भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए खास माह श्रावण आज यानी रविवार से शुरू हो गया है। शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है।
गौरतलब है कि इस महीने शिव भक्त गंगाजल लेने यानी कांवड़ का पवित्र जल लेने हरिद्वार, ऋषिकेश, काशी और गंगासागर की यात्रा पैदल करके श्रावण कृष्ण चतुर्दशी को अपने क्षेत्र के शिवमंदिर में शिवलिंग का अभिषेक कर पुण्य अर्जित करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है, जो प्रतिदिन पूजन न कर सकें उन्हें सोमवार को शिव पूजा अवश्य करनी चाहिए और व्रत रखना चाहिए।
सोमवार भगवान शंकर का प्रिय दिन है, अतः सोमवार को शिवाराधना करनी चाहिए। श्रावण में पार्थिव शिवपूजा व शिवमहापुराण की कथा सुनने का विशेष महत्त्व है। भगवान शिव का यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।
श्रावण मास में हुआ था समुद्र मंथन
मनीषियों का कहना है कि समुद्र मंथन भी श्रावन मास में ही हुआ। इस मंथन मंज 14 प्रकार के तत्व निकले। इसमें जहर को छोड़ कर सभी 13 तत्वों को देवताओं और राक्षसों में वितरित किया गया।
इन सभी तत्वों में से निकले जहर को भगवान शिव पी गए और इसे अपने कंठ में संग्रह कर लिया। इस प्रकार इनका नाम नील कंठ पड़ा। इसके बाद देवताओं ने भगवान शिव को जहर के संताप से बचाने के लिए उन्हें गंगा जल अर्पित किया। इसके बाद से ही शिव भक्त श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
ऐसे प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ
श्रावन मास में रुद्राक्ष पहनना बहुत ही शुभ माना गया है। इसलिए पूरे मास रुद्राक्ष की माला धारण करें व रुद्राक्ष माला का जाप करें
शिव को भभूती लगाएं। अपने मस्तक पर भी लगाएं।
शिव चालीसा और आरती का गायन करें ।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें ।
सोमवार को श्रद्धापूर्वक व्रत धारण करें (यदि पूरे दिन का व्रत संभव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत धारण किया जा सकता है)
बेलपत्र, दूध, शहद और पानी से शिवलिंग का अभिषेक करें।
श्रावण मास के अन्य व्रत
अपशकुनों से बचनें के लिए नवविवाहित जोड़ों को मंगलागौरी व्रत धारण करना चाहिए।
शुक्रवार को सुहागिन स्त्रियों को वरदलक्ष्मी व्रत (श्रावण शुक्रवार व्रत) धारण करना चाहिए।
ऊँ नमः शिवाय। का जप चलते, फिरते, उठते-बैठते करते रहना चाहिए।
गौरतलब है कि इस महीने शिव भक्त गंगाजल लेने यानी कांवड़ का पवित्र जल लेने हरिद्वार, ऋषिकेश, काशी और गंगासागर की यात्रा पैदल करके श्रावण कृष्ण चतुर्दशी को अपने क्षेत्र के शिवमंदिर में शिवलिंग का अभिषेक कर पुण्य अर्जित करते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व है, जो प्रतिदिन पूजन न कर सकें उन्हें सोमवार को शिव पूजा अवश्य करनी चाहिए और व्रत रखना चाहिए।
सोमवार भगवान शंकर का प्रिय दिन है, अतः सोमवार को शिवाराधना करनी चाहिए। श्रावण में पार्थिव शिवपूजा व शिवमहापुराण की कथा सुनने का विशेष महत्त्व है। भगवान शिव का यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है।
श्रावण मास में हुआ था समुद्र मंथन
मनीषियों का कहना है कि समुद्र मंथन भी श्रावन मास में ही हुआ। इस मंथन मंज 14 प्रकार के तत्व निकले। इसमें जहर को छोड़ कर सभी 13 तत्वों को देवताओं और राक्षसों में वितरित किया गया।
इन सभी तत्वों में से निकले जहर को भगवान शिव पी गए और इसे अपने कंठ में संग्रह कर लिया। इस प्रकार इनका नाम नील कंठ पड़ा। इसके बाद देवताओं ने भगवान शिव को जहर के संताप से बचाने के लिए उन्हें गंगा जल अर्पित किया। इसके बाद से ही शिव भक्त श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
ऐसे प्रसन्न होते हैं भोलेनाथ
श्रावन मास में रुद्राक्ष पहनना बहुत ही शुभ माना गया है। इसलिए पूरे मास रुद्राक्ष की माला धारण करें व रुद्राक्ष माला का जाप करें
शिव को भभूती लगाएं। अपने मस्तक पर भी लगाएं।
शिव चालीसा और आरती का गायन करें ।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें ।
सोमवार को श्रद्धापूर्वक व्रत धारण करें (यदि पूरे दिन का व्रत संभव न हो तो सूर्यास्त तक भी व्रत धारण किया जा सकता है)
बेलपत्र, दूध, शहद और पानी से शिवलिंग का अभिषेक करें।
श्रावण मास के अन्य व्रत
अपशकुनों से बचनें के लिए नवविवाहित जोड़ों को मंगलागौरी व्रत धारण करना चाहिए।
शुक्रवार को सुहागिन स्त्रियों को वरदलक्ष्मी व्रत (श्रावण शुक्रवार व्रत) धारण करना चाहिए।
ऊँ नमः शिवाय। का जप चलते, फिरते, उठते-बैठते करते रहना चाहिए।
Source: Spirituality News & Hindi Rashifal 2014
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