Wednesday 11 June 2014

Age of hanuman is lined with oil

गुजरात के गोधरा में जाम्बुघोड़ा के जंगल में है हनुमानजी का ऐसा मंदिर जहां उन्हें चढ़ाया जाता है तेल। इस मंदिर में हनुमानजी को जंड हनुमानजी के नाम से पुकारा जाता है।

यहां उन्हें सिर पर नहीं बल्कि पैर पर सरसों का तेल चढ़ाया जाता है। इनके चरणों में तब तक तेल उड़ेला जाता है। जब तक पास ही बनी शनिदेव की मूर्ति तक तेल न पहुंच जाए।

ऐसा माना जाता है कि 5 शनिवार या मंगलवार इस प्रक्रिया को करने से भक्तों की हर मुराद पूरी हो जाती है। भगवान के दर पर कोई विदेश जाने की इच्छा लेकर आता है तो कोई संतान की चाह लेकर। संकट मोचन सभी की सुनते हैं और खुशियों से भर देते हैं भक्तों की झोली।

इसलिए चढ़ाते हैं तेल

कहते हैं लक्ष्मण के इलाज के लिए जब हनुमानजी संजीवनी पर्वत उठाकर ला रहे थे। तब भरत ने शत्रु समझ कर तीर चला दिया। तीर संकट मोचन के पैर में लगे और वो घायल होकर गिर पड़े। उनके मुख से श्रीराम का नाम निकल रहा था। भरत समझ गए कि उन्होंने गलत जगह निशाना लगा दिया है। भरत ने हनुमानजी का इलाज करने के लिए रूई से सरसों का तेल घाव पर लगाया तो घाव ठीक हो गया। तभी से यहां भगवान हनुमानजी को सरसों के तेल को चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई ।

एक ही पत्थर से बनी मूर्ति

जंड हनुमान जी की मूर्ति का आकार भी काफी विशाल है। यह प्रतिमा २१ फीट ऊंची है और विशेष बात यह है कि यह एक ही पत्थर से बनी हुई है। यहां ज्यादातर गुजरात, राजस्थान, महाराष्ठ्र से भक्त आते हैं। यहां पूजा के बाद लाल बंदरों को खाना खिलाया जाता है। कहते हैं ऐसा करने से संकट मोचन का आशीर्वाद भक्तों पर हमेशा बना रहता है

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