गैरतगंज पुल का टूटना, जाम नदी पुल से बस गिरना, रहटगांव पुल के बहने की घटनाएं रूह कंपा देती हैं। गौरतलब है कि दो वर्ष पूर्व रायसेन जिले के गैरतगंज कस्बे के पास ट्राला के चढ़ने से पुल के दो टुकड़े हो गए थे। हरदा जिले के रहटगांव में बाढ़ से टिमरन नदी का पुल बह गया था। एक दशक पूर्व छिंदवाड़ा जिले के सौंसर में जाम नदी के पुल से बस गिरने से 35 लोगों की मौत तथा टीकमगढ़ जिले के ओरछा में बेतवा नदी के पुल से बस बहने से 40 लोगों मौत लोग भूले नहीं हैं।
जर्जर तथा रैलिंग विहीन पुल-पुलियों के कारण सैकड़ों लोगों की मौत पिछले एक दशक में हुई हैं। सरकारें सचेत हुईं और जर्जर पुल- पुलियों को दुरुस्त करने के नीतिगत फैसले लिए गए हैं। मसलन सेतु विकास निगम को समाप्त कर सड़क निर्माण एजेंसी को गारंटी के साथ पुल-पुलियों के निर्माण का जिम्मे सौंपा है। नई सड़क बनेगी तब नए पुल बनेंगे। परंतु पुराने जर्जर पुल-पुलियों को कौन दुरुस्त करे इसको लेकर विभागों के बीच नूरा-कुश्ती चलती रहती है।
मप्र में ढहने की कगार पर पहुंचे पुल-पुलियों से अब भी लाखों लोग जान जोखिम में डालकर सफर करते हैं। प्रदेश के हरदा, छिंदवाड़ा, बैतूल, होशंगाबाद, रायसेन, विदिशा, सीहोर, गुना जिलों में मौत के इन जर्जर पुल-पुलियों से गुजरते वक्त न केवल ड्राइवरों बल्कि यात्रियों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है।
अजनाल नदी का पुल कभी भी गिरने की स्थिति में
हरदा। अजनाल नदी पर बना गुप्तेश्वर पुल जर्जर हो गया है। पुल की रैलिंग भी हटा दी गई है। जिसके कारण कभी भी कोई हादसा हो सकता है। सावन माह में गुप्तेश्वर मंदिर जाने वालों की संख्या बहुत अधिक हो जाती है। ऐसे में खतरा ज्यादा बना रहता है। इसी प्रकार हरदा देवास जिले की सीमा को जोड़ने वाली नर्मदा नदी का पुल भी अब पहले जैसा मजबूत नहीं रहा है। इस पुल से भारी वाहनों के गुजरने पर कंपन होता रहता है।
बताया कि यह पुल 1981 में बनकर तैयार हुआ था। इसके बारे में बताया जाता है कि पुल के जर्जर होने पर शासन ने एक समिति का गठन किया था, जिसने भी संभवत: पुल के खतरनाक होने की जानकारी लिखी है। हालांकि दो साल पहले इस पुल की मरम्मत की गई थी। रोलगांव में स्थित माचक पुल भी जर्जर है, पुल की मरम्मत होने के बाद भी यहां पर खतरा बना रहता है। इस पुल के दोनों छोर पर मिट्टी के कटाव से वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है।
नेशनल हाईवे पर स्थित उप जेल के समीप सुकनी नदी का पुल भी जर्जर हो गया, हालांकि इस पुुल का निर्माण बारिश के बाद होना है। नेशनल हाईवे पर ही चारखेड़ा के समीप एक पुलिया कभी भी हादसे का सबब बन सकती है। यह पुलिया जर्जर होने के साथ ही मोढ़ पर होने और सकरी होने से कई बार हादसे होते रहते हैं। याद रहे दो साल पहले रहटगांव के पास टिमरन नदी का पुराना पुल बाढ़ में बह गया था।
जर्जर पुलों में रैलिंग भी नहीं
