Thursday, 10 July 2014

Kiatyani Temple symbol of religious harmony

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में 25 वर्षो बाद फिर से दोनों समुदायों के बीच धार्मिक सौहार्द और भाईचारे का माहौल देखने को मिला।

काकरान स्थित मां कात्यानी के मंदिर में आयोजित हवन यज्ञ में कश्मीरी हिंदू के अलावा स्थानीय लोगों ने भी भाग लेकर अलगाववादियों की नाकारात्मक रवैये को भी जबाव दिया है।

कश्मीर में दोनों समुदायों के बीच आपसी सौहार्द को विकसित करने में अहम भूमिका अदा कर रही ऑल पार्टीज माइग्रेंट्स कोऑर्डिनेशन कमेटी ने मां कात्यानी के मंदिर में महायज्ञ का आयोजन कर कश्मीर की सदियों पुरानी कश्मीरियत की परंपरा को जीवंत कर समूचे समुदाय को कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की वापसी में बहुसंख्यक समुदाय के सकारात्मक रवैये का संदेश भी दिया है। जो मोदी सरकार द्वारा पंडितों की घाटी वापसी के सपने को पूरा करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

गौर किया जाए तो एपीएमसीसी कश्मीर में हवन-यज्ञ का आयोजन कर पिछले दस वषरे से कश्मीर में पंडितों की विरासत को सहेजने का कार्य कर रही है। उनके इस मिशन में स्थानीय लोगों की भी बराबर की हिस्सेदारी रहती है।

उसी कड़ी में कुलगाम के काकरान में आयोजित महायज्ञ में सैंकड़ों की संख्या में भाग लेने वाले पंडित श्रद्धालुओं की भावनाओं का मान करते हुए इलाके के बहुसंख्यक समुदाय के लोग भी उपस्थित थे जिन्होंने हवन-यज्ञ की पारंपरिक पूजा को बड़े चाव से देखा।

जम्मू से हवन-यज्ञ में मां कात्यानी के यज्ञ में अपनी आस्था व श्रद्धा के फूल अर्पित करने पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि मां कात्यानी मंदिर में किया गया महायज्ञ अपने आप में महत्वपूर्ण है।

क्योंकि ऐसे समय जब केंद्र पंडितों की कश्मीरी वापसी के मिशन पर काम कर रही है और अलगाववादी पंडितों की वापसी को लेकर नकारात्मक रवैया अपनाए हुए हैं।

दोनों समुदायों के आपसी सौहार्द को देख कर सब को सांप सूंघ गया है। एपीएमसीसी के चैयरमैन विनोद पंडित और राष्ट्रीय प्रवक्ता किंग सी भारती ने कश्मीरी हिंदू श्राइन बिल को पारित करने के संकल्प के साथ कहा कि वह कश्मीर में दोनों समुदायों के बीच आपसी सौहार्द कायम करने की दिशा में हवन-यज्ञ करते ही रहेंगे।

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