Friday, 18 July 2014

Naxal protest on ration card

सत्यापन के नाम पर लोगों के राशनकार्ड निरस्त किए जाने का नक्सलियों ने विरोध किया है। माओवादियों का आरोप है कि भाजपा ने गोदामों में सड़ रहे अनाज का चुनावी फायदा उठाने के लिए ताबड़तोड़ राशनकार्ड बना दिए और अब सत्यापन के नाम पर लोगों के नाम काटे जा रहे हैं। इस मामले में कांग्रेस की भूमिका पर भी नक्सलियों ने सवाल उठाया है कि जब गलत तरीके से कार्ड बन रहे थे तब कांग्रेसी खामोश क्यों बैठे थे?

माओवादियों की ओडिशा राज्य कमेटी के प्रवक्ता शरतचंद्र मांझी के नाम से जारी एक मेल में नक्सलियों ने राशनकार्ड का सत्यापन ग्रामसभा या मोहल्लासभा के जरिए कराने की मांग की है। मीडिया को जारी लिखित बयान में माओवादी प्रवक्ता ने कहा है कि सरकार ने किसानों का अनाज औने-पौने दामों में खरीदकर गोदाम में भर दिया था, जहां वह सड़ रहा था। सरकारों के पास बोरा खरीदने के लिए भी पैसा नहीं था, इस वजह से अनाज सड़ने लगा था। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी।

इसका नतीजा यह कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कल्याणकारी योजना के नाम पर राशनकार्ड के जरिए सस्ता अनाज बांटना शरू किया। इसके लिए नए नियम बनाए गए और सारे कार्ड निरस्त कर महिलाओं के नाम पर कार्ड बनाए गए। इस बीच 4 फरवरी को कांग्रेस ने सवाल उठाया तो सरकार ने बताया कि अब तक 70 लाख कार्ड बने हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि यह तो राज्य की जनसंख्या के अनुपात से अधिक है, इसमें धांधली हुई है, इसकी जांच होनी चाहिए।

माओवादी प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा लगा जैसे सरकार कांग्रेस की इसी मांग का इंतजार कर रही थी, मांग उठते ही सरकार ने तत्काल जांच के निर्देश दिए और अब धड़ाधड़ कार्ड निरस्त किए जा रहे हैं। इसके लिए आधार यह बनाया गया है कि एक ही छत के नीचे रहने वालों का एक से अधिक कार्ड नहीं बन सकता। माओवादियों ने मांग की है कि राशनकार्ड निरस्त किए जाने की प्रक्रिया तत्काल बंद की जाए। ग्रामसभा और मोहल्लासभा के जरिए सत्यापन कराया जाए और इसके पूरा होने तक पुराने राशनकार्डों पर लोगों को निर्बाध राशन दिया जाए।

नक्सलियों की मांग

0. राशनकार्ड का सत्यापन ग्रामसभा व मोहल्ला सभा के जरिए किया जाए।

0. पुराने राशनकार्ड पर राशन दिया जाए, जब तक कि प्रक्रिया पूरी न हो जाए।

0. धांधली व भ्रष्टाचार फैलाने वाले अधिकारियों को कड़ी सजा दी जाए।

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