लगभग 900 किमी की यात्रा पूरी कर बेटी जैसे ही मायके के दरवाजे पर पहुंची उसकी शंका-कुशंका हकीकत में बदल गई। कुछ ही देर में अस्पताल के वाहन से पिता व भाइयों के शव कुटुम्बजनों ने जैसे ही उतारे वैसे ही इकलौती बेटी सोनू (खुश्बू) सहित परिजन बदहवास होकर शवों से लिपट गए। स्थिति संभाली और घर से एक साथ तीनों की अर्थियां निकाली गई। आंसूओं के सैलाब के बीच मुक्तिधाम में बेटी सोनू ने मुखाग्नि दी।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार की सुबह कालादेवल मार्ग स्थित एक मकान में करंट से नवीन कंसारे सहित उसके दोनों बेटे जगदीश व कुलदीप की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद पड़ोसी व परिजनों ने इस परिवार की एकमात्र बेटी सोनू को मनोहरपुर (राजस्थान) सूचना दी।
रेशम की डोर, पर छूट गया साथ
अर्थियां उठने के पूर्व कुटुम्बजनों ने अंतिम रस्में निभाई। इस रस्म में उस समय सभी भावुक हो गए जब स्थिर कलाइयों पर सोनू व उसकी बुआओं ने राखी की प्रतीक रेशम की डोर बांधी। सोनू बिलख-बिलखकर सिर्फ भाइयों से दुआएं मांगती रही।
यह जानते हुए भी कि यह कलाई और यह साथ आखरी है। इसके बाद अर्थियों को भारी मन से उठाया गया। जिस मार्ग से अर्थियों को मुक्तिधाम ले जाया गया वहां भी शोक छा गया। यहां सामूहिक निर्णय के बाद चचेरे भाई अमन के सहयोग से सोनू ने मुखाग्नि दी।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार की सुबह कालादेवल मार्ग स्थित एक मकान में करंट से नवीन कंसारे सहित उसके दोनों बेटे जगदीश व कुलदीप की दर्दनाक मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद पड़ोसी व परिजनों ने इस परिवार की एकमात्र बेटी सोनू को मनोहरपुर (राजस्थान) सूचना दी।
रेशम की डोर, पर छूट गया साथ
अर्थियां उठने के पूर्व कुटुम्बजनों ने अंतिम रस्में निभाई। इस रस्म में उस समय सभी भावुक हो गए जब स्थिर कलाइयों पर सोनू व उसकी बुआओं ने राखी की प्रतीक रेशम की डोर बांधी। सोनू बिलख-बिलखकर सिर्फ भाइयों से दुआएं मांगती रही।
यह जानते हुए भी कि यह कलाई और यह साथ आखरी है। इसके बाद अर्थियों को भारी मन से उठाया गया। जिस मार्ग से अर्थियों को मुक्तिधाम ले जाया गया वहां भी शोक छा गया। यहां सामूहिक निर्णय के बाद चचेरे भाई अमन के सहयोग से सोनू ने मुखाग्नि दी।
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