सर्पदंश से मौत के मामले में छत्तीसगढ़ देश के सबसे खतरनाक राज्यों में तीसरे स्थान पर है। हालांकि सर्पदंश से होने वाली मौतों का सही रिकार्ड उपलब्ध नहीं है, लेकिन अनुमान के अनुसार यहां हर साल 1000 से 1500 लोग सांपों के शिकार बनते हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार 2013 में यहां 780 लोग सांपों के शिकार बने हैं। प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता के दावों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर सर्पदंश पीड़ितों की जान नहीं बच पाती है। राज्य में सर्पदंश से सबसे ज्यादा मौतें सरगुजा और जशपुर इलाके में होती हैं।
बारिश के साथ ही लगभग पूरे राज्य में सांपों का कहर बरपना शुरू हो गया है। इस सीजन में राजधानी के सरकारी और निजी अस्पतालों में औसत दो से तीन सर्पदंश पीड़ित रोज आ रहे हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2013 में 780 मौतें हुईं। इनमें करीब साढ़े तीन सौ महिलाएं और चार सौ से अधिक पुरुष शामिल हैं। इस लिहाज से भी राज्य में हर रोज दो से अधिक लोगों की मौत सर्पदंश से हो रही है। जानकारों के अनुसार इन मौतों की सबसे बड़ी वजह जागरूकता की कमी और समय पर इलाज नहीं मिल पाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सर्पदंश के मरीज को अस्पताल पहुंचाने के बजाय झाड़फूंक कराने ले जाते हैं। हालत बिगड़ने के बाद अस्पताल लेकर जाते हैं, लेकिन तब तक जहर काफी फैल चुका होता है।
जशपुर में नागलोक
जशपुर का तपकरा और फरसाबहार इलाका नागलोक के नाम से प्रसिद्ध है। यहां सांपों की 100 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें आधा दर्जन से अधिक बेहद खतरनाक किस्म के हैं। इनमें कोबरा (नाग) करैत, वाइपर, रसल वाइपर शामिल हैं। राज्य में सर्पदंश से सबसे ज्यादा मौतें इन्हीं इलाकों में होती हैं।
सर्पदंश में टॉप (2013)
महाराष्ट्र- 5620
मध्यप्रदेश- 2885
छत्तीसगढ़- 780
आंध्रप्रदेश- 674
तमिलनाडु- 610
छत्तीसगढ़ में मौतें
2013- 780
2012- 759
2011- 823
2010- 702
2009 - 752
2008 - 686
वर्ष पुरुष महिला
2013 429 351
2012 442 318
2011 438 385
(सभी आंक़ड़े एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार)
पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है दवा
एन्टी स्नेक वेनम (सर्पदंश के इलाज की दवा) पूरे राज्य के सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
स्वागत साहू
प्रबंध संचालक, सीजीएमएससी
घबराएं नहीं, अस्पताल पहुंचाएं
सर्पदंश की घटना में घबराना नहीं चाहिए और मरीज को जल्द से जल्द नजदीक के अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए। राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी एन्टी स्नेक वेनम उपलब्ध हैं। सर्पदंश के छह घंटे बाद भी यदि यह दवा दे दी जाए तो कोई खतरा नहीं रहता। सांप जहरीला हो तो भी यह दवा असरकारी है, लेकिन मरीज को कम से कम 24 घंटे तक अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखना चाहिए, क्योंकि कई बार जहर के लक्षण या असर देर से दिखता है।
डॉ. अब्बास नकवी, वरिष्ठ डॉक्टर
दहशत की वजह से ज्यादा मौतें
छत्तीसगढ़ में सैकड़ों तरह के सांप हैं। इनमें कोबरा, करैत, वाइपर और रसल वाइपर ही ज्यादा जहरीले होते हैं। इनका जहर ज्यादा खतरनाक होता है। बाकी सांपों का जहर उनता घातक नहीं होता, लेकिन लोगों में सांपों का इतना खौफ है कि वे सर्पदंश से दहशत में आ जाते हैं और ज्यादा मौतें इसी दहशत की वजह से होती है। मेरी राय में सर्पदंश की स्थिति में कभी भी घबराना नहीं चाहिए। पीड़ित को तत्काल नजदीक के अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए।