बैतूल। भोपाल-नागपुर हाईवे पर स्थित शाहपुर व भौंरा में माचना व सूखी नदी के पुल पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। इसके अलावा इन पर रैलिंग तक नहीं है। बैतूल से लेकर भौंरा तक 50 किलोमीटर लम्बी सड़क पर 17 पुल-पुलिया ऐसी हैं जिन पर रैलिंग नहीं हैं। शाहपुर में हाल ही में लगाई गई रैलिंग भी गायब हो चुकी है। इसी तरह बैतूल-इंदौर हाईवे पर स्थित करबला और भडूस में स्थित पुल भी बेहद खस्ता है। करबला पुल पर रैलिंग नहीं होने से हाल में एक युवक बह गया। इसके अतिरिक्त भी यहां हादसे होते रहते हैं। गांव-गांव तक सड़क पहुंचाने प्रधानमंत्री सड़कों की पुलियाओं पर भी रैलिंग नहीं हैं। बैतूल शहर में अंग्रेजों के जमाने में गंज क्षेत्र में बनाई गई तीनों पुलियाएं भी बुरी तरह जर्जर हो चुकी हैं।
7 साल से जर्जर बीना नदी का पुल
सागर। जिले के खुरई तहसील मुख्यालय से लगभग 10-12 किमी दूर स्थित निर्तला-मण्डीबामोरा मार्ग पर बीना नदी पर बना पुल करीब 7 वर्षों में ही जर्जर हो चला है। पुल की सीसी जगह-जगह से उखड़ गई है। यह मार्ग मण्डीबामोरा को सीधा खुरई से जोड़ता है। ढ़ाना पुल के दोनों ओर पर्याप्त रैलिंग नहीं है और नदी का पानी उफान में आने के कारण बारिश के मौसम में कई बार रास्ता बंद हो जाता है। बीना से सिरोंज तक बनने वाले मार्ग में बीना-सिरोंज मार्ग का निर्माण्ा कार्य टीसीआईएल कंपनी द्वारा पुरानी पुलियों पर ही सड़क बना दी गई है। यह वर्षों पुरानी होने से यह कई जगह से जजर््ार हो चुकी है। यह भोपाल, गुना जाने वाला मुख्य मार्ग है। रिफाइनरी के वायपास रोड के पास पुलिया बहुत नीचे है।
आजादी के पहले बना था यह पुल
गंजबासौदा। पारासरी नदी पर बना पुल और नगर को सिरोंज से जोड़ने के लिए बेतवा नदी का पुल आजादी से पूर्व का बना है। दोनों ही पुलों की हालत खराब है। पुराने नगर को रेलवे स्टेशन क्षेत्र से जोड़ने के लिए आजादी के पूर्व पारासरी नदी पर पुल का निर्माण कराया गया था। इस पुल पर प्रतिदिन हजारों वाहनों के आवागमन का दबाब रहता है। बासौदा-सिरोंज मार्ग पर बेतवा नदी पर भी काफी पुराना और विशाल पुल बना हुआ है। नगर को विदिशा-अशोकनगर राजमार्ग सहित सिरोंज, कुरवाई आदि क्षेत्रों से जोड़ने वाले मार्ग पर बना यह पुल भी आवागमन की दृष्टि से काफी महत्व का है। इस पुल की देखरेख में भी गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। करीब चार वर्ष पूर्व हुई भारी बरसात में इस पुल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया थ्ाा।
हाईवे की दो जानलेवा पुलिया
होशंगाबाद। एनएच 69 पर बनी दो प्रमुख पुलियाएं जानलेवा हैं। यहां अब तक कई वाहन गिर चुके हैं। इसमें कई की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं। रसूलिया क्षेत्र की दोनों पुलिया खूनी पुलिया के नाम से बदनाम है। इनके विकल्प के रूप में दूसरी पुलियाएं तैयार हो रही हैं, लेकिन इनका काम कछुआ गति से चल रहा है। हरदा मार्ग के ऊपर बनी एसपीएम के पास की संकरी पुलिया पर बीते तीन साल से रैलिंग ही नहीं है यहां पर दो ट्रक आमने सामने से टकरा गए थे, तब यहां की रैलिंग टूट गई थी। कुछ दिन तक रैलिंग का एक हिस्सा टूट गया था वह कई दिनों से खतरनाक तरीके से लटका हुआ था बाद में वह गिर गया उसके बाद से वहां पर रैंलिंग नहीं लगाई गई। एक बार तो गैस टैंकर गिर चुका है।
