जिले के नक्सली दलम में मोआवादी सदस्यों की संख्या लगातार घट रही है। नक्सलियों के द्वारा अमुमन हर बटालियन में कम से कम 30 सदस्य रखे जाने का नियम है। बावजूद फिलहाल 7 या 8 नक्सली सदस्य ही दलम में मौजूद हैं। 3 साल पूर्व की तरह अब गांव में नक्सलियों के दल बल का आसानी से आना भी मुश्किल हो गया है।
जिला पुलिस, एसटीएफ और आईटीबीपी जवानों की सर्चिंग बढ़ जाने से नक्सली ग्रामीणों से बैठका वगैरह नियमित रूप से नहीं कर पा रहे हैं। इसके चलते नए युवक-युवतियों को भी दलम में शामिल नहीं कर पा रहे हैं। यही हाल इनके साथ गोलाबारूद को लेकर भी है। नक्सलियों के पास रायफल, आधुनिक गन व अन्य हथियार तो बहुत हैं लेकिन गोली कारतूस की भारी कमी है।
आत्मसमर्पण नक्सली ने किया खुलासा
शनिवार को मिलिट्री प्लाटून नंबर 23 का प्लाटून कमांडर मोहन कोर्राम उर्फ श्यामलाल ने आत्मसमर्पण किया। मोहन से नईदुनिया ने बातचीत की। इस दौरान उसने नक्सलियों और उनके दलम की स्थिति के संबंध में कई नए खुलासे किए।
नए युवक-युवती की नहीं हो रही भर्ती
मोहन ने बताया कि जिले के धुर नक्सली क्षेत्रों सहित महाराष्ट्र बार्डर क्षेत्र में अब नक्सली दलम में नए युवक-युवतियों की भर्ती नहीं हो पा रही है। पूर्व की तरह अब नक्सलियों का किसी भी समय खुलेआम दिन दहाड़े आ जाना अब नामुमकिन सा हो गया है। इसका कारण पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा सर्चिंग की जा रही है। घने जंगल से होते हुए हर गांव तक आईटीबीपी की भी टीम पहुंच रही है। इसके चलते नक्सली दलम अब गांव में धमक नहीं दे पा रहे हैं। पहले की तरह लंबी बैठका भी नहीं हो रही है।
पहले गांव में बैठक कर युवक-युवतियों को दलम में शामिल करने दबाव बनाया जाता था। कई तरह से उकसाया जाता या प्रलोभन दिया जाता था। इसके अलावा ग्रामीणों में जागरुकता लाने का भी काम पुलिस द्वारा गांव गांव में किया जा रहा है। कई तरह के बैनर पोस्टर नक्सलियों के खिलाफ लगाए गए हैं, जिससे नक्सली दलम में अब कोई भी ग्रामीण परिवार गृह सदस्यों को भेजने बिलकुल तैयार नहीं रहता। रायफल बहुत हैं कारतूस नहीं
नक्सलियों के पास हथियारों की भरमार है। आधुनिक हथियारों में गन, एके 47 वगैरह तो बहुत हैं। इस हिसाब से गोली, कारतूस की मात्रा काफी कम है। जंगल में सर्चिंग पर निकले पुलिस से एकाएक मुठभेड़ होने पर नक्सली भी उतनी ही देर तक युद्ध कर पाते हैं। जितनी देर तक उनके पास गोली रहे। बाद में गोली कम पड़ता देख नक्सली भाग जाते हैं। इसके अलावा कई मौके पर नक्सलियों के पास गोली अधिक नहीं होने पर मुठभेड़ का अवसर देखने पर भी चुपचाप जंगल में छिप जाते हैं।
30 की जगह अब 8 सदस्य हैं
छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के नक्सलियों के दलम में संघम सदस्यों का संकट हो गया है। नक्सली रणनीति के आधार पर ही प्रायः हर नक्सली दलम में कम से कम 25 और अधिकतम 30 सदस्य रखे जाने का नियम है। बावजूद कई दलम में अब 8, 10 या 15 के आसपास ही नक्सली है। वे जिस नक्सली दलम प्लाटून नंबर 23 में 8 वर्षों से सक्रिय रहे। उस दलम में केवल 8 सदस्य ही हैं।
'पुलिस की सर्चिंग घने जंगल तक हो रही है। इसके चलते युवक-युवतियों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। नक्सलियों के दलम में ढाई साल से नियुक्ति नहीं हुई है। नक्सलियों के पास गोली तो नहीं के बराबर है। साथ ही दलम में 7-8 सदस्य ही हैं।'
