प्रेम करने वालों के बीच टकराव की स्थिति बनती ही है लेकिन उससे निकलने की कला आना ही चाहिए। रिश्तों में ऊष्मा बनी रहे तो वे टूटते नहीं।
स्त्री और पुरुष के संबंधों में खटपट और खींचतान होती ही है। एकदूसरे के प्रति नाराजगी जीवन का हिस्सा है लेकिन इतना लचीलापन होना चाहिए कि रिश्तों की ऊष्मा बनी रहे। एकदूसरे को समझने के साथ रिश्तों को हरदम ताजा बनाए रखा जा सकता है। संबंधों को जीवंत बनाए रखने के लिए कुछ बहुत छोटे कदम ही बढ़ाने की जरूरत है। यह बहुत कठिन काम नहीं है बस रोज थोड़ा सा अभ्यास आपके जीवन के माधुर्य को बनाए रख सकता है।
अपने अहं को छोड़ें
विनम्र रहने का प्रयास करें। हमेशा खुद को सही साबित करने की कोशिश न करें। हमेशा विजेता होने का विचार भी छोड़ दें। कभी अगर विवाद की स्थिति है तो अपने साथी का पक्ष बहुत शांति के साथ सुनना आपके जीवन में सुलह और सहजता लाने में मदद करेगा। जब हम अहं से मुक्त होते हैं तो हम अधिक सजग होते हैं। सजगता की स्थिति में ही हम दूसरों के भावों को अनुभूत करने लगते हैं। केवल तभी हम अपने गुस्से पर नियंत्रण कर पाते हैं और अपने साथी के साथ जुड़ने में सफल होते हैं।
चीजों को बड़े नजरिए से देखें
किसी भी टकराव की स्थिति में अपने कदमों को आगे बढ़ने से रोकें और चीजों को व्यापक दृष्टि से देखें। जब हम चीजों को उस क्षण से आगे जाकर देखते हैं तो पाते हैं कि सिर्फ इस कटु क्षण की वजह से हम अपने जीवन को क्यों खराब होने दें। जीवन के बहुत अच्छे पलों की तरफ भी हमारा ध्यान होना चाहिए। किसी आपसी समझबूझ के पल को याद करने से हमारी कटुता का पहाड़ एक छोटे से पत्थर की तरह नजर आ सकता है।
अच्छे पलों को याद करें
सभी तरह के संबंधों में खिंचाव और तनाव होता है। सभी तरह के लोग गलतियां करते हैं। हम मनुष्य हैं और हमसे गलतियां होना स्वाभाविक है। कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता और इसलिए किसी से भी संबंधों में चूक हो सकती है। अगर हम अपना ध्यान उन चीजों की तरफ लगाते हैं जो हमारे संबंध में नहीं हैं तो कोई रिश्ता बेहतर नहीं हो सकता। हमारी 100 प्रतिशत अपेक्षाओं पर कोई भी साथी खरा नहीं उतर सकता है। इसलिए दूसरों को समझने का नजरिया ही काम आएगा। उनकी खूबियों और कमियों को स्वीकार करने का भाव ही रिश्तों को बनाए रख पाएगा।
अपनी कमियां याद करें
अक्सर व्यक्ति खुद को बचाने का प्रयास करता है। जब उसके दोष उजागर होने लगते हैं तो वह बहुत आक्रामक हो जाता है और दूसरों की बातों को शांति से नहीं सुन पाता। इसलिए अपनी छोटी गलतियों को याद करना चाहिए। याद करना चाहिए कि आपने किस तरह की नादानियां की हैं और जब आप उन्हें याद करेंगे तो आपको यह एहसास होगा कि बीते उन क्षणों की स्मृति आपके संबंधों के तनाव को खत्म कर सकती है।
एकदूसरे को प्रेरित करें
अपने साथी को हमेशा नए विषयों और नई चीजों के लिए प्रेरित करें। अक्सर एकदूजे के शौक के बारे में बात करना और एकदूसरे की छोटी-छोटी चीजों की तरफ ध्यान देना आपस में जुड़ने में बहुत मदद करता है। जब आप एकदूसरे के साथ बहुत छोटे-छोटे अवसरों को बांटते हैं तो एकदूजे को पसंद और नापसंद से भी अवगत कराते हैं। ऐसे में दोनों का एकदूसरे में आकर्षण बना रहता है।
क्षमा करने की आदत डालें
करुणा और क्षमाभाव एकदूसरे के लिए होना बहुत जरूरी है। गलतियों के बावजूद अपने साथी के प्रति लंबे समय के लिए मन में कडवाहट नहीं रखना चाहिए। अगर आप उसके प्रति बहुत सहिष्णु होंगे तो वह भी आपके प्रति उतनी ही करुणा और प्रेम रखेगा। यह ऐसा गुण है जो सामने वाले से टकराकर हमारी तरफ लौटता है।
पुरानी बातों को बार-बार सामने लाने के बजाय बहुत शांति के साथ आज के पलों के बारे में बात करें। क्षमा करना सीखें, क्षमा पाएंगे भी।