भारी बोझ
विदिशा। जिले के दर्जनों बूढ़े पुलों पर भारी वाहनों का बोझ पड़ रहा है। इस स्थिति में ये कभी भी किसी बड़े हादसे का शिकार हो सकते हैं। जिला मुख्यालय पर ही बेतवा पर सौ-सौ सालों से पुराने दो पुल हैं, जिन पर 20 टन से अधिक के वाहन निकलना प्रतिबंधित है, लेकिन ये प्रतिबंध केवल बोर्ड पर ही नजर आता है। पिछले तीन वर्षों में बेतवा का रंगई पुल करीब आधा दर्जन बार क्षतिग्रस्त भी हो चुका है। हालांकि दोनों पुलों के लिए करीब 50 करोड़ स्र्पए स्वीकृत हो चुके हैं। लेकिन मामला अभी विभागीय प्रक्रिया में अटका हुआ है। लोक निर्माण विभाग के ईई संजय खांडे का इस संबंध में कहना है कि जिले में कोई भी पुल ऐसा नहीं है, जिसे जर्जर घोषित किया गया है।
100 पुल-पुलिया जर्जर
छिंदवाड़ा।जिले में 1855 में से करीब 100 पुल-पुलिया जर्जर हैं। बारिश में इन पुलों से गुजर रही जिंदगी भ्ाी खतरों से होकर गुजर रही है। जिले के ग्रामीण इलाकों के अलावा शहर से लगे गुरैया और खजरी को जोड़ने वाले नालों में बने पुल सालों पुराने हो चुके हैं। यहां पर जरा सी बारिश मे आवागमन बाधित होने लगता है। सौंसर को नागपुर से जोड़ने वाली पुलिया भी परेशानी का कारण बन रही है। बाध्यानाला में बनी छोटी पुलिया जरा सी बारिश मे ही उफान पर आ रही है। जिसके चलते इस सालों पुरानी जर्जर हो चुकी पुलिया के कारण मार्ग बाधित हो जाता है। जिले के ढ़ाई सौ से अधिक पुल- पुलियों में ना तो रैलिंग है और ना ही बहने से बचने के लिए अन्य उपाय।
दो सौ पुल-पुलिया खस्ताहाल
गुना। जिला मुख्यालय से गिरे करीब 110 किमी नेशनल हाइवे क्रमांक तीन सहित गुना-फतेहगढ़-नाहरगढ़ होते हुए राजस्थान को जोड़ने वाले स्टेट हाइवे, गुना-आरोन-बीना स्टेट हाइवे सहित गुना-अशोकनगर-ईसागढ़ स्टेट सहित अन्य ग्रामीण अंचल की सड़कों पर करीब एक हजार से अधिक पुल-पुलियाएं हैं। इनमें से करीब दो सैकड़ा पुल-पुलियों की हालत बेहद जर्जर है। जिले से करीब 110 किमी का नेशनल हाइवे गुजरा है। हाइवे पर ही करीब एक सैकड़ा पुल-पुलियाएं हैं। हाइवे पर गुजरने वाले वाहनों की संख्या करीब दस हजार है। बासौदा-सिरोंज मार्ग पर बेतवा नदी का पुल जर्जर। विदिशा-अशोकनगर, सिरोंज, कुरवाई मार्ग पर बना यह पुल काफी महत्व का है।
लगता है जाम
