करेली, कामता और मुसवा नवागांव में फिर डायरिया फैल गया है। इन गांवों के आधा दर्जन से ज्यादा डायरिया पीड़ितों को सिमगा अस्पताल में भर्ती किया गया है। सात दिन पूर्व ब्लॉक के कामता, मुसवानवागांव, करेली में डायरिया के प्रकोप के कारण अनेक लोग पीड़ित थे। सबसे ज्यादा खराब स्थिति करेली में थी। स्वास्थ्य विभाग के अमला ने प्रभावित गांवों में कैंप लगाकर मरीजों का उपचार किया था।
वहीं पेयजल स्त्रोत की सफाई के लिए क्लोरिन की दवाई बांटे थे। गंदे स्थान पर ब्लीचिंग पावडर छिड़का गया। जैसे-तैसे डायरिया पर नियंत्रण पा लिया गया लेकिन पिछले दो दिनों से फिर से करेली, कामता एवं मुसवानगॉव तथा बछेरा में डायरिया का प्रकोप फैल गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिमगा में सोमवार को ग्राम कामता के सुकवारो बाई, गीता बाई, बिरबल, कौसल एवं तीन साल की बच्ची राधिका तथा मुसवा नवागॉव के चिंताराम, बासन बाई, पौसरी के धनाराम एवं बछेरा के मुकेश साहू भर्ती है।
बीएमओ डॉ. जीएस सोम ने बताया कि प्रभावित गॉव में कैंप तो नही लगाया है लेकिन उस क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकताओं को दवाई वितरण करने एवं स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मैने पूर्व में ही बता दिया था की इन गांवों में पेयजल के लिए बिछे पाइप लाइन में कुछ स्थानों पर छेद हो गया है जिसमें से गंदा पानी रिसकर पाइप लाइन से घर तक पहुंच रहा है। इसकी जानकारी एसडीएम एवं पीएचई विभाग को दी गई थी लेकिन डायरिया के दुबारा लौटने से ऐसा लगता है कि पेयजल स्त्रोत को दुरुस्त नही किया गया है।
पोल्ट्री फार्म की बदबू से ग्रामीण परेशान
उल्लेखनीय है कि ग्राम कामता में 30 एकड़ में स्थित पोल्ट्री फार्म से आने वाले तेज बदबू एवं बड़ी-बड़ी हरे रंग की मक्खियों से कामता ही नही बल्की पौसरी, ओटगन, लांजा, बिनैका, मुसवानवागांव, झिरिया डोगरीया, रिंगनी आदि गांवों के लोग काफी परेशान हैं। बार-बार ग्रामीणों द्वारा पोल्ट्री फार्म के खिलाफ शिकायत करने के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई।
अगर इस स्थिती पर शीघ्र नियंत्रण नहीं किया गया तो बड़ी बीमारी फैलने की आशंका है। इस संबंध में बीएमओ डॉ.जीएस सोम का कहना है कि बरसात के मौसम में प्रायः सभी गांवों में उल्टी-दस्त के छिटपुट मरीज पाए जाते हैं। लोगो को अपने खाने पीने का विषेश ध्यान रखना चाहिए। रही सवाल बड़ी-बड़ी मक्खियों का तो यह वाकई चिंता की बात है। ऐसे मक्खियों से बहुत जल्द इंफैक्शन होने का खतरा बना रहता है।
वहीं पेयजल स्त्रोत की सफाई के लिए क्लोरिन की दवाई बांटे थे। गंदे स्थान पर ब्लीचिंग पावडर छिड़का गया। जैसे-तैसे डायरिया पर नियंत्रण पा लिया गया लेकिन पिछले दो दिनों से फिर से करेली, कामता एवं मुसवानगॉव तथा बछेरा में डायरिया का प्रकोप फैल गया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सिमगा में सोमवार को ग्राम कामता के सुकवारो बाई, गीता बाई, बिरबल, कौसल एवं तीन साल की बच्ची राधिका तथा मुसवा नवागॉव के चिंताराम, बासन बाई, पौसरी के धनाराम एवं बछेरा के मुकेश साहू भर्ती है।
बीएमओ डॉ. जीएस सोम ने बताया कि प्रभावित गॉव में कैंप तो नही लगाया है लेकिन उस क्षेत्र के स्वास्थ्य कार्यकताओं को दवाई वितरण करने एवं स्थिति पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मैने पूर्व में ही बता दिया था की इन गांवों में पेयजल के लिए बिछे पाइप लाइन में कुछ स्थानों पर छेद हो गया है जिसमें से गंदा पानी रिसकर पाइप लाइन से घर तक पहुंच रहा है। इसकी जानकारी एसडीएम एवं पीएचई विभाग को दी गई थी लेकिन डायरिया के दुबारा लौटने से ऐसा लगता है कि पेयजल स्त्रोत को दुरुस्त नही किया गया है।
पोल्ट्री फार्म की बदबू से ग्रामीण परेशान
उल्लेखनीय है कि ग्राम कामता में 30 एकड़ में स्थित पोल्ट्री फार्म से आने वाले तेज बदबू एवं बड़ी-बड़ी हरे रंग की मक्खियों से कामता ही नही बल्की पौसरी, ओटगन, लांजा, बिनैका, मुसवानवागांव, झिरिया डोगरीया, रिंगनी आदि गांवों के लोग काफी परेशान हैं। बार-बार ग्रामीणों द्वारा पोल्ट्री फार्म के खिलाफ शिकायत करने के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई।
अगर इस स्थिती पर शीघ्र नियंत्रण नहीं किया गया तो बड़ी बीमारी फैलने की आशंका है। इस संबंध में बीएमओ डॉ.जीएस सोम का कहना है कि बरसात के मौसम में प्रायः सभी गांवों में उल्टी-दस्त के छिटपुट मरीज पाए जाते हैं। लोगो को अपने खाने पीने का विषेश ध्यान रखना चाहिए। रही सवाल बड़ी-बड़ी मक्खियों का तो यह वाकई चिंता की बात है। ऐसे मक्खियों से बहुत जल्द इंफैक्शन होने का खतरा बना रहता है।
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