-डॉ. संजीव शुक्ला, एसपी
जिला पुलिस, एसटीएफ और आईटीबीपी जवानों की सर्चिंग बढ़ जाने से नक्सली ग्रामीणों से बैठका वगैरह नियमित रूप से नहीं कर पा रहे हैं। इसके चलते नए युवक-युवतियों को भी दलम में शामिल नहीं कर पा रहे हैं। यही हाल इनके साथ गोलाबारूद को लेकर भी है। नक्सलियों के पास रायफल, आधुनिक गन व अन्य हथियार तो बहुत हैं लेकिन गोली कारतूस की भारी कमी है।
आत्मसमर्पण नक्सली ने किया खुलासा
शनिवार को मिलिट्री प्लाटून नंबर 23 का प्लाटून कमांडर मोहन कोर्राम उर्फ श्यामलाल ने आत्मसमर्पण किया। मोहन से नईदुनिया ने बातचीत की। इस दौरान उसने नक्सलियों और उनके दलम की स्थिति के संबंध में कई नए खुलासे किए।
नए युवक-युवती की नहीं हो रही भर्ती
मोहन ने बताया कि जिले के धुर नक्सली क्षेत्रों सहित महाराष्ट्र बार्डर क्षेत्र में अब नक्सली दलम में नए युवक-युवतियों की भर्ती नहीं हो पा रही है। पूर्व की तरह अब नक्सलियों का किसी भी समय खुलेआम दिन दहाड़े आ जाना अब नामुमकिन सा हो गया है। इसका कारण पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा सर्चिंग की जा रही है। घने जंगल से होते हुए हर गांव तक आईटीबीपी की भी टीम पहुंच रही है। इसके चलते नक्सली दलम अब गांव में धमक नहीं दे पा रहे हैं। पहले की तरह लंबी बैठका भी नहीं हो रही है।
पहले गांव में बैठक कर युवक-युवतियों को दलम में शामिल करने दबाव बनाया जाता था। कई तरह से उकसाया जाता या प्रलोभन दिया जाता था। इसके अलावा ग्रामीणों में जागरुकता लाने का भी काम पुलिस द्वारा गांव गांव में किया जा रहा है। कई तरह के बैनर पोस्टर नक्सलियों के खिलाफ लगाए गए हैं, जिससे नक्सली दलम में अब कोई भी ग्रामीण परिवार गृह सदस्यों को भेजने बिलकुल तैयार नहीं रहता। रायफल बहुत हैं कारतूस नहीं
नक्सलियों के पास हथियारों की भरमार है। आधुनिक हथियारों में गन, एके 47 वगैरह तो बहुत हैं। इस हिसाब से गोली, कारतूस की मात्रा काफी कम है। जंगल में सर्चिंग पर निकले पुलिस से एकाएक मुठभेड़ होने पर नक्सली भी उतनी ही देर तक युद्ध कर पाते हैं। जितनी देर तक उनके पास गोली रहे। बाद में गोली कम पड़ता देख नक्सली भाग जाते हैं। इसके अलावा कई मौके पर नक्सलियों के पास गोली अधिक नहीं होने पर मुठभेड़ का अवसर देखने पर भी चुपचाप जंगल में छिप जाते हैं।
30 की जगह अब 8 सदस्य हैं
छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश के नक्सलियों के दलम में संघम सदस्यों का संकट हो गया है। नक्सली रणनीति के आधार पर ही प्रायः हर नक्सली दलम में कम से कम 25 और अधिकतम 30 सदस्य रखे जाने का नियम है। बावजूद कई दलम में अब 8, 10 या 15 के आसपास ही नक्सली है। वे जिस नक्सली दलम प्लाटून नंबर 23 में 8 वर्षों से सक्रिय रहे। उस दलम में केवल 8 सदस्य ही हैं।
'पुलिस की सर्चिंग घने जंगल तक हो रही है। इसके चलते युवक-युवतियों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। नक्सलियों के दलम में ढाई साल से नियुक्ति नहीं हुई है। नक्सलियों के पास गोली तो नहीं के बराबर है। साथ ही दलम में 7-8 सदस्य ही हैं।'
-डॉ. संजीव शुक्ला, एसपी
Source: MP Hindi News and Chhattisgarh Hindi News
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