रायसेन। जिले के दो दर्जन से अधिक पुल-पुलिया जर्जर हालत में हैं। बरेली मार्ग पर पुल ओवरफ्लों होने से कई घंटे मार्ग बंद रहता है। विदिशा मार्ग पर पगनेश्वर का बेतवा पुल भी आजादी के पूर्व का बना हुआ है। यहां लगातार दो दिन की बारिश में ही रास्ता बंद हो जाता है। इसके अलावा सिलवानी, गैरतगंज, सुल्तानपुर, उदयपुरा, उमरावगंज, औबेदुल्लागंज और अनेक स्थानों पर दर्जन पुल-पुलिया जर्जर हालत में हैं। सुल्तानगंज के पास पुल से वाहनों के गिरने की आए दिन घटनाएं होती रहती हैं। गैरतगंज में दो साल पहले पुराना पुल ट्राला के भार से दो टुकड़े हो गया था।
बकरी व करबला पुल की हालत खराब
सीहोर। शहर में सीवन नदी पर बने करबला और बकरी की हालत खराब है। इन दोनों ही पुल पर बारिश का पानी आ जाता है। दोनों पुलों पर रेलिंग नहीं लगी है। इससे हमेशा खतरा बना रहता है। यहां पर कभी भी हादसा हो सकता है। सालों से यहां पर रेलिंग नहीं लग पाई है। पुलों पर जब पानी आता है तो सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। यहां पर बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जब भी नदी में उफान आता है तो इन दोनों पुलों पर पानी जाता है। इसके बाद भी यहां से वाहन आते-जाते रहते हैं।
नगर के सीवननदी पर बने बकरी पुल पर पिछले साल जब तेज बारिश में पानी ऊपर से बहने लगा था तो दो बाइक सवार युवक इस दौरान पुल पार करने लगे थे। इसी बीच तेज बहाव के कारण वह नदी में बह गए थे। दूसरे दिन पुलिस और गोताखोरों ने इन्हें काफी तलाश किया था। इसके बाद इन दोनों के शव मिले थे।
उस समय भी नदी के दोनों तरफ वाहन चालकों को आने-जाने से रोकने वाला कोई नहीं था। जब तक इस तरह के इंतजाम नहीं किए जाएंगे तब तक समस्या बनी रहेगी। पिछले दिनों सीवन नदी पर बना पुल जर्जर हो गया था। यह पुल भोपाल-इंदौर राजमार्ग को जोड़ता है, लेकिन स्थिति जर्जर होने से इस पुल को तोड़कर नया पुल तैयार किया जा रहा है, लेकिन धीमी गति से निर्माण कार्य के चलते समय रहते इसका निर्माण नहीं हो सका है।
जर्जर तथा रैलिंग विहीन पुल-पुलियों के कारण सैकड़ों लोगों की मौत पिछले एक दशक में हुई हैं। सरकारें सचेत हुईं और जर्जर पुल- पुलियों को दुरुस्त करने के नीतिगत फैसले लिए गए हैं। मसलन सेतु विकास निगम को समाप्त कर सड़क निर्माण एजेंसी को गारंटी के साथ पुल-पुलियों के निर्माण का जिम्मे सौंपा है। नई सड़क बनेगी तब नए पुल बनेंगे। परंतु पुराने जर्जर पुल-पुलियों को कौन दुरुस्त करे इसको लेकर विभागों के बीच नूरा-कुश्ती चलती रहती है।
मप्र में ढहने की कगार पर पहुंचे पुल-पुलियों से अब भी लाखों लोग जान जोखिम में डालकर सफर करते हैं। प्रदेश के हरदा, छिंदवाड़ा, बैतूल, होशंगाबाद, रायसेन, विदिशा, सीहोर, गुना जिलों में मौत के इन जर्जर पुल-पुलियों से गुजरते वक्त न केवल ड्राइवरों बल्कि यात्रियों को भी सावधानी बरतने की जरूरत है।
अजनाल नदी का पुल कभी भी गिरने की स्थिति में
हरदा। अजनाल नदी पर बना गुप्तेश्वर पुल जर्जर हो गया है। पुल की रैलिंग भी हटा दी गई है। जिसके कारण कभी भी कोई हादसा हो सकता है। सावन माह में गुप्तेश्वर मंदिर जाने वालों की संख्या बहुत अधिक हो जाती है। ऐसे में खतरा ज्यादा बना रहता है। इसी प्रकार हरदा देवास जिले की सीमा को जोड़ने वाली नर्मदा नदी का पुल भी अब पहले जैसा मजबूत नहीं रहा है। इस पुल से भारी वाहनों के गुजरने पर कंपन होता रहता है।
