Friday 20 June 2014

Guaranteed success are abhijit muhurat

हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक हर दिन का कुछ समय अति शुभ माना गया है। जिसके बारे में कहा जाता है कि इस समय कोई भी कार्य करने पर विजय प्राप्त होती है।

ज्योतिर्विद और भागवत मर्मज्ञ पं. ओम वशिष्ठ बताते हैं कि वर्ष के 365 दिन में 11.45 से 12.45 तक का समय अभिजीत मुहूर्त कहलाता है। इस मुहूर्त में अगर कोई भी कार्य किया जाए तो उसमें विजय प्राप्त होती है।

कहते है इसमें आप कुछ भी करें तो वह सर्वफलदायी होता है, सर्वाथसिद्धिदायक होता है। इस मुहूर्त या फिर तिथि में किया गया काम शुभ फलों को देता है। अतिशुभ फलों के इन्हीं आगमन के लिए हिंदू कैलेंडर में कुछ तिथियां हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा काल गणना के आधार पर निर्धारित की गई है।

अभिजीत मुहूर्त यानी एक ऐसा मुहूर्त जिसमें अगर काम शुरु किया गया तो विजय होनी तय है, सफलता की गारंटी पक्की होती है। इस बार 01-02 अप्रैल को अक्षय तृतीया का शुभ दिन है।

वैशाख महीने की गणना सबसे सर्वोत्तम महीनों में की जाती है। वैशाख मास की विशिष्टता इसमें पड़ने वाली अक्षय तृतीय के कारण अमर हो जाती है। भारतीय काल गणना के मुताबिक चार स्वयंसिद्ध अभिजित मुहूर्त माने गए है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (गुडी पडवा), आखातीज यानी अक्षय तृतीया, दशहरा और दीपावली के पूर्व की प्रदोष तिथि।

अक्षय का अर्थ है

जिसका कभी क्षय नहीं हो यानी वह आपके पास हमेशा बना रहे। जिसका नाश ना हो यानी वह आपके पास स्थायी रहे। स्थायी वहीं रह सकता है जो सर्वदा सत्य है। भारतीय संस्कृति में इस दिन का महत्व व्यापक है।

पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था इसलिए इनकी जयंतियां भी अक्षय तृतीया को मनाई जाती है। परशुरामजी की गिनती चिंरजीवी महात्माओं में की जाती है।

कहते हैं चारों युगों अर्थात सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग में से त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया के दिन ही हुई थी इसलिए इस तिथि को युग के आरंभ की तिथि यानी युर्गाद तिथि भी कहते हैं। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में मानी गई है।

इसी तिथि को चारों धामों में से उल्लेखनीय एक धाम भगवान श्री बद्रीनारायण और श्री केदारनाथधाम के पट खुलते हैं। वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाए जाने वाले इस व्रत की बड़ी मान्यता है । इस तिथि को सुख-समृद्धि और सफलता की कामना से व्रतोत्सव के साथ ही अस्त्र, शस्त्र, वस्त्र, आभूषण आदि बनवायें, खरीदें और धारण किए जाते हैं। नई भूमि को खरीदना, भवन, संस्था आदि का प्रवेश इस तिथि को शुभ फलदायी माना जाता है।

विवाह और मांगलिक कार्य

इस दिन कोई दूसरा मुहूर्त न देखकर स्वयंसिद्ध अभिजीत शुभ मुहूर्त के कारण विवाह और मांगलिक कार्य संपन्न किए जाते हैं। अक्षय तृतीया वाले दिन दिया गया दान अक्षय पुण्य के रूप में संचित होता है।

इसलिए इस दिन अपने सामर्थ्य के मुताबिक दान-पुण्य करना चाहिए। यानी इस दिन आप जो कुछ भी करते हैं उसका क्षय नहीं होता है। चाहे वह कोई शुभ कार्य हो या फिर आपके द्वारा किया गया दान-पुण्य।

अक्षय तृतीया को स्वर्ण युग की आरंभ तिथि भी मानी गई है। अक्षय का अर्थ है कि कभी समाप्त न होने वाला। ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इस दिन खरीदा और धारण किए गए सोने और चांदी के गहने अखंड सौभाग्य का प्रतीक माने गए हैं। मान्यताओं के मुताबिक सोने और चांदी के आभूषण खरीदने से घर में बरकत ही बरकत आती है।

मान्यता है कि लक्ष्मी को स्थिर होना चाहिए ताकी घर में बरकत और खुशहाली की सदैव बारिश होती रहे। सोने के प्रति ज्योतिषियों का मानना है कि सोना के होने से घर में शुभ कारकों का उदय होता है जो परिवार में खुशहाली का माध्यम बनते हैं। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने और पहनने की भी परंपरा है।

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