014 से लागू माना जाएगा। इधर, राज्य शासन के स्वास्थ्य विभाग ने तय किया है कि अंग प्रत्यारोपण संबंधी अस्पतालों को मान्यता अब भोपाल के बजाय संबंधित मेडिकल कॉलेज के डीन ही दे सकेंगे।
आयकर विभाग ने आईटी एक्ट 1961 की धारा 80 (जी) के तहत सोसायटी को छूट के लिए रजिस्टर्ड कर लिया है। माना जा रहा है कि इससे सोसायटी को दान देने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होगा। संभागायुक्त संजय दुबे लंबे समय से इसके लिए कोशिश कर रहे थे। उन्होंने आयकर कमिश्नर सुनीता एस. नारायण द्वारा जारी अधिसूचना की पुष्टि करते हुए बताया कि 1 अप्रैल 2014 से अब तक सोसायटी को किए गए दान या भविष्य में किए जाने वाले दान को इस छूट का फायदा मिलेगा। इसमें आय सीमा संबंधी तमाम नियम और शर्तें लागू रहेंगी। इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन एमजी रोड स्थित मोती बंगला में स्थित है।
सोसायटी ही दे सकेगी रसीद
चार्टर्ड अकाउंटेंट विकास जैन के मुताबिक आयकर विभाग उन्हीं संस्थाओं को दिए गए दान की छूट देता है जो विभाग में रजिस्टर्ड हैं। दान के ऐवज में दाताओं को छूट संबंधी रसीद जारी करने की शक्ति मिल जाती है। अब यही शक्ति आयकर विभाग ने इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन को दे दी है। आयकर कमिश्नर को यह अधिकार रहता है कि वे संस्था को रजिस्टर्ड कर सकते हैं। छूट का फायदा संस्था को दान देने वाले हर भारतीय नागरिक को मिलेगा।
नहीं देखना पड़ेगा भोपाल का मुंह
अंग प्रत्यारोपण के मामले में राज्य सरकार ने भी एक कदम आगे बढ़ते हुए तय किया है कि संबंधित शहरों में मेडिकल कॉलेज के डीन ही उन अस्पतालों को मान्यता दे सकेंगे, जहां मानव शरीर के अंग निकालने और उनका प्रत्यारोपण हो सकता है। अभी तक इस महत्वपूर्ण काम के लिए भोपाल का मुंह देखना पड़ता था, जिसमें काफी वक्त जाया होता था। संभागायुक्त दुबे ने इस आशय का प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा था और अनुशंसा की थी कि प्रदेशभर के डीन को यह अधिकार दिया जाय। उनके प्रस्ताव को मानते हुए शासन ने इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी है। संभागायुक्त ने बताया कि अब इंदौर के अलावा ग्वालियर समेत अन्य मेडिकल कॉलेज के डीन को नया अधिकार मिल गया है।
परिजन के बीमा का काम बाकी
संभागायुक्त ने बताया कि अगले चरण में अंगदान करने वाले व्यक्ति के परिवार के लोगों का बीमा करने का लक्ष्य है। हालांकि अभी इसमें कुछ वक्त लगेगा। हम चाहते हैं कि अंगदान करने वाले व्यक्ति के परिजन को कम से कम पांच साल तक के बीमे की सुविधा मिले।
आयकर विभाग ने आईटी एक्ट 1961 की धारा 80 (जी) के तहत सोसायटी को छूट के लिए रजिस्टर्ड कर लिया है। माना जा रहा है कि इससे सोसायटी को दान देने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होगा। संभागायुक्त संजय दुबे लंबे समय से इसके लिए कोशिश कर रहे थे। उन्होंने आयकर कमिश्नर सुनीता एस. नारायण द्वारा जारी अधिसूचना की पुष्टि करते हुए बताया कि 1 अप्रैल 2014 से अब तक सोसायटी को किए गए दान या भविष्य में किए जाने वाले दान को इस छूट का फायदा मिलेगा। इसमें आय सीमा संबंधी तमाम नियम और शर्तें लागू रहेंगी। इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन एमजी रोड स्थित मोती बंगला में स्थित है।
सोसायटी ही दे सकेगी रसीद
चार्टर्ड अकाउंटेंट विकास जैन के मुताबिक आयकर विभाग उन्हीं संस्थाओं को दिए गए दान की छूट देता है जो विभाग में रजिस्टर्ड हैं। दान के ऐवज में दाताओं को छूट संबंधी रसीद जारी करने की शक्ति मिल जाती है। अब यही शक्ति आयकर विभाग ने इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन को दे दी है। आयकर कमिश्नर को यह अधिकार रहता है कि वे संस्था को रजिस्टर्ड कर सकते हैं। छूट का फायदा संस्था को दान देने वाले हर भारतीय नागरिक को मिलेगा।
नहीं देखना पड़ेगा भोपाल का मुंह
अंग प्रत्यारोपण के मामले में राज्य सरकार ने भी एक कदम आगे बढ़ते हुए तय किया है कि संबंधित शहरों में मेडिकल कॉलेज के डीन ही उन अस्पतालों को मान्यता दे सकेंगे, जहां मानव शरीर के अंग निकालने और उनका प्रत्यारोपण हो सकता है। अभी तक इस महत्वपूर्ण काम के लिए भोपाल का मुंह देखना पड़ता था, जिसमें काफी वक्त जाया होता था। संभागायुक्त दुबे ने इस आशय का प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भेजा था और अनुशंसा की थी कि प्रदेशभर के डीन को यह अधिकार दिया जाय। उनके प्रस्ताव को मानते हुए शासन ने इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी है। संभागायुक्त ने बताया कि अब इंदौर के अलावा ग्वालियर समेत अन्य मेडिकल कॉलेज के डीन को नया अधिकार मिल गया है।
परिजन के बीमा का काम बाकी
संभागायुक्त ने बताया कि अगले चरण में अंगदान करने वाले व्यक्ति के परिवार के लोगों का बीमा करने का लक्ष्य है। हालांकि अभी इसमें कुछ वक्त लगेगा। हम चाहते हैं कि अंगदान करने वाले व्यक्ति के परिजन को कम से कम पांच साल तक के बीमे की सुविधा मिले।
Source: MP Hindi News and Chhattisgarh News
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