बताया कि यह पुल 1981 में बनकर तैयार हुआ था। इसके बारे में बताया जाता है कि पुल के जर्जर होने पर शासन ने एक समिति का गठन किया था, जिसने भी संभवत: पुल के खतरनाक होने की जानकारी लिखी है। हालांकि दो साल पहले इस पुल की मरम्मत की गई थी। रोलगांव में स्थित माचक पुल भी जर्जर है, पुल की मरम्मत होने के बाद भी यहां पर खतरा बना रहता है। इस पुल के दोनों छोर पर मिट्टी के कटाव से वाहन चालकों को काफी परेशानी होती है।
नेशनल हाईवे पर स्थित उप जेल के समीप सुकनी नदी का पुल भी जर्जर हो गया, हालांकि इस पुुल का निर्माण बारिश के बाद होना है। नेशनल हाईवे पर ही चारखेड़ा के समीप एक पुलिया कभी भी हादसे का सबब बन सकती है। यह पुलिया जर्जर होने के साथ ही मोढ़ पर होने और सकरी होने से कई बार हादसे होते रहते हैं। याद रहे दो साल पहले रहटगांव के पास टिमरन नदी का पुराना पुल बाढ़ में बह गया था।
जर्जर पुलों में रैलिंग भी नहीं
बैतूल। भोपाल-नागपुर हाईवे पर स्थित शाहपुर व भौंरा में माचना व सूखी नदी के पुल पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं। इसके अलावा इन पर रैलिंग तक नहीं है। बैतूल से लेकर भौंरा तक 50 किलोमीटर लम्बी सड़क पर 17 पुल-पुलिया ऐसी हैं जिन पर रैलिंग नहीं हैं। शाहपुर में हाल ही में लगाई गई रैलिंग भी गायब हो चुकी है। इसी तरह बैतूल-इंदौर हाईवे पर स्थित करबला और भडूस में स्थित पुल भी बेहद खस्ता है। करबला पुल पर रैलिंग नहीं होने से हाल में एक युवक बह गया। इसके अतिरिक्त भी यहां हादसे होते रहते हैं। गांव-गांव तक सड़क पहुंचाने प्रधानमंत्री सड़कों की पुलियाओं पर भी रैलिंग नहीं हैं। बैतूल शहर में अंग्रेजों के जमाने में गंज क्षेत्र में बनाई गई तीनों पुलियाएं भी बुरी तरह जर्जर हो चुकी हैं।
7 साल से जर्जर बीना नदी का पुल
सागर। जिले के खुरई तहसील मुख्यालय से लगभग 10-12 किमी दूर स्थित निर्तला-मण्डीबामोरा मार्ग पर बीना नदी पर बना पुल करीब 7 वर्षों में ही जर्जर हो चला है। पुल की सीसी जगह-जगह से उखड़ गई है। यह मार्ग मण्डीबामोरा को सीधा खुरई से जोड़ता है। ढ़ाना पुल के दोनों ओर पर्याप्त रैलिंग नहीं है और नदी का पानी उफान में आने के कारण बारिश के मौसम में कई बार रास्ता बंद हो जाता है। बीना से सिरोंज तक बनने वाले मार्ग में बीना-सिरोंज मार्ग का निर्माण्ा कार्य टीसीआईएल कंपनी द्वारा पुरानी पुलियों पर ही सड़क बना दी गई है। यह वर्षों पुरानी होने से यह कई जगह से जजर््ार हो चुकी है। यह भोपाल, गुना जाने वाला मुख्य मार्ग है। रिफाइनरी के वायपास रोड के पास पुलिया बहुत नीचे है।
आजादी के पहले बना था यह पुल