स्त्री और पुरुष के संबंधों में खटपट और खींचतान होती ही है। एकदूसरे के प्रति नाराजगी जीवन का हिस्सा है लेकिन इतना लचीलापन होना चाहिए कि रिश्तों की ऊष्मा बनी रहे। एकदूसरे को समझने के साथ रिश्तों को हरदम ताजा बनाए रखा जा सकता है। संबंधों को जीवंत बनाए रखने के लिए कुछ बहुत छोटे कदम ही बढ़ाने की जरूरत है। यह बहुत कठिन काम नहीं है बस रोज थोड़ा सा अभ्यास आपके जीवन के माधुर्य को बनाए रख सकता है।
अपने अहं को छोड़ें
विनम्र रहने का प्रयास करें। हमेशा खुद को सही साबित करने की कोशिश न करें। हमेशा विजेता होने का विचार भी छोड़ दें। कभी अगर विवाद की स्थिति है तो अपने साथी का पक्ष बहुत शांति के साथ सुनना आपके जीवन में सुलह और सहजता लाने में मदद करेगा। जब हम अहं से मुक्त होते हैं तो हम अधिक सजग होते हैं। सजगता की स्थिति में ही हम दूसरों के भावों को अनुभूत करने लगते हैं। केवल तभी हम अपने गुस्से पर नियंत्रण कर पाते हैं और अपने साथी के साथ जुड़ने में सफल होते हैं।
चीजों को बड़े नजरिए से देखें
किसी भी टकराव की स्थिति में अपने कदमों को आगे बढ़ने से रोकें और चीजों को व्यापक दृष्टि से देखें। जब हम चीजों को उस क्षण से आगे जाकर देखते हैं तो पाते हैं कि सिर्फ इस कटु क्षण की वजह से हम अपने जीवन को क्यों खराब होने दें। जीवन के बहुत अच्छे पलों की तरफ भी हमारा ध्यान होना चाहिए। किसी आपसी समझबूझ के पल को याद करने से हमारी कटुता का पहाड़ एक छोटे से पत्थर की तरह नजर आ सकता है।
अच्छे पलों को याद करें
सभी तरह के संबंधों में खिंचाव और तनाव होता है। सभी तरह के लोग गलतियां करते हैं। हम मनुष्य हैं और हमसे गलतियां होना स्वाभाविक है। कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता और इसलिए किसी से भी संबंधों में चूक हो सकती है। अगर हम अपना ध्यान उन चीजों की तरफ लगाते हैं जो हमारे संबंध में नहीं हैं तो कोई रिश्ता बेहतर नहीं हो सकता। हमारी 100 प्रतिशत अपेक्षाओं पर कोई भी साथी खरा नहीं उतर सकता है। इसलिए दूसरों को समझने का नजरिया ही काम आएगा। उनकी खूबियों और कमियों को स्वीकार करने का भाव ही रिश्तों को बनाए रख पाएगा।
अपनी कमियां याद करें
अक्सर व्यक्ति खुद को बचाने का प्रयास करता है। जब उसके दोष उजागर होने लगते हैं तो वह बहुत आक्रामक हो जाता है और दूसरों की बातों को शांति से नहीं सुन पाता। इसलिए अपनी छोटी गलतियों को याद करना चाहिए। याद करना चाहिए कि आपने किस तरह की नादानियां की हैं और जब आप उन्हें याद करेंगे तो आपको यह एहसास होगा कि बीते उन क्षणों की स्मृति आपके संबंधों के तनाव को खत्म कर सकती है।
एकदूसरे को प्रेरित करें
अपने साथी को हमेशा नए विषयों और नई चीजों के लिए प्रेरित करें। अक्सर एकदूजे के शौक के बारे में बात करना और एकदूसरे की छोटी-छोटी चीजों की तरफ ध्यान देना आपस में जुड़ने में बहुत मदद करता है। जब आप एकदूसरे के साथ बहुत छोटे-छोटे अवसरों को बांटते हैं तो एकदूजे को पसंद और नापसंद से भी अवगत कराते हैं। ऐसे में दोनों का एकदूसरे में आकर्षण बना रहता है।
क्षमा करने की आदत डालें
करुणा और क्षमाभाव एकदूसरे के लिए होना बहुत जरूरी है। गलतियों के बावजूद अपने साथी के प्रति लंबे समय के लिए मन में कडवाहट नहीं रखना चाहिए। अगर आप उसके प्रति बहुत सहिष्णु होंगे तो वह भी आपके प्रति उतनी ही करुणा और प्रेम रखेगा। यह ऐसा गुण है जो सामने वाले से टकराकर हमारी तरफ लौटता है।
पुरानी बातों को बार-बार सामने लाने के बजाय बहुत शांति के साथ आज के पलों के बारे में बात करें। क्षमा करना सीखें, क्षमा पाएंगे भी।
Source: Spiritual Hindi News & Horoscope 2014
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