रमजान का महीना शुरू हो चुका है। रमजान के दौरान इंसान बाहरी आधुनिक दुनिया से अलग हट कर केवल खुदा की इबादत में मशगूल रहता है।
नूंह की जामा मस्जिद एवं मदरसे के मुफ्ति जाहिद हुसैन इस बार रमजान के दौरान नूंह में उपस्थित नहीं थे। इसलिए उन्होंने फोन के जरिए अपना संदेश मेवातवासियों तक पहुंचाया है।
उन्होंने रमजान के पाक माह में खुद को नेकी से जोड़ने तथा बुराईयों से दूर रहने की सलाह दी। मुफ्ति जाहिद बताते हैं कि रमजान साल के बारह महीनों में सबसे मुबारक महीना होता है। इस महीनें में नेकी का सबाब अन्य दिनों के मुकाबले 7 सौ गुना बढ़ जाता है।
यह गमखारी का महीना होता है। जिसमें दूसरों के साथ हमदर्दी, खैरखाही तथा प्यार मोहब्बत के साथ पेश आना चाहिए। रोजा का मतलब होता है 'रोकना'। न केवल खुद को भूख-प्यास से रोकना। बल्कि झूठ, गीबत (बुराई), कीना, हसद, बुरी निगाह, गुनाह, बेहमारी व धोखा आदि से खुद को दूर रखना।
इस माह में यतीमों, बेवाओं तथा गरीब व बेसहारा लोगों की मदद की जानी चाहिए। उन्हें अपने खाने जैसा ही खाना मुहैया करना चाहिए। जुल्म व सितम से दूर रहकर तमाम मखलूक (जीव-जंतुओं) के साथ रहम, हमदर्दी व आदर से पेश आना चाहिए।
रोजेदारों को गर्मी के कारण थोड़ी दिक्कत महसूस होती है। लेकिन इसमें भी एक खास मजे का अहसास होता है। जो मालिक से लौ लगाकर इबादत करते हैं उनका कष्टों की ओर ध्यान नहीं जाता। बल्कि रोजा रखने की तमन्ना और मजबूत होती है। उन्होंने कहा यह सब्र का महीना है और सब्र का बदला जन्नत होती है।
तालीम कराती है मालिक से मुलाकात
इस्लाम ने तालीम को सभी के लिए अर्ज किया है। तालीम से सही-गलत, पाक-नापाक तथा जायज-नाजायज की पहचान होती है। चाहे औरत हो या मर्द, तालीम सभी को इंसानियत का पाठ पढ़ाती है। तालीम मालिक से मुलाकात की राह दिखाती है। मुल्क की तरक्की के लिए सभी इंसानाें को तालीम जरूर लेनी चाहिए।
अमन-चैन कायम करें
रमजान के पाक महीने की कद्र करें। क्षेत्र में अमन व शांति की दुआ मांगें। अपने बच्चों को अच्छी तालीम दिलाकर मुल्क ही तरक्की में शरीक हों।
नूंह की जामा मस्जिद एवं मदरसे के मुफ्ति जाहिद हुसैन इस बार रमजान के दौरान नूंह में उपस्थित नहीं थे। इसलिए उन्होंने फोन के जरिए अपना संदेश मेवातवासियों तक पहुंचाया है।
उन्होंने रमजान के पाक माह में खुद को नेकी से जोड़ने तथा बुराईयों से दूर रहने की सलाह दी। मुफ्ति जाहिद बताते हैं कि रमजान साल के बारह महीनों में सबसे मुबारक महीना होता है। इस महीनें में नेकी का सबाब अन्य दिनों के मुकाबले 7 सौ गुना बढ़ जाता है।
यह गमखारी का महीना होता है। जिसमें दूसरों के साथ हमदर्दी, खैरखाही तथा प्यार मोहब्बत के साथ पेश आना चाहिए। रोजा का मतलब होता है 'रोकना'। न केवल खुद को भूख-प्यास से रोकना। बल्कि झूठ, गीबत (बुराई), कीना, हसद, बुरी निगाह, गुनाह, बेहमारी व धोखा आदि से खुद को दूर रखना।
इस माह में यतीमों, बेवाओं तथा गरीब व बेसहारा लोगों की मदद की जानी चाहिए। उन्हें अपने खाने जैसा ही खाना मुहैया करना चाहिए। जुल्म व सितम से दूर रहकर तमाम मखलूक (जीव-जंतुओं) के साथ रहम, हमदर्दी व आदर से पेश आना चाहिए।
रोजेदारों को गर्मी के कारण थोड़ी दिक्कत महसूस होती है। लेकिन इसमें भी एक खास मजे का अहसास होता है। जो मालिक से लौ लगाकर इबादत करते हैं उनका कष्टों की ओर ध्यान नहीं जाता। बल्कि रोजा रखने की तमन्ना और मजबूत होती है। उन्होंने कहा यह सब्र का महीना है और सब्र का बदला जन्नत होती है।
तालीम कराती है मालिक से मुलाकात
इस्लाम ने तालीम को सभी के लिए अर्ज किया है। तालीम से सही-गलत, पाक-नापाक तथा जायज-नाजायज की पहचान होती है। चाहे औरत हो या मर्द, तालीम सभी को इंसानियत का पाठ पढ़ाती है। तालीम मालिक से मुलाकात की राह दिखाती है। मुल्क की तरक्की के लिए सभी इंसानाें को तालीम जरूर लेनी चाहिए।
अमन-चैन कायम करें
रमजान के पाक महीने की कद्र करें। क्षेत्र में अमन व शांति की दुआ मांगें। अपने बच्चों को अच्छी तालीम दिलाकर मुल्क ही तरक्की में शरीक हों।
Source: Spiritual Hindi News & Horoscope 2014
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