Monday, 7 July 2014

stability will be comfortable in your own first steps

भविष्य को संभालने की कोशिश करने से पहले हमें सहजता और स्थिरता प्राप्त करना होगी। अगर हमनेे इन्हें पा लिया तो सब कुछ हमारी क्षमताओं के मुताबिक होने लगेगा। सोचिए भविष्य अगर अंधेरा है तो एक असीम संभावना भी है।

अपने भविष्य को गढ़ने के कई तरीके हैं। भविष्य वह चीज है, जिसका कोई अस्तित्व नहीं होता। हमारे अनुभव में इसका अस्तित्व नहीं है, पर यह एक संभावना की तरह है। कुछ लोग अपनी मजबूरियों के अनुसार अपने भविष्य की योजना बनाते हैं, जबकि कुछ लोग अपना भविष्य सोच-समझ कर, सचेतन हो कर तय करते हैं, तो कुछ लोग अपना भविष्य बिना सोचे-समझे तय कर लेते हैं।

लेकिन हम अपने जीवन के साथ क्या करना चाहते हैं, यह पूरे होशो-हवास में सचेतन तरीके से तय करना सबसे अहम है। आप जागरूक होकर जो भी चुनेंगे, वह निश्चित रूप से फल देगा। आप क्या चुनते हैं यह अहम नहीं है, अहम यह है कि आप जो भी चुनते हैं, उसके पीछे अपनी जिंदगी लगा देते हैं, आप उसमें खुद को झोंकने के लिए तैयार रहते हैं। यानी एक तरह से जिस भविष्य का फिलहाल अस्तित्व नहीं है, आप एक योजना के तहत उसे एक सचाई में बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

एक तरीका यह है कि आप एक बीज बो कर भविष्य में उसके फलने का इंतजार कर सकते हैं। दूसरा तरीका है कि अपने भविष्य को आप खुद गढ़ सकते हैं या फिर और भी तरीके हैं, जैसे आप एक सही नाव में बैठ जाएं, और खुद को हवा के रुख पर छोड़ दें। जब हवा अनुकूल होगी तो यह वहां खुद चली जाएगी जहां इसे जाना होगा।

अपने भविष्य को चुनने के ये तमाम तरीके हैं। लेकिन आपको एक बात समझनी जरूरी है कि यहां आप उस चीज को संभालने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, जो अभी मौजूद है, बल्कि उस चीज को संभालने की कोशिश कर रहे हैं, जो अभी है ही नहीं। आप उस पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं, जो अभी होनी है।

तो भविष्य भी कुछ ऐसी ही चीज है। आपने अपनी हाथ की लकीरों को बहुत बार पढ़ा या पढ़वाया होगा, बहुत बार आपने ग्रह-नक्षत्रों की गणना और चाल जानने की कोशिश की होगी, बहुत बार आपने अपनी जन्मकुंडली पर विशेषज्ञों से सलाह ली होगी, पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप अपने भविष्य के बारे में अभी भी कुछ नहीं जानते, उसे लेकर अंधेरे में हैं और जीने की एकमात्र वजह भी यही है कि आप नहीं जानते कि अगले पल में क्या होने वाला है, इसीलिए यह जीवन जीने लायक है।

तो भविष्य एक तरह से अंधेरा है। मैं यह नहीं कह रहा कि अंधेरा कोई खराब या नकारात्मक चीज है। अंधेरा एक अनंत और असीम संभावना है, इसलिए आप इसके साथ जो चाहें कर सकते हैं। पर इसके साथ कुछ भी करने के लिए आपको अपने अंदर स्थिर और संतुलन होना जरूरी है।

हो सकता है कि आप बुद्धिमान, पढ़े-लिखे और काबिल हों, लेकिन आपमें अगर संतुलन नहीं है और आप विचलित हो रहे हैं तो आप एक बहुत बड़ी त्रासदी साबित होंगे। अगर आप थोड़े बेवकूफ हैं तो आप कम खतरनाक हैं, क्योंकि बुद्धि या समझ आपको मनचाहा करने के लिए उकसाती है। अकसर हम चाहते हैं कि वाहन तेज चले, लेकिन अगर यह टकराता या दुर्घटनाग्रस्त होता है तो हादसे का स्वरूप भी बड़ा होता है। आपने यह तो सुना ही होगा- 'तुम जितना ऊपर जाओगे, गिरने पर तुम्हें उतनी ज्यादा चोट लगेगी।

आपकी बुद्धिमानी, काबिलियत, और क्षमता बर्बादी से आपका बचाव नहीं करती, बल्कि आपका संतुलन ही आपको बर्बादी से बचाता है। इसीलिए जब पतंजलि से योग के तीसरे अंग, यानी आसन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा, स्थिरं, सुखं, आसनम्।

जिसका मतलब है, जिसमें सुख हो और स्थिरता मिलती हो, वही आसन है। आराम का मतलब है कि आप चैन से या सहज हैं और स्थिर हैं। अगर आपके जीवन में ये दो चीजें हैं तो आप जीवन की पूर्ण क्षमता को जानेंगे। अगर आपमें बुद्धि, समझदारी, और काबिलियत हों तो भी आप जीवन की पूर्ण क्षमता को नहीं जानेंगे, क्योंकि उसके लिए आपको अपने अंदर स्थिरता, सहजता और संतुलन की जरूरत होगी।

इससे पहले कि हम उस भविष्य को संभालने की कोशिश करें, जो है ही नहीं, हमें सहजता और स्थिरता को हासिल करना पड़ेगा। अगर आपने इन दोनों चीजों को साध लिया तो बाकी चीजें तो अपने आप हो जाएंगी। अगर आप हर वक्त सहज और स्थिर हैं, तो सब कुछ अपने आप आपकी क्षमताओं और हालातों के मुताबिक होने लग।

हालांकि इसमें बहुत सारे कारक होते हैं, लेकिन ये सभी कारक आपके फायदे के लिए काम करने लगेंगे। अगर आपके जीवन में ये दोनों चीजें-सहजता या स्थिरता नहीं हैं, तो आप देखेंगे कि एक दिन आप जोश में भरे घूमेंगे, जबकि अगले ही दिन टूटे और बिखरे हुए नजर आएंगे। तो इस के पहले कि हम अपना भविष्य तय करें, उससे पहले हमें अपनी आज की जिंदगी में सहजता और स्थिरता लानी होगी।

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