बच्चों का सहारा बनना अच्छी बात है लेकिन उन्हें अपने भरोसे मुश्किलों का सामना करना सिखाया जाना चाहिए। तभी वे कठिनाइयों से निकलने में कामयाब रहेंगे।
स्वीकार भाव जगाइए
बच्चों को मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना सिखाने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है कि जब भी आप इस तरह की स्थितियों का सामना कर रहे हों तो बच्चों को अपने साथ रखें। उन्हें बताइए कि वे किन चीजों को नियंत्रित कर सकते हैं और किन्हें नहीं।
बच्चे माता-पिता से ही सीखते हैं कि मुश्किल परिस्थितियों में क्या किया जाना चाहिए। उन्हें स्थितियों को समझने और उनसे निपटने की कला सिखाइए। अपने बच्चे को बताइए कि संघर्ष के बाद मिली विजय किस तरह महत्वपूर्ण होती है। उन्हें यह सिखाना जरूरी है कि सबसे कठिन क्षणों में आप चीजें बहुत तेजी से किस तरह सीखते जाते हैं। अगर आपने उन्हें मुश्किल परिस्थितियों से जूझना सिखा दिया तो वे विजेता साबित होंगे।
मुश्किलों की पूरी तैयारी
जब हम बच्चों को कठिन दिनों का सामना करना सिखाते हैं तो हम उन्हें यह भी सिखाते हैं कि वे अपनी तैयारी कैसे करें। इसका एक तरीका तो यह हो सकता है कि आप उन्हें अपने जीवन की घटनाएं बताएं और यह भी बताएं कि किस तरह उन घटनाओं ने आपको बेहतर सबक सीखने में मदद की। जब भी बच्चे किसी बात को लेकर परेशान हों तो उन्हें बताएं कि किस तरह एक योद्धा मुश्किलों को परास्त कर सकता है। उनमें उत्साह और विश्वास जगाना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
टालने की आदत से बचना
चुनौतीपूर्ण स्थितियों से बच निकलना मानव स्वभाव होता है। हम सभी कठिन स्थितियों से बचने का प्रयास करते हैं। हालांकि अपने जीवन की उन चुनौतियों के बारे में सोचें जो आपने झेलीं और जिनसे आप मजबूत होकर निकले। इन स्थितियों ने आपको अधिक धैर्यवान, सहनशील, लचीला, साहसी, समझदार और करुणावान बनाया। अगर आप अपने बच्चों में इन गुणों का विकास करना चाहते हैं तो उन्हें मुश्किल स्थितियों से रूबरू करवाना चाहिए।
बच्चों की मदद के लिए मौजूद रहिए लेकिन उसे खुद चीजें करने का विश्वास भी दिलाइए। अगर आप अभी तक हर कदम पर बच्चों की मदद करते रहे हैं तो एकदम उन्हें अकेला छोड़ना ठीक नहीं है। लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता उन्हें चुनौतियों का सामना करना सिखाना चाहिए। ताकि वे निराश नहीं हों और चीजों का सामना करने का आत्मविश्वास जगा पाएं।
स्वीकार भाव जगाइए
बच्चों को मुश्किल परिस्थितियों का सामना करना सिखाने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है कि जब भी आप इस तरह की स्थितियों का सामना कर रहे हों तो बच्चों को अपने साथ रखें। उन्हें बताइए कि वे किन चीजों को नियंत्रित कर सकते हैं और किन्हें नहीं।
बच्चे माता-पिता से ही सीखते हैं कि मुश्किल परिस्थितियों में क्या किया जाना चाहिए। उन्हें स्थितियों को समझने और उनसे निपटने की कला सिखाइए। अपने बच्चे को बताइए कि संघर्ष के बाद मिली विजय किस तरह महत्वपूर्ण होती है। उन्हें यह सिखाना जरूरी है कि सबसे कठिन क्षणों में आप चीजें बहुत तेजी से किस तरह सीखते जाते हैं। अगर आपने उन्हें मुश्किल परिस्थितियों से जूझना सिखा दिया तो वे विजेता साबित होंगे।
मुश्किलों की पूरी तैयारी
जब हम बच्चों को कठिन दिनों का सामना करना सिखाते हैं तो हम उन्हें यह भी सिखाते हैं कि वे अपनी तैयारी कैसे करें। इसका एक तरीका तो यह हो सकता है कि आप उन्हें अपने जीवन की घटनाएं बताएं और यह भी बताएं कि किस तरह उन घटनाओं ने आपको बेहतर सबक सीखने में मदद की। जब भी बच्चे किसी बात को लेकर परेशान हों तो उन्हें बताएं कि किस तरह एक योद्धा मुश्किलों को परास्त कर सकता है। उनमें उत्साह और विश्वास जगाना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
टालने की आदत से बचना
चुनौतीपूर्ण स्थितियों से बच निकलना मानव स्वभाव होता है। हम सभी कठिन स्थितियों से बचने का प्रयास करते हैं। हालांकि अपने जीवन की उन चुनौतियों के बारे में सोचें जो आपने झेलीं और जिनसे आप मजबूत होकर निकले। इन स्थितियों ने आपको अधिक धैर्यवान, सहनशील, लचीला, साहसी, समझदार और करुणावान बनाया। अगर आप अपने बच्चों में इन गुणों का विकास करना चाहते हैं तो उन्हें मुश्किल स्थितियों से रूबरू करवाना चाहिए।
बच्चों की मदद के लिए मौजूद रहिए लेकिन उसे खुद चीजें करने का विश्वास भी दिलाइए। अगर आप अभी तक हर कदम पर बच्चों की मदद करते रहे हैं तो एकदम उन्हें अकेला छोड़ना ठीक नहीं है। लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता उन्हें चुनौतियों का सामना करना सिखाना चाहिए। ताकि वे निराश नहीं हों और चीजों का सामना करने का आत्मविश्वास जगा पाएं।
Source: Spiritual Hindi Stories & Rashifal 2014
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