नक्सल कॉरीडोर के रूप में पहचान रखने वाले बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, अनूपपुर, शहडोल, सीधी और सिंगरौली जैसे जिलों के 866 गांव अंधकार में हैं। ये स्थिति तब है जब केंद्र नक्सलवाद से निपटने प्रभावित जिलों में शत प्रतिशत विद्युतीकरण की गाइड लाइन बनाकर 24 घंटे बिजली पहुंचाने का प्रयास कर रही है। प्रभावित इलाकाें में नागरिक सुरक्षा और नक्सल गतिविधियों पर लगाम लगाने के लहजे से केंद्रीय गृह मंत्रालय भी राज्याें को चेताता आया है।
छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या चरम पर है और इससे सटे बालाघाट में प्रवेश के लिए नक्सलियों का एंट्री पाइंट माना जाता है। जानकर हैरानी होगी लेकिन बिना बिजली वाले ग्रामीण इलाकों की सूची में नक्सलियाें के एंट्री पाइंट माने जाने वाले बालाघाट जिले का नाम सबसे ऊपर है। यहां मुख्यालय से सटे 526 गांव ऐसे हैं जहां बिजली का इंतजार है। ये इलाके बैहर, बिरसा, लांजी, परसवाड़ा, किरनापुर, लाल बर्रा और वारासिवनी के पास हैं। गृहमंत्री बाबूलाल गौर का कहना है कि उनकी प्राथमिकता प्रभावित जिलाें में कानून व्यवस्था बनाए रखने की है।
महाकोशल के अन्य जिलों के हाल
सूची में दूसरे नंबर शहडोल है जहां 112 गांव विद्युतीकरण के नजरिए से अछूते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सूबे में अटल ज्योति अभियान की नींव लालकृष्ण आडवाणी के हाथाें रखवाई थी। ये घोषणा हुई थी कि संभाग के समस्त गांवाें में 24 घंटे बिजली दी जाएगी। बिना बिजली वाले गांवाें में मंडला के 78, डिंडोरी के 62, अनूपपुर 44, सीधी 26 और सिंगरौली के 18 गांव प्रभावित इलाकाें की सूची में शामिल हैं। इन इलाकों में 11 वीं पंचवर्षीय योजना के वक्त से विद्युतीकरण चल रहा है। काम बीच में छोड़कर जाने वाले और देर करने वाले ठेकेदारों पर सरकार अब तक 1 करोड़ 14 लाख 82 हजार 276 रुपए की पेनाल्टी लगा चुकी है।
जंगल में फोर्स तैनाती की तैयारी
गृह विभाग ने प्रभावित जिलाें के जंगली इलाकाें में हॉक और कोबरा फोर्स के जवानाें को तैनात करने की योजना बनाई है। इससे पहले जवान आबादी से सटे इलाकाें में बेस बनाकर रहते आए हैं। जंगली इलाकों में सुरक्षित आवास मुहैया कराने की दृष्टि से प्रदेश सरकार ने पुलिस मुख्यालय को 9.99 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। इसकी मदद से जंगली इलाकों में प्री-फैब्रीकेटेड स्ट्रक्चर तैयार किए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या चरम पर है और इससे सटे बालाघाट में प्रवेश के लिए नक्सलियों का एंट्री पाइंट माना जाता है। जानकर हैरानी होगी लेकिन बिना बिजली वाले ग्रामीण इलाकों की सूची में नक्सलियाें के एंट्री पाइंट माने जाने वाले बालाघाट जिले का नाम सबसे ऊपर है। यहां मुख्यालय से सटे 526 गांव ऐसे हैं जहां बिजली का इंतजार है। ये इलाके बैहर, बिरसा, लांजी, परसवाड़ा, किरनापुर, लाल बर्रा और वारासिवनी के पास हैं। गृहमंत्री बाबूलाल गौर का कहना है कि उनकी प्राथमिकता प्रभावित जिलाें में कानून व्यवस्था बनाए रखने की है।
महाकोशल के अन्य जिलों के हाल
सूची में दूसरे नंबर शहडोल है जहां 112 गांव विद्युतीकरण के नजरिए से अछूते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सूबे में अटल ज्योति अभियान की नींव लालकृष्ण आडवाणी के हाथाें रखवाई थी। ये घोषणा हुई थी कि संभाग के समस्त गांवाें में 24 घंटे बिजली दी जाएगी। बिना बिजली वाले गांवाें में मंडला के 78, डिंडोरी के 62, अनूपपुर 44, सीधी 26 और सिंगरौली के 18 गांव प्रभावित इलाकाें की सूची में शामिल हैं। इन इलाकों में 11 वीं पंचवर्षीय योजना के वक्त से विद्युतीकरण चल रहा है। काम बीच में छोड़कर जाने वाले और देर करने वाले ठेकेदारों पर सरकार अब तक 1 करोड़ 14 लाख 82 हजार 276 रुपए की पेनाल्टी लगा चुकी है।
जंगल में फोर्स तैनाती की तैयारी
गृह विभाग ने प्रभावित जिलाें के जंगली इलाकाें में हॉक और कोबरा फोर्स के जवानाें को तैनात करने की योजना बनाई है। इससे पहले जवान आबादी से सटे इलाकाें में बेस बनाकर रहते आए हैं। जंगली इलाकों में सुरक्षित आवास मुहैया कराने की दृष्टि से प्रदेश सरकार ने पुलिस मुख्यालय को 9.99 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। इसकी मदद से जंगली इलाकों में प्री-फैब्रीकेटेड स्ट्रक्चर तैयार किए जा रहे हैं।
Source: MP Hindi News and Chhattisgarh Hindi News
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