Thursday 12 June 2014

Instead of abusing learn to avoid things

मेरा मानना है कि सकारात्मक नजरिया दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण चीज है। हमारी तमाम अच्छाइयां इसी से निकलती हैं कि हम जिंदगी को कितनी सकारात्मकता के साथ देखते हैं। कोई भी इंसान कई मौकों पर बाहरी दुनिया में असफल होता है और उसके भीतर भी कश्मकश चलती रहती है। लेकिन हर तरह की स्थिति में जिंदगी के प्रति सकारात्मक नजरिया ही काम आता है। सकारात्मक रवैये का एक बड़ा अर्थ है चीजों को अवॉइड करना।

चीजों से बचना या उन्हें अवॉइड करना इसलिए जरूरी है क्योंकि हमारी दुनिया में हर इंसान को आजादी है। जब हर इंसान को आजादी है तो वह जैसा चाहेगा अपनी आजादी का वैसा ही इस्तेमाल करेगा। इसी का नतीजा है कि हमारे सामने ऐसी बहुत सी चीजें आती हैं जो हमें बिलकुल भी पसंद नहीं होती, लेकिन हमें उनके साथ रहना पड़ता है। आप बुरी चीजों को बदल नहीं सकते बस आपको उनसे बचने का तरीका आना चाहिए।

जिस तरह फूल के साथ हर शाखा पर कांटे होते हैं उसी तरह समाज में हर तरह के लोग होते हैं। इसी समाज में कुछ अच्छी बातें होती हैं तो बुरी बातें भी देखने में आती हैं। कुछ तयशुदा स्थितियां होती हैं तो कुछ आकस्मिक और अनचाहे हालात। अगर आप हर बुराई से लड़ें तो इसमें होगा यह कि आप बुराइयों से लड़ने में ही अपना कीमती समय जाया कर देंगे। आपकी सारी ऊर्जा भी इसी में खत्म हो जाएगी। बुराइयों से लड़ने का विचार वैसा ही है जैसा कि बिना कांटों का गुलाब पाने के लिए गुलाब के पौधे से सारे कांटों को तोड़ना। आप गुलाब का फूल चाहते हैं कांटा नहीं चाहते तो यह भी कर सकते हैं कि सारे कांटे तोड़ें और फिर गुलाब लें लेकिन कुछ दिनों बाद कांटे फिर निकल आएंगे। आप गुलाब का दूसरा पौधा लगाएंगे उसमें भी कांटे निकलेंगे।

तो इस पर हमारा कंट्रोल नहीं है। हम यह नहीं कर सकते कि एक नए किस्म का गुलाब बनाएं जिसमें फूल तो हों पर कांटे नहीं हों और ठीक ऐसा ही मामला इंसानी समाज का भी है। यहां भी यही होता है कि हमेशा कोई आपको गुस्सा दिलाएगा। अप्रिय स्थिति पैदा करेगा और आप उससे पूरी तरह मुक्त नहीं हो सकते हैं वह तो रहेगा ही। आपको उससे बचने का तरीका आना चाहिए। जब आप अवॉइड करना सीख जाएंगे तो इस तरह की स्थितियों से निकल सकेंगे।

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के पास एक शख्स आता है और पूछता है कि मुझे जिंदगी का कोई नुस्खा दे दीजिए। वे कहते हैं कभी गुस्सा मत करना और किसी से नाराज मत होना। उनकी कही इस बात में सारी जिंदगी आ जाती है। गुस्सा यही तो है कि आप अवॉइड नहीं कर पाते। जब आप अवॉइड करना सीख लेते हैं तो गुस्सा नहीं होते। सारा मसला यही है कि हम गुस्सा हो जाते हैं, जज्बाती हो जाते हैं और चीजों से उलझ जाते हैं। सकारात्मक नजरिया यही है कि जो चीजें पसंद नहीं आ रही हैं जो बुरी लग रही हैं उन्हें अवॉइड करें।

यह इसलिए क्योंकि दुनिया में सबकुछ आपकी मर्जी का नहीं हो सकता है और जब हम अवॉइड करके निकल जाते हैं तो इसका अर्थ यही है कि हम जिंदगी को सकारात्मक तरीके से देखते हैं। सकारात्मक रवैये की हमारी जाती जिंदगी में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जरूरत है। यह मौजूदा समय में सार्वभौमिक जरूरत है। लोग यह सोचते हैं कि समस्याओं को खत्म करो तो शांति आ जाएगी।

वे समस्या से लड़ते हैं लेकिन समस्या को खत्म करके शांंति कभी नहीं आएगी। एक समस्या को खत्म करोगे तब तक दूसरी पैदा हो जाएगी। यह सिलसिला चलता ही रहेगा और आप इस गोले में घूमते रहोगे। इसलिए अगर समस्या से निकलना है तो अवॉइड करना सीखो। हमारे देश में अब 40 साल बाद लोग यह समझ पाए हैं कि अगर सांप्रदायिक दंगों से बचना है तो अवॉइड करना सीखो।

बहुत छोटी-छोटी बातों पर लोग उकसाने की कोशिशें करते हैं और उन कोशिशों में कामयाब भी होते रहे हैं लेकिन अगर हम अवॉइड करना सीख लें तो मजाल है कि कोई हमारे बीच फसाद डाल सके। देखिए सबसे बड़ी चीज है सकारात्मक रवैया। जेहनी पुख्तगी (मेच्योरिटी) यह है कि आप उन चीजों के साथ अच्छे से रह सकें जिन्हें आप बदल नहीं सकते।

बदलने की कोशिश से हताशा आती है। जब आप किसी कांटेदार रास्ते से गुजरते हैं तो आप उस कांटेदार झाड़ी को साफ करने की कोशिश कभी नहीं करते बल्कि आप अपना दामन बचाकर निकल जाते हैं। जिंदगी भी इसी तरह है कि जहां कांटेदार झाड़ियां हमारे चारों तरफ हैं लेकिन हमें अपना दामन बचाकर निकल जाना होगा। इसमें सकारात्मक नजरिया हमारी मदद करेगा। हम चीजों से उलझेंगे नहीं बल्कि सुलझते चले जाएंगे। कुरान में सब्र पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया है और यह सब्र सकारात्मक नजरिया ही तो है।

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