बीते वर्ष जून माह में आई आपदा से इस वर्ष यात्रा सीजन में भी सीमांत जनपद चमोली का पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह ठप रहा है, लेकिन जैसे-जैसे नंदादेवी राजजात यात्रा शुरू की तिथि समीप आ रही है ऐसे में एकबार फिर से क्षेत्रवासियों व व्यापारियों में मेहमानों के आने उम्मीद बंधी है।
गौरतलब है कि चारधाम यात्रा के साथ नंदादेवी राजजात यात्रा का मुख्य पड़ाव कर्णप्रयाग (ईडाबधाणी)है। इससे आगे मोटर मार्ग से जुडे नौटी व कांसुवा पड़ावों की यात्रा शुरू होती है लेकिन सर्वाधिक भीड़ कर्णप्रयाग के ईडाबधाणी सहित चांदपुरगढ़ी, कांसुवा में जुटती है। इससे आगे का सफर पिंडरघाटी से गुजरता है जहां आज भी मोटर मार्ग सहित पैदल मार्गो की स्थिति आपदा के बाद किसी से छिपी नही है।
भले ही एक ओर जहां प्रदेश सरकार सुरक्षा के मद्देनजर देवाल के वेदनी से आगे 10 हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों के न जाने व मेडिकल जांच उपरांत ही यात्रा की बात कह रही हो, लेकिन आज भी दूरस्थ पड़ाव नगर क्षेत्र सहित दूरस्थ गांवों के लोग क्षेत्र की अराध्य देवी की ससुराल में विदाई को भव्य रूप से मनाते हैं और इस दौरान आयोजित होने वाली 280 किमी की पैदल यात्रा में बढ़-चढ़ कर भाग लेकर माता को श्रंगार सामग्री अर्पित कर विदा करते हैं।
गौरतलब है कि चारधाम यात्रा के साथ नंदादेवी राजजात यात्रा का मुख्य पड़ाव कर्णप्रयाग (ईडाबधाणी)है। इससे आगे मोटर मार्ग से जुडे नौटी व कांसुवा पड़ावों की यात्रा शुरू होती है लेकिन सर्वाधिक भीड़ कर्णप्रयाग के ईडाबधाणी सहित चांदपुरगढ़ी, कांसुवा में जुटती है। इससे आगे का सफर पिंडरघाटी से गुजरता है जहां आज भी मोटर मार्ग सहित पैदल मार्गो की स्थिति आपदा के बाद किसी से छिपी नही है।
भले ही एक ओर जहां प्रदेश सरकार सुरक्षा के मद्देनजर देवाल के वेदनी से आगे 10 हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों के न जाने व मेडिकल जांच उपरांत ही यात्रा की बात कह रही हो, लेकिन आज भी दूरस्थ पड़ाव नगर क्षेत्र सहित दूरस्थ गांवों के लोग क्षेत्र की अराध्य देवी की ससुराल में विदाई को भव्य रूप से मनाते हैं और इस दौरान आयोजित होने वाली 280 किमी की पैदल यात्रा में बढ़-चढ़ कर भाग लेकर माता को श्रंगार सामग्री अर्पित कर विदा करते हैं।
Source: Spiritual News & Horoscope 2014
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