बालक कल्याण समिति द्वारा सेवा भारती मातृ छाया संस्था को बच्ची सौंपने का निर्णय लिया गया है। अधिकृत पत्र मिलने के बाद सेवा भारती मातृ छाया संस्था के सदस्य जिला अस्पताल में बच्ची को लेने आए थे लेकिन फोटोग्राफर नहीं होने के विवाद ने बड़ा रूप ले लिया। मातृ छाया संस्था के सदस्यों और जिला अस्पताल के डॉक्टर, कर्मचारियों के बीच बहस की वजह से माहौल गरमा गया था। अंत में बिना बच्ची को लिए मातृ छाया संस्था को लौटना पड़ा।
शुक्रवार को शाम 5 बजे दुर्ग में संचालित सेवा भारती मातृछाया के सचिव दिनेश ताम्रकार और सदस्य अभय सलोडकर अपने साथ आया लेकर जिला अस्पताल में सवा महीना से भर्ती बच्ची को लेने आए थे। मातृछाया संस्था के सदस्यों के पास न्यायालय बालक कल्याण समिति द्वारा भेजे गए पत्र की प्रति भी थी। पत्र में जिक्र था कि 12 जून को स्टेशनपारा धमतरी में शाम 7 बजे लावारिस हालत में छोड़ी गई बच्ची नागरिकों के माध्यम से पुलिस को प्राप्त हुई।
पुलिस अज्ञात आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है। वर्तमान में बच्ची जिला अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रही है तथा स्वस्थ है। इस बच्ची को संस्था अपने संरक्षण में ले। इस पत्र के आधार पर सेवा भारती मातृछाया संस्था के सदस्य यहां पहुंचे थे। फोटोग्राफर की व्यवस्था करने की बात को लेकर जिला अस्पताल प्रबंधन और संस्था के बीच ठन गई। बच्ची को संरक्षण में लेने से पहले सबूत के रूप में फोटोग्राफी कराना जरूरी था। मातृछाया संस्था के सदस्य अपने साथ फोटोग्राफर लेकर नहीं आए थे। वे चाहते थे कि अस्पताल प्रबंधन फोटोग्राफर की व्यवस्था करें।
जबकि अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि संस्था फोटोग्राफर की व्यवस्था करें। फोटोग्राफी नहीं हो पाने की वजह से मातृछाया संस्था के लोग बच्ची नहीं ले जा सके और बैरंग लौट गए। मातृछाया संस्था के सचिव और सदस्य जिला अस्पताल के मुख्य द्वार के पास मोबाइल पर अपने अन्य पदाधिकारियों को वस्तुस्थिति की जानकारी दे रहे थे।
इसी दरम्यान जिला अस्पताल के आवासीय चिकित्सा अधिकारी डॉ.जेएस खालसा, ब्लड बैंक के डीसी सिन्हा और अस्पताल के अन्य कर्मियों की उनसे बहस हो गई। अस्पतालकर्मियों का कहना है किय मातृछाया संस्था के सदस्यों ने अपशब्दों का इस्तेमाल कियाष जबकि मातृछाया संस्था के सदस्यों का कहना था कि उन्होंने नहीं बल्कि अस्पताल प्रबंधन ने फोटोग्राफर लाने की बात को लेकर अपशब्द कहे हैं। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में बहस हुई।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. एसपी सक्सेना ने कहा कि मुझे जिला अस्पताल में संस्था और अस्पताल स्टाफ के बीच विवाद होने की जानकारी नहीं है। अस्पताल में रखी गई नन्हीं बच्ची को संस्था को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। संस्था वाले आए थे। 1-2 दिन में बच्ची सौंप दी जाएगी।
शुक्रवार को शाम 5 बजे दुर्ग में संचालित सेवा भारती मातृछाया के सचिव दिनेश ताम्रकार और सदस्य अभय सलोडकर अपने साथ आया लेकर जिला अस्पताल में सवा महीना से भर्ती बच्ची को लेने आए थे। मातृछाया संस्था के सदस्यों के पास न्यायालय बालक कल्याण समिति द्वारा भेजे गए पत्र की प्रति भी थी। पत्र में जिक्र था कि 12 जून को स्टेशनपारा धमतरी में शाम 7 बजे लावारिस हालत में छोड़ी गई बच्ची नागरिकों के माध्यम से पुलिस को प्राप्त हुई।
पुलिस अज्ञात आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है। वर्तमान में बच्ची जिला अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रही है तथा स्वस्थ है। इस बच्ची को संस्था अपने संरक्षण में ले। इस पत्र के आधार पर सेवा भारती मातृछाया संस्था के सदस्य यहां पहुंचे थे। फोटोग्राफर की व्यवस्था करने की बात को लेकर जिला अस्पताल प्रबंधन और संस्था के बीच ठन गई। बच्ची को संरक्षण में लेने से पहले सबूत के रूप में फोटोग्राफी कराना जरूरी था। मातृछाया संस्था के सदस्य अपने साथ फोटोग्राफर लेकर नहीं आए थे। वे चाहते थे कि अस्पताल प्रबंधन फोटोग्राफर की व्यवस्था करें।
जबकि अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि संस्था फोटोग्राफर की व्यवस्था करें। फोटोग्राफी नहीं हो पाने की वजह से मातृछाया संस्था के लोग बच्ची नहीं ले जा सके और बैरंग लौट गए। मातृछाया संस्था के सचिव और सदस्य जिला अस्पताल के मुख्य द्वार के पास मोबाइल पर अपने अन्य पदाधिकारियों को वस्तुस्थिति की जानकारी दे रहे थे।
इसी दरम्यान जिला अस्पताल के आवासीय चिकित्सा अधिकारी डॉ.जेएस खालसा, ब्लड बैंक के डीसी सिन्हा और अस्पताल के अन्य कर्मियों की उनसे बहस हो गई। अस्पतालकर्मियों का कहना है किय मातृछाया संस्था के सदस्यों ने अपशब्दों का इस्तेमाल कियाष जबकि मातृछाया संस्था के सदस्यों का कहना था कि उन्होंने नहीं बल्कि अस्पताल प्रबंधन ने फोटोग्राफर लाने की बात को लेकर अपशब्द कहे हैं। इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में बहस हुई।
इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. एसपी सक्सेना ने कहा कि मुझे जिला अस्पताल में संस्था और अस्पताल स्टाफ के बीच विवाद होने की जानकारी नहीं है। अस्पताल में रखी गई नन्हीं बच्ची को संस्था को सौंपने की प्रक्रिया चल रही है। संस्था वाले आए थे। 1-2 दिन में बच्ची सौंप दी जाएगी।
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