गंजबासौदा। पारासरी नदी पर बना पुल और नगर को सिरोंज से जोड़ने के लिए बेतवा नदी का पुल आजादी से पूर्व का बना है। दोनों ही पुलों की हालत खराब है। पुराने नगर को रेलवे स्टेशन क्षेत्र से जोड़ने के लिए आजादी के पूर्व पारासरी नदी पर पुल का निर्माण कराया गया था। इस पुल पर प्रतिदिन हजारों वाहनों के आवागमन का दबाब रहता है। बासौदा-सिरोंज मार्ग पर बेतवा नदी पर भी काफी पुराना और विशाल पुल बना हुआ है। नगर को विदिशा-अशोकनगर राजमार्ग सहित सिरोंज, कुरवाई आदि क्षेत्रों से जोड़ने वाले मार्ग पर बना यह पुल भी आवागमन की दृष्टि से काफी महत्व का है। इस पुल की देखरेख में भी गंभीर लापरवाही बरती जा रही है। करीब चार वर्ष पूर्व हुई भारी बरसात में इस पुल का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया थ्ाा।
हाईवे की दो जानलेवा पुलिया
होशंगाबाद। एनएच 69 पर बनी दो प्रमुख पुलियाएं जानलेवा हैं। यहां अब तक कई वाहन गिर चुके हैं। इसमें कई की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं। रसूलिया क्षेत्र की दोनों पुलिया खूनी पुलिया के नाम से बदनाम है। इनके विकल्प के रूप में दूसरी पुलियाएं तैयार हो रही हैं, लेकिन इनका काम कछुआ गति से चल रहा है। हरदा मार्ग के ऊपर बनी एसपीएम के पास की संकरी पुलिया पर बीते तीन साल से रैलिंग ही नहीं है यहां पर दो ट्रक आमने सामने से टकरा गए थे, तब यहां की रैलिंग टूट गई थी। कुछ दिन तक रैलिंग का एक हिस्सा टूट गया था वह कई दिनों से खतरनाक तरीके से लटका हुआ था बाद में वह गिर गया उसके बाद से वहां पर रैंलिंग नहीं लगाई गई। एक बार तो गैस टैंकर गिर चुका है।
भारी बोझ
विदिशा। जिले के दर्जनों बूढ़े पुलों पर भारी वाहनों का बोझ पड़ रहा है। इस स्थिति में ये कभी भी किसी बड़े हादसे का शिकार हो सकते हैं। जिला मुख्यालय पर ही बेतवा पर सौ-सौ सालों से पुराने दो पुल हैं, जिन पर 20 टन से अधिक के वाहन निकलना प्रतिबंधित है, लेकिन ये प्रतिबंध केवल बोर्ड पर ही नजर आता है। पिछले तीन वर्षों में बेतवा का रंगई पुल करीब आधा दर्जन बार क्षतिग्रस्त भी हो चुका है। हालांकि दोनों पुलों के लिए करीब 50 करोड़ स्र्पए स्वीकृत हो चुके हैं। लेकिन मामला अभी विभागीय प्रक्रिया में अटका हुआ है। लोक निर्माण विभाग के ईई संजय खांडे का इस संबंध में कहना है कि जिले में कोई भी पुल ऐसा नहीं है, जिसे जर्जर घोषित किया गया है।
100 पुल-पुलिया जर्जर
छिंदवाड़ा।जिले में 1855 में से करीब 100 पुल-पुलिया जर्जर हैं। बारिश में इन पुलों से गुजर रही जिंदगी भ्ाी खतरों से होकर गुजर रही है। जिले के ग्रामीण इलाकों के अलावा शहर से लगे गुरैया और खजरी को जोड़ने वाले नालों में बने पुल सालों पुराने हो चुके हैं। यहां पर जरा सी बारिश मे आवागमन बाधित होने लगता है। सौंसर को नागपुर से जोड़ने वाली पुलिया भी परेशानी का कारण बन रही है। बाध्यानाला में बनी छोटी पुलिया जरा सी बारिश मे ही उफान पर आ रही है। जिसके चलते इस सालों पुरानी जर्जर हो चुकी पुलिया के कारण मार्ग बाधित हो जाता है। जिले के ढ़ाई सौ से अधिक पुल- पुलियों में ना तो रैलिंग है और ना ही बहने से बचने के लिए अन्य उपाय।
