इस्लाम धर्म में जाफ़र सदिक़ और उपनाम अबु मुहम्मद का नाम बड़े ही अदब से लिया जाता है। कहते हैं उनकी करामतो और गुणों के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है।
आपका दर्जा सहाब किराम के बाद ही आता है। आपकी जिंदगी से जुड़ी हुई कई ऐसी बातें है जो लोग आपके तजुर्बे से कुछ सीख ले सकते हैं।
अल्लाह के लिए
एक बार जाफ़र सादिक को कीमती लिबास में देख कर किसी ने आपत्ति की, कि ऐसा क़ीमती लिवास उनके लिए ठीक नहीं तो उन्होंने कहने वाले बंदे का हाथ पकड़ा और उसे अपनी आसतीन पर फेरा तो उसे आपका लिबास टाट से भी अधिक खुरदुरा लगा। उस समय आपने कहा कि लोगों की निगाहों में तो यह अच्छा लिबास है लेकिन अल्लाह के लिए यही खुरदुरा है।
एक रोचक प्रसंग
किसी व्यक्ति की दीनार की थैली खो गई उसने आप पर आरोप लगाया और कहा कि मेरी थैली तुमने चुराई है। आपने सवाल किया कि उसमें कितनी रक़म थी? उसने कहा दो हज़ार दीनार। आप अपने घर गए और दो हजार दीनार दे दिए।
बाद में जब उसकी खोयी ही थैली किसी दूसरी जगह से मिली तो उसने इस घटना के बारे में माफी मांगी। लेकिन आपने कहा कि हम किसी को कुछ देकर वापस नहीं लेते। फिर जब लोगों से उसको आपका नाम मालूम हुआ तो उसी अच्छा नहीं लगा कि इतने बड़े महान व्यक्ति के साथ उसने ऐसा किया।
बुद्दिमान कौन?
एक बार आपने इमाम अबु हनीफ़ा से सवाल किया कि बुद्धिमान की क्या परिभाषा है? इमाम सहाब ने जबाव दिया कि जो भलाई व बुराई में अंतर कर सके। आपने कहा कि यह अंतर तो जानवर भी कर लेते हैं क्योंकि जो उनकी सेवा करता है उनको वह कष्ट नहीं देते और जो उन्हें कष्ट देता है उन्हें वह काट लेते हैं।
इमाम अबु हनीफ़ा ने पूछा कि फिर आपके निकट बुद्धिमानी की क्या निशानी है? तब आपने जबाव दिया कि जो दो भलाइयों में से बेहतर भलाई को अपनाए वही बुद्धिमान है।
आपका दर्जा सहाब किराम के बाद ही आता है। आपकी जिंदगी से जुड़ी हुई कई ऐसी बातें है जो लोग आपके तजुर्बे से कुछ सीख ले सकते हैं।
अल्लाह के लिए
एक बार जाफ़र सादिक को कीमती लिबास में देख कर किसी ने आपत्ति की, कि ऐसा क़ीमती लिवास उनके लिए ठीक नहीं तो उन्होंने कहने वाले बंदे का हाथ पकड़ा और उसे अपनी आसतीन पर फेरा तो उसे आपका लिबास टाट से भी अधिक खुरदुरा लगा। उस समय आपने कहा कि लोगों की निगाहों में तो यह अच्छा लिबास है लेकिन अल्लाह के लिए यही खुरदुरा है।
एक रोचक प्रसंग
किसी व्यक्ति की दीनार की थैली खो गई उसने आप पर आरोप लगाया और कहा कि मेरी थैली तुमने चुराई है। आपने सवाल किया कि उसमें कितनी रक़म थी? उसने कहा दो हज़ार दीनार। आप अपने घर गए और दो हजार दीनार दे दिए।
बाद में जब उसकी खोयी ही थैली किसी दूसरी जगह से मिली तो उसने इस घटना के बारे में माफी मांगी। लेकिन आपने कहा कि हम किसी को कुछ देकर वापस नहीं लेते। फिर जब लोगों से उसको आपका नाम मालूम हुआ तो उसी अच्छा नहीं लगा कि इतने बड़े महान व्यक्ति के साथ उसने ऐसा किया।
बुद्दिमान कौन?
एक बार आपने इमाम अबु हनीफ़ा से सवाल किया कि बुद्धिमान की क्या परिभाषा है? इमाम सहाब ने जबाव दिया कि जो भलाई व बुराई में अंतर कर सके। आपने कहा कि यह अंतर तो जानवर भी कर लेते हैं क्योंकि जो उनकी सेवा करता है उनको वह कष्ट नहीं देते और जो उन्हें कष्ट देता है उन्हें वह काट लेते हैं।
इमाम अबु हनीफ़ा ने पूछा कि फिर आपके निकट बुद्धिमानी की क्या निशानी है? तब आपने जबाव दिया कि जो दो भलाइयों में से बेहतर भलाई को अपनाए वही बुद्धिमान है।
Source: Spiritual Hindi News & Rashifal 2014
No comments:
Post a Comment