भोपाल। प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से राज्य सरकार ने अपनी फोर्स और गाड़ियां वापस ले ली। उमा को प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी और अन्य सुविधाएं मिली हुई थीं।
वे अब उत्तरप्रदेश से सांसद हो गई हैं, जिसके चलते राज्य सरकार ने अपनी सुविधाएं वापस ली। वैसे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है और इसी कारण सुरक्षा से लेकर सारी सुविधाएं उन्हें प्रदेश सरकार मुहैया करवा रही है।
सूत्रों के मुताबिक कुछ दिनों पहले राज्य सरकार ने पूर्व सीएम उमा भारती को प्रदेश से मुहैया करवाई गई सुरक्षा और अन्य सुविधाएं वापस ले ली। उनके पास सिर्फ जेड सिक्युरिटी के तहत मिला अमला ही बचा। सूत्रों का दावा है कि जब बिना पूर्व सूचना के मध्यप्रदेश भवन ने सारी गाड़ियां और अमला बुलाया, तब केंद्रीय मंत्री की जेड सिक्युरिटी का अमला बिना कारकेट के हो गया।
मामले की भनक उमा भारती को लगी तो उन्होंने नाराजगी जताई, जिसके बाद आनन-फानन में फिर सारी सुविधाएं बहाल कर दी गईं। इधर राज्य सरकार के अफसर इस कार्रवाई के लिए अलग-अलग बयान दे रहे हैं। कोई कह रहा है कि वे अब केंद्रीय मंत्री बन गई हैं इसलिए राज्य ने अपना अमला वापस लिया।
वहीं मप्र भवन के अपर आयुक्त हरजस सिंह गाड़ी अमला वापस लिए जाने से ही इंकार कर रहे हैं। वहीं एमपी भवन की सुरक्षा अधिकारी मंजू खत्री ने कहा कि पूर्व सीएम की सुरक्षा में अमला लगा हुआ है, वापस बुलाने का सवाल ही नहीं है। उधर पुलिस के आला अफसर कहते हैं कि वे अब उत्तर प्रदेश से सांसद बन गईं हैं इसलिए यूपी सरकार उन्हें सुविधाएं मुहैया करवाएगी।
वहीं राजनेताओं की मानें तो प्रदेश में चल रहे राजनीतिक उठापटक के चलते ये कार्रवाई की गई है। प्रशासनिक अधिकारी कहते हैं कि जो पूर्व मुख्यमंत्री सांसद या विधायक होगा, उसे प्रदेश में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होगा। इस नाते दिग्विजय सिंह को भी बंगले से लेकर गाड़ियां और सुरक्षा अमला मिला हुआ है। वे कहते हैं कि यही स्थिति उमा भारती की है। वे भले ही केंद्रीय मंत्री हैं लेकिन राज्य से सुविधा पाने की हकदार हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश थे इसलिए हटाई सुरक्षा
देश भर से चुने सांसद राज्यों से प्राप्त सिक्युरिटी गार्ड और वाहनों के साथ नई दिल्ली स्थित राज्यसभा, लोकसभा जैसे महत्वपूर्ण और हाई सिक्युरिटी जोन में पहुंचते थे। इसके चलते निगरानी में लगे सुरक्षा बलों को एसपीजी और राज्य पुलिस के वाहनों की पहचान में दिक्कत पेश आती थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सांसदों को दिल्ली पहुंचने पर राज्य से मिली फोर्स और वाहनों का इस्तेमाल केवल तीन दिन तक करने की छूट दी थी। उमा भारती के प्रकरण को भी इसी से जोड़ा जा रहा है। पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे के मुताबिक आदेश के परिपालन में दिल्ली के एसीपी यातायात ने सुरक्षा में लगे वाहनों को हटा दिया था लेकिन एमपी भवन ने बाद में अतिरिक्त वाहन उपलब्ध करा दिए थे।
वे अब उत्तरप्रदेश से सांसद हो गई हैं, जिसके चलते राज्य सरकार ने अपनी सुविधाएं वापस ली। वैसे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त है और इसी कारण सुरक्षा से लेकर सारी सुविधाएं उन्हें प्रदेश सरकार मुहैया करवा रही है।
सूत्रों के मुताबिक कुछ दिनों पहले राज्य सरकार ने पूर्व सीएम उमा भारती को प्रदेश से मुहैया करवाई गई सुरक्षा और अन्य सुविधाएं वापस ले ली। उनके पास सिर्फ जेड सिक्युरिटी के तहत मिला अमला ही बचा। सूत्रों का दावा है कि जब बिना पूर्व सूचना के मध्यप्रदेश भवन ने सारी गाड़ियां और अमला बुलाया, तब केंद्रीय मंत्री की जेड सिक्युरिटी का अमला बिना कारकेट के हो गया।
मामले की भनक उमा भारती को लगी तो उन्होंने नाराजगी जताई, जिसके बाद आनन-फानन में फिर सारी सुविधाएं बहाल कर दी गईं। इधर राज्य सरकार के अफसर इस कार्रवाई के लिए अलग-अलग बयान दे रहे हैं। कोई कह रहा है कि वे अब केंद्रीय मंत्री बन गई हैं इसलिए राज्य ने अपना अमला वापस लिया।
वहीं मप्र भवन के अपर आयुक्त हरजस सिंह गाड़ी अमला वापस लिए जाने से ही इंकार कर रहे हैं। वहीं एमपी भवन की सुरक्षा अधिकारी मंजू खत्री ने कहा कि पूर्व सीएम की सुरक्षा में अमला लगा हुआ है, वापस बुलाने का सवाल ही नहीं है। उधर पुलिस के आला अफसर कहते हैं कि वे अब उत्तर प्रदेश से सांसद बन गईं हैं इसलिए यूपी सरकार उन्हें सुविधाएं मुहैया करवाएगी।
वहीं राजनेताओं की मानें तो प्रदेश में चल रहे राजनीतिक उठापटक के चलते ये कार्रवाई की गई है। प्रशासनिक अधिकारी कहते हैं कि जो पूर्व मुख्यमंत्री सांसद या विधायक होगा, उसे प्रदेश में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होगा। इस नाते दिग्विजय सिंह को भी बंगले से लेकर गाड़ियां और सुरक्षा अमला मिला हुआ है। वे कहते हैं कि यही स्थिति उमा भारती की है। वे भले ही केंद्रीय मंत्री हैं लेकिन राज्य से सुविधा पाने की हकदार हैं।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश थे इसलिए हटाई सुरक्षा
देश भर से चुने सांसद राज्यों से प्राप्त सिक्युरिटी गार्ड और वाहनों के साथ नई दिल्ली स्थित राज्यसभा, लोकसभा जैसे महत्वपूर्ण और हाई सिक्युरिटी जोन में पहुंचते थे। इसके चलते निगरानी में लगे सुरक्षा बलों को एसपीजी और राज्य पुलिस के वाहनों की पहचान में दिक्कत पेश आती थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सांसदों को दिल्ली पहुंचने पर राज्य से मिली फोर्स और वाहनों का इस्तेमाल केवल तीन दिन तक करने की छूट दी थी। उमा भारती के प्रकरण को भी इसी से जोड़ा जा रहा है। पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे के मुताबिक आदेश के परिपालन में दिल्ली के एसीपी यातायात ने सुरक्षा में लगे वाहनों को हटा दिया था लेकिन एमपी भवन ने बाद में अतिरिक्त वाहन उपलब्ध करा दिए थे।
Source: MP Hindi News & Chhattisgarh Hindi News
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