दो सौ पुल-पुलिया खस्ताहाल
गुना। जिला मुख्यालय से गिरे करीब 110 किमी नेशनल हाइवे क्रमांक तीन सहित गुना-फतेहगढ़-नाहरगढ़ होते हुए राजस्थान को जोड़ने वाले स्टेट हाइवे, गुना-आरोन-बीना स्टेट हाइवे सहित गुना-अशोकनगर-ईसागढ़ स्टेट सहित अन्य ग्रामीण अंचल की सड़कों पर करीब एक हजार से अधिक पुल-पुलियाएं हैं। इनमें से करीब दो सैकड़ा पुल-पुलियों की हालत बेहद जर्जर है। जिले से करीब 110 किमी का नेशनल हाइवे गुजरा है। हाइवे पर ही करीब एक सैकड़ा पुल-पुलियाएं हैं। हाइवे पर गुजरने वाले वाहनों की संख्या करीब दस हजार है। बासौदा-सिरोंज मार्ग पर बेतवा नदी का पुल जर्जर। विदिशा-अशोकनगर, सिरोंज, कुरवाई मार्ग पर बना यह पुल काफी महत्व का है।
लगता है जाम
रायसेन। जिले के दो दर्जन से अधिक पुल-पुलिया जर्जर हालत में हैं। बरेली मार्ग पर पुल ओवरफ्लों होने से कई घंटे मार्ग बंद रहता है। विदिशा मार्ग पर पगनेश्वर का बेतवा पुल भी आजादी के पूर्व का बना हुआ है। यहां लगातार दो दिन की बारिश में ही रास्ता बंद हो जाता है। इसके अलावा सिलवानी, गैरतगंज, सुल्तानपुर, उदयपुरा, उमरावगंज, औबेदुल्लागंज और अनेक स्थानों पर दर्जन पुल-पुलिया जर्जर हालत में हैं। सुल्तानगंज के पास पुल से वाहनों के गिरने की आए दिन घटनाएं होती रहती हैं। गैरतगंज में दो साल पहले पुराना पुल ट्राला के भार से दो टुकड़े हो गया था।
बकरी व करबला पुल की हालत खराब
सीहोर। शहर में सीवन नदी पर बने करबला और बकरी की हालत खराब है। इन दोनों ही पुल पर बारिश का पानी आ जाता है। दोनों पुलों पर रेलिंग नहीं लगी है। इससे हमेशा खतरा बना रहता है। यहां पर कभी भी हादसा हो सकता है। सालों से यहां पर रेलिंग नहीं लग पाई है। पुलों पर जब पानी आता है तो सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। यहां पर बचाव के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जब भी नदी में उफान आता है तो इन दोनों पुलों पर पानी जाता है। इसके बाद भी यहां से वाहन आते-जाते रहते हैं।
नगर के सीवननदी पर बने बकरी पुल पर पिछले साल जब तेज बारिश में पानी ऊपर से बहने लगा था तो दो बाइक सवार युवक इस दौरान पुल पार करने लगे थे। इसी बीच तेज बहाव के कारण वह नदी में बह गए थे। दूसरे दिन पुलिस और गोताखोरों ने इन्हें काफी तलाश किया था। इसके बाद इन दोनों के शव मिले थे।
उस समय भी नदी के दोनों तरफ वाहन चालकों को आने-जाने से रोकने वाला कोई नहीं था। जब तक इस तरह के इंतजाम नहीं किए जाएंगे तब तक समस्या बनी रहेगी। पिछले दिनों सीवन नदी पर बना पुल जर्जर हो गया था। यह पुल भोपाल-इंदौर राजमार्ग को जोड़ता है, लेकिन स्थिति जर्जर होने से इस पुल को तोड़कर नया पुल तैयार किया जा रहा है, लेकिन धीमी गति से निर्माण कार्य के चलते समय रहते इसका निर्माण नहीं हो सका है।
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