एएल खान, अध्यक्ष, नोवा नेचर केयर
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार 2013 में यहां 780 लोग सांपों के शिकार बने हैं। प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम की उपलब्धता के दावों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर सर्पदंश पीड़ितों की जान नहीं बच पाती है। राज्य में सर्पदंश से सबसे ज्यादा मौतें सरगुजा और जशपुर इलाके में होती हैं।
बारिश के साथ ही लगभग पूरे राज्य में सांपों का कहर बरपना शुरू हो गया है। इस सीजन में राजधानी के सरकारी और निजी अस्पतालों में औसत दो से तीन सर्पदंश पीड़ित रोज आ रहे हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2013 में 780 मौतें हुईं। इनमें करीब साढ़े तीन सौ महिलाएं और चार सौ से अधिक पुरुष शामिल हैं। इस लिहाज से भी राज्य में हर रोज दो से अधिक लोगों की मौत सर्पदंश से हो रही है। जानकारों के अनुसार इन मौतों की सबसे बड़ी वजह जागरूकता की कमी और समय पर इलाज नहीं मिल पाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग सर्पदंश के मरीज को अस्पताल पहुंचाने के बजाय झाड़फूंक कराने ले जाते हैं। हालत बिगड़ने के बाद अस्पताल लेकर जाते हैं, लेकिन तब तक जहर काफी फैल चुका होता है।
जशपुर में नागलोक
जशपुर का तपकरा और फरसाबहार इलाका नागलोक के नाम से प्रसिद्ध है। यहां सांपों की 100 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें आधा दर्जन से अधिक बेहद खतरनाक किस्म के हैं। इनमें कोबरा (नाग) करैत, वाइपर, रसल वाइपर शामिल हैं। राज्य में सर्पदंश से सबसे ज्यादा मौतें इन्हीं इलाकों में होती हैं।
सर्पदंश में टॉप (2013)
महाराष्ट्र- 5620
मध्यप्रदेश- 2885
छत्तीसगढ़- 780
आंध्रप्रदेश- 674
तमिलनाडु- 610
छत्तीसगढ़ में मौतें
2013- 780
2012- 759
2011- 823
2010- 702
2009 - 752
2008 - 686
वर्ष पुरुष महिला
2013 429 351
2012 442 318
2011 438 385
(सभी आंक़ड़े एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार)
पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है दवा
एन्टी स्नेक वेनम (सर्पदंश के इलाज की दवा) पूरे राज्य के सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
स्वागत साहू
प्रबंध संचालक, सीजीएमएससी
घबराएं नहीं, अस्पताल पहुंचाएं
सर्पदंश की घटना में घबराना नहीं चाहिए और मरीज को जल्द से जल्द नजदीक के अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए। राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में भी एन्टी स्नेक वेनम उपलब्ध हैं। सर्पदंश के छह घंटे बाद भी यदि यह दवा दे दी जाए तो कोई खतरा नहीं रहता। सांप जहरीला हो तो भी यह दवा असरकारी है, लेकिन मरीज को कम से कम 24 घंटे तक अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखना चाहिए, क्योंकि कई बार जहर के लक्षण या असर देर से दिखता है।
डॉ. अब्बास नकवी, वरिष्ठ डॉक्टर
दहशत की वजह से ज्यादा मौतें
छत्तीसगढ़ में सैकड़ों तरह के सांप हैं। इनमें कोबरा, करैत, वाइपर और रसल वाइपर ही ज्यादा जहरीले होते हैं। इनका जहर ज्यादा खतरनाक होता है। बाकी सांपों का जहर उनता घातक नहीं होता, लेकिन लोगों में सांपों का इतना खौफ है कि वे सर्पदंश से दहशत में आ जाते हैं और ज्यादा मौतें इसी दहशत की वजह से होती है। मेरी राय में सर्पदंश की स्थिति में कभी भी घबराना नहीं चाहिए। पीड़ित को तत्काल नजदीक के अस्पताल पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए।
एएल खान, अध्यक्ष, नोवा नेचर केयर
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