Thursday 26 June 2014

Architecture office

ऑफिस और दुकान के लिए चुना गया भवन अगर वास्तु के अनुरूप हो तो आपके प्रयासों से ज्यादा बेहतर परिणाम व लाभ प्राप्त हो सकता है।

अगर दुकान या ऑफिस के लिए किसी भवन का चयन किया जा रहा है तो वास्तु के नियमों की तरफ ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह सीधा आपके व्यापार या व्यवसाय के लाभ से जुड़ता है। यदि निर्माण वास्तु सम्मत है तो व्यवसाय या दफ्तर के कामकाज में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

जब हम वास्तु के अनुरूप दुकान या ऑफिस के लिए भवन का चयन करेंगे तो हमारे प्रयासों के ज्यादा बेहतर परिणाम भी प्राप्त हो सकेंगे।

यहां हम कुछ वास्तु प्रावधानों का उल्लेख कर रहे हैं जिनकी ओर ध्यान देकर अपने कामकाज को अधिक सहज और लाभदायक बना सकते हैं। कई बार अगर बहुत प्रयासों के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं प्राप्त होते हैं तो निराशाजनक स्थितियां भी बनती हैं और उनसे बचने में ये वास्तु उपाय मददगार साबित हो सकते हैं।

दुकान के लिए चुने गए भवन में पर्याप्त हवा और रोशनी की व्यवस्था होना चाहिए। चुने गए भवन के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को खाली रखें और यहां स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।

दुकान के भीतर बिजली का मीटर, स्विचबोर्ड, इन्वर्टनर जैसी चीजें आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में होना चाहिए।

दुकान, दफ्तर या आपकी फैक्ट्री के सामने द्वारवेध नहीं होना चाहिए। आशय यही है कि द्वार के सामने कोई खंभा या सीढ़ी आड़े नहीं आना चाहिए।

व्यवसाय के लिए चुने गए भवन में अगर सीढ़ियां बनवानी ही हों तो ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) को छोड़कर बनवाना उचित रहता है।

माल का भंडारण या अन्य वस्तुओं को सहेजने के लिए दक्षिण, पश्चिम या नैर्ऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) का उपयोग करें।

व्यवसाय के लिए चुने गए भवन का दरवाजा भीतर की ओर खुलना चाहिए। बाहर की ओर खुलने वाला दरवाजा व्यवसाय में आय से अधिक व्यय की स्थिति पैदा करता है।

व्यवसाय के लिए चुने गए भवन की दीवारों पर बहुत गहरे रंगों के प्रयोग से बचना चाहिए और हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए।

व्यर्थ या अनुपयोगी सामान को अपनी टेबल पर न पड़ा रहने दें। अपनी टेबल को साफ-सुथरा और व्यवस्थित रखें।

अगर भवन का अगला भाग संकरा और पिछला भाग चौड़ा हो तो ऐसा भवन गौमुखी होता है और व्यवसाय की दृष्टि से लाभप्रद नहीं माना जाता है।

भवन का अगला हिस्सा चौड़ा और पिछला संकरा हो तो ऐसा भवन सिंहमुखी कहलाता है और व्यवसाय की दृष्टि से उपयुक्त माना गया है।

सोने चांदी का व्यवसाय करने वालों को दुकान में लाल और नारंगी रंग नहीं करवाना चाहिए क्योंकि ये रंग अग्नि के प्रतीक हैं और अग्नि धातु को नष्ट करती है।

धन वृद्धि के लिए तिजोरी की दिशा उत्तर में रखें क्योंकि यह धन के आराध्य देव कुबेर की दिशा है कोई भी व्यापारिक वार्ता, परामर्श, लेन-देन या कोई सौदा करते हुए आप उत्तर दिशा की ओर मुख रखें। इससे व्यापार में काफी लाभ होता है।

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