किरंदुल से लौह अयस्क भरकर विशाखापट्टनम जाने वाली एक मालगाड़ी रविवार रात नक्सली बैनर के साथ पूरी रात बस्तर में दौड़ती में रही। रास्ते में चार थाना क्षेत्रों व दक्षिण-मध्य बस्तर के दर्जन भर स्टेशनों जिसमें संभागीय मुख्यालय स्थित जगदलपुर भी शामिल है को पार कर ट्रेन आगे भी बढ़ गई लेकिन रेलवे कर्मचारियों व आरपीएफ को मालगाड़ी के डिब्बे में नक्सली बैनर बंधे होने की भनक तक नहीं लगी।
जगदलपुर के आगे तड़के साढ़े तीन बजे नक्टीसेमरा स्टेशन में ड्यूटीरत टोकन पोर्टर की नजर नक्सलियों द्वारा बांधे गए बैनर पर पड़ी। टोकन पोर्टर ने स्टेशन मास्टर को सूचना दी पर जब तक कार्रवाई शुरू होती मालगाड़ी बस्तर की सीमा को पार कर ओडिशा में प्रवेश कर गई थी।
ओडिशा स्थित आम्बांगांव के स्टेशन मास्टर को सूचना देकर तड़के चार बजे मालगाड़ी रोकी गई। आम्बांगांव के स्टेशन मास्टर नफीज अहमद ने बताया कि इंजन से पीछे 32 वें नंबर के डिब्बे में नक्सली बैनर मिला जिसे जप्त कर मालगाड़ी को आगे रवाना किया गया।
जगदलपुर में 20 मिनट खड़ी थी मालगाड़ी
रात तीन बजे नक्सली बैनर के साथ मालगाड़ी बीडीएफ 245 जगदलपुर पहुंची थी। यहां रनिंग रूम होने से ट्रेन के ड्रायवरों की अदला बदली होती है इसलिए ट्रेन करीब 20 मिनट स्टेशन स्थित मेन लाइन में खड़ी रही। इस दौरान भी किसी की नजर नक्सली बैनर पर नहीं पड़ी। तीन बजकर 20 मिनट पर मालगाड़ी यहां आगे रवाना हुई थी। मालगाड़ी के ड्रायवर ने बताया कि वह रविवार दोपहर मालगाड़ी लेकर किरंदुल से रवाना हुआ था। ड्रायवर के अनुसार रात में दंतेवाड़ा-डिलमिली के बीच किसी स्टेशन में बैनर बांधा गया होगा।
पहले भी बैनर लेकर आई हैं ट्रेनें
इसके पहले भी नक्सली केके रेललाइन में चलने वाली मालगाड़ियों व पैसेंजर ट्रेन में बैनर बांधते रहे हैं। आमतौर पर नक्सलियों द्वारा दक्षिण बस्तर के नक्सल प्रभावित किरंदुल रेल सेक्शन में बैनर बांधा जाता रहा है। आम्बागांव में जप्त बैनर में नक्सलियों द्वारा 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीद सप्ताह मनाने, आपरेशन ग्रीनहंट को हराने आदि बातें लिखी गई हैं।
जगदलपुर के आगे तड़के साढ़े तीन बजे नक्टीसेमरा स्टेशन में ड्यूटीरत टोकन पोर्टर की नजर नक्सलियों द्वारा बांधे गए बैनर पर पड़ी। टोकन पोर्टर ने स्टेशन मास्टर को सूचना दी पर जब तक कार्रवाई शुरू होती मालगाड़ी बस्तर की सीमा को पार कर ओडिशा में प्रवेश कर गई थी।
ओडिशा स्थित आम्बांगांव के स्टेशन मास्टर को सूचना देकर तड़के चार बजे मालगाड़ी रोकी गई। आम्बांगांव के स्टेशन मास्टर नफीज अहमद ने बताया कि इंजन से पीछे 32 वें नंबर के डिब्बे में नक्सली बैनर मिला जिसे जप्त कर मालगाड़ी को आगे रवाना किया गया।
जगदलपुर में 20 मिनट खड़ी थी मालगाड़ी
रात तीन बजे नक्सली बैनर के साथ मालगाड़ी बीडीएफ 245 जगदलपुर पहुंची थी। यहां रनिंग रूम होने से ट्रेन के ड्रायवरों की अदला बदली होती है इसलिए ट्रेन करीब 20 मिनट स्टेशन स्थित मेन लाइन में खड़ी रही। इस दौरान भी किसी की नजर नक्सली बैनर पर नहीं पड़ी। तीन बजकर 20 मिनट पर मालगाड़ी यहां आगे रवाना हुई थी। मालगाड़ी के ड्रायवर ने बताया कि वह रविवार दोपहर मालगाड़ी लेकर किरंदुल से रवाना हुआ था। ड्रायवर के अनुसार रात में दंतेवाड़ा-डिलमिली के बीच किसी स्टेशन में बैनर बांधा गया होगा।
पहले भी बैनर लेकर आई हैं ट्रेनें
इसके पहले भी नक्सली केके रेललाइन में चलने वाली मालगाड़ियों व पैसेंजर ट्रेन में बैनर बांधते रहे हैं। आमतौर पर नक्सलियों द्वारा दक्षिण बस्तर के नक्सल प्रभावित किरंदुल रेल सेक्शन में बैनर बांधा जाता रहा है। आम्बागांव में जप्त बैनर में नक्सलियों द्वारा 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीद सप्ताह मनाने, आपरेशन ग्रीनहंट को हराने आदि बातें लिखी गई हैं।
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