शहर में अपराधों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। शहर में चोरियों के साथ लूट, तस्करी की वारदातें भी बढ़ती जा रही हैं। एक दिन, 6 जगह चोरों का धावा और लाखों का माल साफ। इंदौर के घरों में सुरक्षा का यह हाल है। घर, दुकान, फैक्ट्री, गोदाम, शोरूम, वाहन कुछ भी सुरक्षित नहीं। शहर की सुरक्षा का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां महज जुलाई और अगस्त महीने में 260 चोरियां दर्ज हुई हैं। लूट, चेन झपटने और वाहनों की चोरी की घटनाएं लगातार हो रही हैं वो अलग।
घटना : 01
राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र स्थित परस्पर नगर में गोविंद देशमुख नामक व्यक्ति के घर चोर ताला तोड़कर घुसे और चार जोड़ी कान की बाली, दो अंगूठी, चांदी के बर्तन, सिक्के और सात हजार रुपए नकद चोरी हो गई।
घटना : 02
राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र के ही तक्षशिला परिसर में अशोक सराफ के घर से लैपटॉप, सोने-चांदी के जेवर और 10 हजार रुपए पर हाथ साफ कर दिया।
घटना : 03
चोरों ने लसूड़िया मोरी में एक साथ तीन दुकानों में सेंध लगाई। शराब की दुकान भी चोरों की जद में आई और शराब तक चोरी हो गई। बाकी दुकानों में भी हजारों का माल चोरी हुआ।
घटना : 04
नेमावर रोड स्थित चप्पल बनाने की फैक्ट्री पर चोरों ने धावा बोला और हजारों रुपए का माल ले उड़े। कंपनी की ओर से ओमप्रकाश तिलोरे ने बताया अलमारी से 60 हजार रुपए गायब कर दिए गए।
केस के रूप में लिखी गई सभी चोरियां एक ही दिन में शहर के अलग-अलग हिस्सों में हुई। इनमें लोगों की गाढ़ी कमाई के लाखों रुपए चोरों की जेब में चले गए। शहर की सड़कों पर लोगों को सुरक्षा देने की बात करने वाली इंदौर पुलिस के दावे को हकीकत मानने से पहले अगर घरों में होने वाली वारदातों पर नजर डाली जाए तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर के बीचो-बीच से लेकर कोने-कोने में बसी कॉलोनियों तक में चोरों का कितना आतंक मचा हुआ है। शहर के घरों में रोजाना चोरियां हो रही हैं, और पुलिस सिवाय बातों के कुछ नहीं कर पा रही है।
रोजाना धावा बोल रहे हैं चोर
जिला पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक अगस्त और सितंबर महीने में चोरी के 260 प्रकरण दर्ज हुए हैं। यानी रोजाना औसतन 4 घरों में चोरियां हो रही हैं। पुलिस की नजरों में तो इतनी ही चोरियां हुई हैं, लेकिन ये तो महज वो हैं जो पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज हो चुकी हैं। असल में, इससे चार गुना चोरियां ऐसी भी हो सकती हैं जो या तो मालिकों ने थाने के चक्कर काटने के डर से दर्ज ही नहीं करवाई या फिर कई बार चक्कर काटने के बावजूद पुलिस थानों में दर्ज नहीं की गई। कई बार ऐसा भी होता है कि पुलिस चोरी को बेहद छोटा मानती है या फिर ऐसा भी होता है कि घर के ही किसी सदस्य पर शक होने के कारण भी मामला दर्ज नहीं कराया जाता। अगर सभी प्रकरण दर्ज होने लगे तो यह आंकड़ा चार गुना तक बढ़ सकता है।
हर तरफ लूट ही लूट
गौरतलब है कि शहर का कोई भी इलाका ऐसा नहीं है, जहां राहगीरों के साथ लूट नहीं हो रही हो। कभी पैदल चलने वालों से पता पूछने के नाम पर तो कभी वाहन वालों से लिफ्ट मांगने के दौरान लोगों को लूट का शिकार बनाया जा रहा है। राह चलते लोगों को अकेले में रोककर हथियार दिखाकर डराने, धमकाने और मोबाइल, अंगूठी और कैश लूट लेने की वारदातें आम हो गई हैं। इस तरह लोगों के साथ हो रही वारदातों को कम करने और लोगों को राहत देने की कोशिशों के बजाय पीड़ितों से ही सवाल-जवाब ज्यादा होते हैं। सिर्फ राह चलते ही नहीं, खड़े वाहनों में भी चोर सेंध लगा रहे हैं।
