Thursday, 31 July 2014

Contractors is leaving horoscope

ठेकेदारों के पुराने पंजीयन शासन के आदेशानुसार निरस्त हो चुके हैं। इसे देखते हुए निगम ने ठेकेदारों की कुंडली निकालनी शुरू कर दी है। जिन पर कोई आरोप या पुराना बकाया होगा,उसकी पहले वसूली की जाएगी। इसके बाद ही निगम में जमा उनकी सुरक्षा निधि वापस की जाएगी।

पूरे प्रदेश में ठेकेदारी व्यवस्था अब बदल गई है। इसके तहत सभी ठेकेदारों को ई-पंजीयन कराना अनिवार्य कर दिया गया है। जिन ठेकेदारों का पुराना विभागवार पंजीयन है वह 26 जुलाई से समाप्त हो गया है। ऐसी स्थिति में ठेकेदार अब निगम में जमा अपनी सुरक्षा निधि लेने के लिए आ रहे हैं। 12 ठेकेदारों को उनकी सुरक्षा निधि लौटाई भी जा चुकी है।

इधर निगम अपने ठेकेदारों से अंतिम संबंध तोड़ने के पूर्व उनकी भी कुंडली खंगाल रहा है। इसमें उन पर किसी तरह की लेनदारी बकाया या अन्य कोई दंड की जानकारी ली जा रही है। जिन पर बकाया निकल रहा है,उनकी अमानत राशि लौटाने के पूर्व वसूली करने की तैयारी है, ताकी निगम को घाटा न हो। यहां यह बताना लाजिमी है कि निगम के अधिकांश पुराने ठेकेदार अब तक अपना ई-पंजीयन नहीं करा पाए हैं। इसके चलते निगम से निकलने वाले काम की निविदा में वे नहीं ले पाएंगे।

ठेकेदारों में नाराजगी

नगर निगम के ठेकेदार नई पंजीयन व्यवस्था को लागू करने से खासे नाराज हैं। इसके चलते उन्होंने आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। उनका आरोप है कि पंजीयन व्यवस्था बिना व्यापक प्रचार-प्रसार लागू कर दी है। इसके चलते निगम के ज्यादातर ठेकेदार अपना पंजीयन नहीं करा पाए हैं। अगर इसे अनिवार्य रूप से लागू किया गया तो ठेकेदारों के अलावा निगम को भी नुकसान होगा।

नई ठेकेदारी व्यवस्था लागू करने के पूर्व व्यापार प्रचार-प्रसार नहीं हुआ है। इसके अलावा जिन ठेकेदारों ने पंजीयन कराने की प्रक्रिया शुरू की है,उसमें काफी समय लगाया जा रहा है। इससे ठेकेदार अपात्र हो रहे हैं। शासन से और समय देने की मांग की जाएगी। - राजकुमार तिवारी, सचिव, नगर निगम ठेकेदार संघ

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