नाचा के पर्याय कहे जाने वाले ख्याति प्राप्त छत्तीसगढ़ी लोक कलाकार पधी पद्मश्री गोविंदराम निर्मलकर का निधन हो गया। रविवार की शाम 4बजे श्री निर्मलकर ने डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में अंतिम सांस ली। प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर के निर्देशन में नया थिएटर के प्रसिद्ध नाटक चरणदास चोर में चरणदास के पात्र को अपने अभिनय से जीवंत कर देने वाले श्री निर्मलकर साल 2012 से लगातार अस्वस्थ चल रहे थे। इसी साल इन्हें लकवा मार गया और फिर वे कभी नाचा की प्रस्तुति देने नहीं लौटे। उनके निधन से नाचा प्रेमियों और लोक कलाकारों के बीच शोक की लहर है।
राजनांदगांव के मोहारा गांव निवासी गोविंदराम निर्मलकर को 21 जुलाई को अंबेडकर अस्पताल में भर्ती करवाया गया। तब डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच के बाद बताया था कि ब्रेन हेमरेज हुआ है। फिर तत्काल उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया। लगातार उनकी स्थिति में सुधार होता गया। उन्होंने लोगों को पहचानना भी शुरू कर दिया था। लेकिन रविवार की दोपहर उनकी स्थिति अचानक बिगड़नी शुरू हो गई और रविवार की शाम 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। इस वक्त उनकी पत्नी दुलारी बाई और छोटा बेटा रमेश निर्मलकर साथ थे।
बेहोश हो गईं पत्नी
डॉक्टरों ने मौत की पुष्टि की तो दुलारी बाई बेहोश हो गईं, तत्काल उन्हें आईसीयू से बाहर ले जाया गया। 'नईदुनिया' से बातचीत में रमेश निर्मलकर ने बताया कि उनके पिता ने 2012 में नाचा करना बंद कर दिया था। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पिता ने छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति को बढ़ाया, पहचान दी, लेकिन उनकी मौत को 2 घंटे से अधिक गुजर चुके हैं, मगर सरकार की तरफ से कोई ढांढस बंधाने तक नहीं आया। उन्होंने बताया कि स्व. निर्मलकर के पार्थिव शरीर को पैतृक गांव मोहारा ले जाया जाएगा, जहां सोमवार को उनका अंतिम संस्कार होगा।
छत्तीसगढ़ी रंगमंच के सुनहरे युग का दुखद अंत : रमन
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पधी गोविन्दराम निर्मलकर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि श्रीनिर्मलकर के निधन से छत्तीसगढ़ी लोक रंगमंच के एक अत्यन्त सुनहरे युग का दुखद अन्त हो गया है। हमने अपने एक अत्यन्त प्रतिभावान और वरिष्ठ लोक-कलाकार को हमेशा के लिए खो दिया है। स्वर्गीय श्री निर्मलकर ने अपना पूरा जीवन छत्तीसगढ़ी नाट्य कला और संस्कृति के विकास के लिए समर्पित कर दिया। मुख्यमंत्री ने उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी तथा प्रदेशवासियों की ओर से गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट की है।
राजनांदगांव के मोहारा गांव निवासी गोविंदराम निर्मलकर को 21 जुलाई को अंबेडकर अस्पताल में भर्ती करवाया गया। तब डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच के बाद बताया था कि ब्रेन हेमरेज हुआ है। फिर तत्काल उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया। लगातार उनकी स्थिति में सुधार होता गया। उन्होंने लोगों को पहचानना भी शुरू कर दिया था। लेकिन रविवार की दोपहर उनकी स्थिति अचानक बिगड़नी शुरू हो गई और रविवार की शाम 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। इस वक्त उनकी पत्नी दुलारी बाई और छोटा बेटा रमेश निर्मलकर साथ थे।
बेहोश हो गईं पत्नी
डॉक्टरों ने मौत की पुष्टि की तो दुलारी बाई बेहोश हो गईं, तत्काल उन्हें आईसीयू से बाहर ले जाया गया। 'नईदुनिया' से बातचीत में रमेश निर्मलकर ने बताया कि उनके पिता ने 2012 में नाचा करना बंद कर दिया था। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पिता ने छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति को बढ़ाया, पहचान दी, लेकिन उनकी मौत को 2 घंटे से अधिक गुजर चुके हैं, मगर सरकार की तरफ से कोई ढांढस बंधाने तक नहीं आया। उन्होंने बताया कि स्व. निर्मलकर के पार्थिव शरीर को पैतृक गांव मोहारा ले जाया जाएगा, जहां सोमवार को उनका अंतिम संस्कार होगा।
छत्तीसगढ़ी रंगमंच के सुनहरे युग का दुखद अंत : रमन
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पधी गोविन्दराम निर्मलकर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा है कि श्रीनिर्मलकर के निधन से छत्तीसगढ़ी लोक रंगमंच के एक अत्यन्त सुनहरे युग का दुखद अन्त हो गया है। हमने अपने एक अत्यन्त प्रतिभावान और वरिष्ठ लोक-कलाकार को हमेशा के लिए खो दिया है। स्वर्गीय श्री निर्मलकर ने अपना पूरा जीवन छत्तीसगढ़ी नाट्य कला और संस्कृति के विकास के लिए समर्पित कर दिया। मुख्यमंत्री ने उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी तथा प्रदेशवासियों की ओर से गहरी संवेदना और सहानुभूति प्रकट की है।
Source: MP Hindi News & Chhattisgarh Hindi News
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