वाहन चोरों पर भी लगाम नहीं
बुधवार को ही खजराना पुलिस ने एक वाहन चोर गिरोह को पकड़ा, जिस पर 50 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। कार्रवाई के दौरान करीब एक दर्जन वाहन जब्त हो सके। इंदौर पुलिस खुद इस बात को स्वीकार करती है कि यहां वाहन चोरियों की संख्या बेहद ज्यादा है। आंकड़ों पर गौर करें तो इंदौर में हर रोज औसतन 10 से 12 वाहन चोरी हो रहे हैं। पुलिस ने तलाशी कर कुछ वाहन चोर गिरोह की धरपकड़ तो की, लेकिन अब तक चोरी गए हजारों वाहनों में से चंद गाड़ियां ही बरामद की जा सकी हैं। इनमें अधिकतर टू व्हीलर्स ही हैं, जबकि चोरी गई फोर व्हीलर्स में से न के बराबर गाड़ियां बरामद की जा सकी हैं। पुलिस इस बात को भलीभांति जानती हैं कि चोरी हुई गाड़ियां चंद मिनटों में खोलकर बेच दी जाती हैं। इसके अलावा दो गाड़ियों की एक गाड़ी बनाकर भी ग्रामीण क्षेत्रों में बेच दी जाती हैं।
हर कोशिश हो गई नाकाम
वाहन चोरी को रोकने के लिए पुलिस कई तरह की बातें कर रही हैं, लेकिन एक भी कोशिश सार्थक नहीं हो रही। वाहन चोर रोजाना औसतन 10 से 12 गाड़ियां खोलकर बेच देते हैं। पुलिस ने चोरी की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सभी सड़कों पर सख्ती करने, सार्वजनिक स्थानों पर कैमरे लगाने, पार्किंग में पुलिसकर्मियों को सादी वर्दी में तैनात करने तक की बात की थी, लेकिन एक भी उपाय सफल नहीं हुआ। चोरियां अब भी लगातार जारी हैं। जिन कॉलोनियों में चोरी हो रही हैं, वहां गश्त बढ़ाने, चौकी खोलने जैसे दावे भी किए जाते हैं, लेकिन ये कोशिश भी सफल नहीं हो पाती। ऐसे में रोजाना रोज लाखों रुपए का माल चोरी हो जाता है।
नकली पुलिस के कारनामे जारी हैं
पुलिस की नाकामी सिर्फ घरों में घुसकर चोरी करने वाले मामलों में ही नहीं, बल्कि बदमाशों द्वारा पुलिस अधिकारी का रूप धरकर लूट को अंजाम देने वालों को पकड़ने में भी है। पुलिस की कई कोशिशों और गश्त के बावजूद भी नकली पुलिस शहरभर में वारदात कर रही हैं। इस तरह के बदमाशों पर कार्रवाई करने के मामले में पुलिस कोई खास सफलता हासिल नहीं कर पा रही है। हर बार कुछ दिनों में इस तरह का मामला सामने आता है, जिसमें नकली पुलिस बुजुर्गों और महिलाओं को शिकार बनाती है और चेन, अंगूठी, कैश लेकर रफूचक्कर हो जाती है। सिर्फ पुलिसकर्मी बनकर ही नहीं, बल्कि लोकायुक्त, क्राइम ब्रांच, इनकम टैक्स ऑफिसर आदि बनकर वारदातों को अंजाम देने वाले लोगों पर भी पुलिस का कोई नियंत्रण नहीं हैं।
इनका कहना है
सिर्फ चोरी ही नहीं बल्कि पुलिस हर तरह के अपराधों को कम करने की कोशिश कर रही है। अपराध बढ़ने के पीछे शहर का बढ़ना, बल की कमी, स्टाफ की कमी सहित दूसरे कारण भी हैं। पुलिस अपनी ओर से कोशिश कर रही है, लोगों को भी अपनी ओर से सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि अपराध ही न हों। लोग तकनीक और सुरक्षा साधनों का इस्तेमाल करें और किसी भी तरह की शंका होने पर पुलिस को जानकारी दें। किसी भी मामले की जानकारी छुपाने के बजाय लोगों को शिकायत करना चाहिए।
-आबिद खान, एसपी, इंदौर पुलिस (वेस्ट)
Source: MP Hindi News and Chhattisgarh News
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