ऐसा नहीं कि औघड़दानी दरबार से लक्ष्मी ने मुंह मोड़ लिया। वास्तव में व्यवस्था में लगी अफसरों की फौज ने बेपरवाही से नाता जोड़ लिया है। बीते वित्तीय साल में ही चढ़ावा व दान से हुई आय खर्च काटने के बाद भी केवल नकदी आठ करोड़ से ज्यादा रही। इसके बाद भी परिसर में पानी का पुख्ता इंतजाम नहीं।
रखरखाव के लिए भी दानदाता- परिसर में कहीं कनेक्शन तो कहीं टोटियां नहीं, टोटियां हैं तो जल ही नहीं। टूटी टोटियां लगाने तक को दानदाता का इंतजार। दानी मिल भी गए तो रखरखाव न होने से पक्का नहीं कि सब दुरूस्त हो जाएगा। ऐसे में पीने का पानी एक किलोमीटर के रेड जोन, येलो जोन से लगायत किसी कोण में नहीं है। हाल में भारतीय स्टेट बैंक ने छह टोटियां लगवाई थीं। बंदरों ने उखाड़ फेंकी, तब से जलापूर्ति ठप। सरस्वती फाटक के पास हैंडपंप है तो उससे पानी निकालने में पसीने छूट जाएंगे। रानीभवानी प्रांगण में इसी साल के आरंभ में डीएम के निर्देश पर बेसिन लगे भी तो धर्म आड़े आ गया लेकिन किसी का बाबा भक्तों के सूखते हलक पर ध्यान नहीं गया।
Source: Spirituality News & Hindi Rashifal 2014
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