Saturday, 5 July 2014

Get pleasure from something but does give

एक आध्यात्मिक गुरु थे। एक आयोजन में उनके अनेक शिष्य आए। गुरु जी ने अपने शिष्यों के लिए एक प्रतियोगिता रखी। हर व्यक्ति को एक गुब्बारा दे दिया और उस पर अपना-अपना नाम लिखने को कहा। सारे गुब्बारे इकट्ठा कर दूसरे कमरे में रख दिए गए।

फिर उन लोगों से कहा गया कि वे एक साथ उस कमरे में जाकर अपने नाम का गुब्बारा ढूंढकर लाएं। वही जीतेगा, जो दो मिनट के अंदर अपने नाम का गुब्बारा ले आएगा। प्रतियोगिता शुरू होते ही सभी लोग कमरे की ओर दौड़ पड़े।

एक साथ जाने से लोग एक-दूसरे पर ही गिरने लगे। कमरे में अव्यवस्था फैल गई। गुब्बारे फूट गए। फलत: कोई भी व्यक्ति दो मिनट के भीतर अपने नाम का गुब्बारा नहीं ला सका।

अबकी बार आयोजकों ने फिर हर व्यक्ति के नाम लिखे गुब्बारे तैयार किए और लोगों से कहा, वे एक-एक करके कमरे में जाएं और कोई भी एक गुब्बारा उठाकर ले आएं और उस पर जिस व्यक्ति का नाम लिखा हो, उसे दे दें। तेजी से काम करने पर दो मिनटों में हर व्यक्ति के हाथ में उसका नाम लिखा गुब्बारा था।

अब गुरु जी ने समझाते हुए कहा, 'जीवन में भी आप लोग पागलों की तरह खुशियां तलाश रहे हैं, लेकिन वह इस तरह नहीं मिलती। जब आप दूसरों को खुशियां देने लगेंगे, तो आपको अपनी खुशी मिल जाएगी।'

संक्षेप मेंः

असली खुशी कुछ पाने से नहीं, बल्कि देने से मिलती है।

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