शासन भले ही स्वास्थ्यगत सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रहा हो, लेकिन कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। धमतरी जिले के नगरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोर्रा का 9 वर्षीय कौशल भी उन्हीं में से एक है, जो स्वास्थ्य सुविधा से वंचित है। बालक कौशल सेन जन्म के दो माह से गलत इलाज की सजा अब तक भुगत रहा है।
जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित नगरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोर्रा निवासी जग्गूराम सेन का 9 वर्षीय पुत्र कौशल देखने में आम बच्चों की तरह है। अन्य बच्चों की तरह वह भी गांव के शासकीय स्कूल में चौथी कक्षा की पढ़ाई कर रहा है। पर कौशल 9 साल पहले हुए गलत इलाज के कारण आज भी लघुशंका के दौरान उसे पीड़ा होती है।
वह नाभि के पास से ही लघुशंका करता है। यही नहीं, दिन में बार-बार उस स्थान से पेशाब रिसता रहता है। इसके चलते बच्चे को बार-बार अपनी पेंट बदलनी पड़ती है। गरीब परिस्थिति के जग्गू सेन ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद से पेट फूलने लगा। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की मूत्र नली जाम है। इसके चलते पेट से पाइप निकालकर पैकेट लगा दिया गया। 7 माह तक इसी तरह चलता रहा।
धमतरी के कई अस्पतालों से जब राहत नहीं मिली तो इसे इलाज के लिए रायपुर के एक निजी अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन से बच्चे की मूत्र नली को प्राकृतिक रूप से जोड़ देंगे, पर यहां गलत इलाज कर मूत्र नली को नाभि के पास निकाल दिया। अन्य चिकित्सकों ने बच्चे की कम उम्र होने का बहाना बनाकर इलाज नहीं किया।
गरीब परिस्थिति के जग्गू सेन ने बताया कि दूसरे बच्चे के जन्म के समय मां का साया भी उठ गया, तब से लेकर दोनों बच्चों की परवरिश वे अकेले कर रहे हैं। बड़ा बेटा सातवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है। बच्चे के इलाज के लिए वह कई बार शासकीय अस्पतालों में गया, पर उसके बच्चे का इलाज किया गया। अब तक इलाज में एक लाख से अधिक खर्च हो चुके हैं।
जरूरतमंद तक नहीं पहुंचती योजना
बच्चों के कल्याणार्थ कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, पर शासन के नुमाइंदे इन योजनाओं को बच्चों तक पहुंचाने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। यही कारण है कि 9 साल बाद भी कोर्रा के कौशल सेन का इलाज भी आज तक नहीं हो पाया है।
इलाज कराया जाएगा
मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केएस शांडिल्य ने बताया कि उनकी जानकारी में अब यह प्रकरण नहीं आया है। समय-समय पर लगने वाले शिविर में आकर इसकी जानकारी दी जानी चाहिये। शासकीय योजनाओं के तहत बालक का इलाज कराया जाएगा।
जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूरी पर स्थित नगरी ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोर्रा निवासी जग्गूराम सेन का 9 वर्षीय पुत्र कौशल देखने में आम बच्चों की तरह है। अन्य बच्चों की तरह वह भी गांव के शासकीय स्कूल में चौथी कक्षा की पढ़ाई कर रहा है। पर कौशल 9 साल पहले हुए गलत इलाज के कारण आज भी लघुशंका के दौरान उसे पीड़ा होती है।
वह नाभि के पास से ही लघुशंका करता है। यही नहीं, दिन में बार-बार उस स्थान से पेशाब रिसता रहता है। इसके चलते बच्चे को बार-बार अपनी पेंट बदलनी पड़ती है। गरीब परिस्थिति के जग्गू सेन ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद से पेट फूलने लगा। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की मूत्र नली जाम है। इसके चलते पेट से पाइप निकालकर पैकेट लगा दिया गया। 7 माह तक इसी तरह चलता रहा।
धमतरी के कई अस्पतालों से जब राहत नहीं मिली तो इसे इलाज के लिए रायपुर के एक निजी अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने कहा कि ऑपरेशन से बच्चे की मूत्र नली को प्राकृतिक रूप से जोड़ देंगे, पर यहां गलत इलाज कर मूत्र नली को नाभि के पास निकाल दिया। अन्य चिकित्सकों ने बच्चे की कम उम्र होने का बहाना बनाकर इलाज नहीं किया।
गरीब परिस्थिति के जग्गू सेन ने बताया कि दूसरे बच्चे के जन्म के समय मां का साया भी उठ गया, तब से लेकर दोनों बच्चों की परवरिश वे अकेले कर रहे हैं। बड़ा बेटा सातवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है। बच्चे के इलाज के लिए वह कई बार शासकीय अस्पतालों में गया, पर उसके बच्चे का इलाज किया गया। अब तक इलाज में एक लाख से अधिक खर्च हो चुके हैं।
जरूरतमंद तक नहीं पहुंचती योजना
बच्चों के कल्याणार्थ कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, पर शासन के नुमाइंदे इन योजनाओं को बच्चों तक पहुंचाने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। यही कारण है कि 9 साल बाद भी कोर्रा के कौशल सेन का इलाज भी आज तक नहीं हो पाया है।
इलाज कराया जाएगा
मुख्य स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केएस शांडिल्य ने बताया कि उनकी जानकारी में अब यह प्रकरण नहीं आया है। समय-समय पर लगने वाले शिविर में आकर इसकी जानकारी दी जानी चाहिये। शासकीय योजनाओं के तहत बालक का इलाज कराया जाएगा।
Source: Chhattisgarh Hindi News & MP Hindi News
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