Friday 20 June 2014

It is prized statues of buddha

पिछले वर्ष बेल्जियम में धूम मचाने के बाद इस वर्ष मथुरा संग्रहालय की मूर्तियां कोरिया में धूम मचाएंगी। लेकिन कोरिया की टीम द्वारा पसंद की गई आठ मूर्तियों में से बुद्ध की दो मूर्तियों को प्रशासन ने कोरिया न भेजने का निर्णय लिया है। कारण है कि यह मूर्तियां बेशकीमती मानी जाती हैं।

कुछ दिन पहले कोरिया की टीम ने दिसंबर में लगने वाली प्रदर्शनी के लिए भगवान बुद्ध, कटरा बुद्धा, महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय, महात्मा बुद्ध का स्तूप, बुद्धा हेड, अभय मुद्रा में बुद्ध, चौकी पर महात्मा बुद्ध एवं महात्मा बुद्ध का स्वर्गावतरण मूर्तियों को पंसद किया था। लेकिन संग्रहालय प्रशासन ने महात्मा बुद्ध और कटरा बुद्ध को कोरिया न भेजने का निर्णय लिया है। बुद्ध हेड को भी न भेजने पर विचार चल रहा है। कारण है कि यह मूर्तियां बेशकीमती और मास्टर पीस मानी जाती हैं। राष्ट्रीय संग्रहालय कोरिया के एसोसिएट्स और सह एसोसिएट्स द्वारा पंसद की गई मूर्तियों को कोरिया भेजने से पहले राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली की टीम यहां आकर कीमत का आंकलन करेगी। ताकि इन मूर्तियों का बीमा कराया जा सके। संग्रहालय के सहायक निदेश डा.एसपी सिंह ने बताया कि भगवान बुद्ध और कटरा बुद्धा को कोरिया नहीं भेजा जाएगा। यह बहुत महत्वपूर्ण मूर्तिया हैं।

कटरा बुद्धा की मूर्ति। दूसरे चित्र में महात्मा बुद्ध की दुलर्भ मूर्ति।महात्मा बुद्ध की मूर्ति संग्रहालय की जान मानी जाती है। दर्शकों को आकर्षित करने के लिए यह मूर्ति संग्रहालय के गेट पर भी लगाई जा रही है। यह मूर्ति 1860 में कचहरी के समीप जमालपुर टीला से निकली थी। भारतीय कला के सर्वेश्रेष्ठ उदाहरणों में मानी जाती है। कमल के समान नेत्र, सुंदर घुंघराले बाल, लम्बे कान, चारों दिशाओं में ज्ञान की प्रकाश की किरणों को बिखेरता अलंकृत प्रभामंडल। सबसे महत्वपूर्ण है मूर्ति का ध्यानभाव। कटरा बुद्धा को मथुरा में भगवान बुद्ध की पहली बनी मूर्ति माना जाता है।

महात्मा बुद्ध की मूर्ति संग्रहालय की जान मानी जाती है। दर्शकों को आकर्षित करने के लिए यह मूर्ति संग्रहालय के गेट पर भी लगाई जा रही है। यह मूर्ति 1860 में कचहरी के समीप जमालपुर टीला से निकली थी। भारतीय कला के सर्वेश्रेष्ठ उदाहरणों में मानी जाती है। कमल के समान नेत्र, सुंदर घुंघराले बाल, लम्बे कान, चारों दिशाओं में ज्ञान की प्रकाश की किरणों को बिखेरता अलंकृत प्रभामंडल। सबसे महत्वपूर्ण है मूर्ति का ध्यानभाव। कटरा बुद्धा को मथुरा में भगवान बुद्ध की पहली बनी मूर्ति माना जाता है। महात्मा बुद्ध की मूर्ति संग्रहालय की जान मानी जाती है। दर्शकों को आकर्षित करने के लिए यह मूर्ति संग्रहालय के गेट पर भी लगाई जा रही है। यह मूर्ति 1860 में कचहरी के समीप जमालपुर टीला से निकली थी। भारतीय कला के सर्वेश्रेष्ठ उदाहरणों में मानी जाती है। कमल के समान नेत्र, सुंदर घुंघराले बाल, लम्बे कान, चारों दिशाओं में ज्ञान की प्रकाश की किरणों को बिखेरता अलंकृत प्रभामंडल। सबसे महत्वपूर्ण है मूर्ति का ध्यानभाव। कटरा बुद्धा को मथुरा में भगवान बुद्ध की पहली बनी मूर्ति माना जाता है।

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