गिरिराज प्रभु की दिव्यता पर नत मस्तक भक्ति ने गोवर्धन की धरा को अलौकिक बना रखा है। सतरंगी रोशनी में नहाई पर्वतराज की धरा राधे-राधे से गुंजायमान है। सप्तकोसीय परिक्रमा मार्ग भक्तों के जयकारों और भजनों से झंकृत हो रहा है। पांच दिवसीय मुड़िया पूर्णिमा मेला रफ्ता-रफ्ता शबाब पर पहुंच रहा है। जोश और उल्लास में डूबे भक्त गिरिराज महाराज की 21 किमी लंबी परिक्रमा झूमते-नाचते कर रहे हैं।
विभिन्न संस्कृति और भाषाओं के संगम ने मानो गोवर्धन में अनूठे संसार की रचना कर दी है। गुरुवार को पांच दिवसीय मेला के तीसरे दिन सूर्य देव की प्रचंडता श्रद्धालुओं की परीक्षा लेती रही, लेकिन भक्तों के जुनून में कोई कमी नहीं आई। आसमान से बरसते आग के गोले और गर्म दहकती धरा भक्तों के नंगे कदमों को रोकने का साहस नहीं जुटा सकी। शाम ढलते ही चारों दिशाओं से गूंजते जयकारे भक्तों के आगमन की सूचना दे रहे थे। गोवर्धन को जोड़ने वाले सभी संपर्क मागरें से उमड़ते आस्था के सैलाब को देखकर सरकारी मशीन हांफ ती नजर आई। परिक्रमार्थियों की संख्या के आगे व्यवस्थाएं बौनी साबित होने लगीं। बसें ठसाठस, तो रेलगाड़ी खचाखच भरकर गोवर्धन की तरफ दौड़ी आ रही हैं।
नहाने को लगी हैं कतारें- गुरुवार सुबह करीब साढ़े तीन बजे मानसीगंगा का किनारे स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन नजर आई। सप्तकोसीय परिक्रमा के उपरांत मानसीगंगा में स्नान का महत्व है। सुरक्षा की दृष्टि से मानसीगंगा के घाटों को बैरीकेडिंग लगाकर बंद कर दिया गया है तथा किनारों पर स्नान के लिए फव्वारे लगाए गए हैं, परंतु फव्वारों की कम संख्या के कारण श्रद्धालुओं को स्नान किए बिना ही लौटना पड़ रहा है।
विभिन्न संस्कृति और भाषाओं के संगम ने मानो गोवर्धन में अनूठे संसार की रचना कर दी है। गुरुवार को पांच दिवसीय मेला के तीसरे दिन सूर्य देव की प्रचंडता श्रद्धालुओं की परीक्षा लेती रही, लेकिन भक्तों के जुनून में कोई कमी नहीं आई। आसमान से बरसते आग के गोले और गर्म दहकती धरा भक्तों के नंगे कदमों को रोकने का साहस नहीं जुटा सकी। शाम ढलते ही चारों दिशाओं से गूंजते जयकारे भक्तों के आगमन की सूचना दे रहे थे। गोवर्धन को जोड़ने वाले सभी संपर्क मागरें से उमड़ते आस्था के सैलाब को देखकर सरकारी मशीन हांफ ती नजर आई। परिक्रमार्थियों की संख्या के आगे व्यवस्थाएं बौनी साबित होने लगीं। बसें ठसाठस, तो रेलगाड़ी खचाखच भरकर गोवर्धन की तरफ दौड़ी आ रही हैं।
नहाने को लगी हैं कतारें- गुरुवार सुबह करीब साढ़े तीन बजे मानसीगंगा का किनारे स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी लाइन नजर आई। सप्तकोसीय परिक्रमा के उपरांत मानसीगंगा में स्नान का महत्व है। सुरक्षा की दृष्टि से मानसीगंगा के घाटों को बैरीकेडिंग लगाकर बंद कर दिया गया है तथा किनारों पर स्नान के लिए फव्वारे लगाए गए हैं, परंतु फव्वारों की कम संख्या के कारण श्रद्धालुओं को स्नान किए बिना ही लौटना पड़ रहा है।
Source: Spiritual Hindi Stories & Rashifal 2014
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