Thursday, 10 July 2014

Guru nanak like jasmine flowers are in milk

एक बार गुरु नानक देव मुल्तान पहुंचे। वहां पहले ही अनेक संत धर्म प्रचार में लगे हुए थे। एक संत ने अपने शिष्य के हाथ में दूध से भरा हुआ एक कटोरा गुरु नानक देव को भेजा।

गुरु नानक देव उठे, बाग से चमेली का एक फूल तोड़ा और दूध पर धीरे से टिका दिया। फिर शिष्य को कहा, जाओ और अपने संत को भेंट कर दो।

शिष्य मन ही मन तिलमिलाया। क्यों कि उसे लगा कि नानक देव ने हमारे संत की भेंट को अस्वीकार करके उनका घोर अपमान किया है। शिष्य ने रोष मं कटोरा लाकर अपने संत को थमा दिया।

संत ने उसे शांत किया और बोले कि तुम समझे नहीं , वास्तव में बात इतनी सी है कि मैनें गुरु नानक देव से एक प्रश्न पूछा था और उन्होंने उसका बखूभी उत्तर भेज दिया। मेरा प्रश्न था कि यहां पहले से ही दूध के समान पवित्र चरित्र वाले महात्मा संत विद्यमान हैं, तो आप यहां क्या करने आए हैं और कहां रहेंगे? उन्होंने उत्तर भेजा है कि जिस तरह दूध का फूल ने कुछ नहीं बिगाड़ा, बल्कि इसकी शोभा ही बढ़ाई है। ठीक उसी तरह फूल की भांति में भी यहीं रहूंगा।

गुरू नानक जी ने मौन रहकर भी, अपने विनम्र स्वभाव से संत को इस तरह मुग्ध कर लिया कि संत नानक देव को उसी रोज अपने आश्रम में ले गए।

संक्षेप में

अगर आप कोई बात विन्रमता से देते हैं तो उसका प्रभाव मौन रहकर भी बोलने से ज्यादा होता है। जो कहने से भी ज्यादा प्रभावशाली होता है।

Source: Spiritual Hindi Stories & Hindi Rashifal 2014

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