Friday, 4 July 2014

The Board agreed on the formation of Jay Srin

नीलकंठ महादेव मंदिर का अधिग्रहण कर यहां मां वैष्णो देवी की तर्ज पर श्राइन बोर्ड के गठन की राह आसान हो गई है। शासन के निर्देश पर वीरवार को हुई आम बैठक में क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि व संगठनों ने इस मसौदे पर हामी भरी।

तहसील प्रशासन दो दिन के भीतर इस संबंध में रिपोर्ट सौंपेगा। श्रावण मास की नीलकंठ यात्रा के दौरान करीब 30 लाख श्रद्धालु नीलकंठ महादेव मंदिर में आते हैं। वैसे तो पूरे साल श्रद्धालुओं का यहां आना-जाना होता है। समुचित इंतजाम न होने से नीलकंठ मार्ग और मंदिर क्षेत्र में अव्यवस्थाएं हावी हो जाती हैं। स्थानीय लोगों को भी इस वजह से परेशानियां उठानी पड़ती है। श्रावण मास में लोग ज्यादा परेशान रहते हैं। इसके मद्देनजर राज्य आंदोलनकारी इंद्रदत्त शर्मा ने ग्रामीणों के साथ नीलकंठ मंदिर के अधिग्रहण के लिए आंदोलन की शुरुआत की।

फरवरी माह में सचिव धर्मस्व डॉ. उमाकांत पंवार ने जिलाधिकारी पौड़ी को नीलकंठ में श्रइन बोर्ड के गठन के लिए क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों, ग्रामीणों व मंदिर समिति के साथ बैठक कर सुझाव आमंत्रित करने को कहा था। वीरवार को लक्ष्मण झूला स्थित डीएम कैंप कार्यालय में तहसील प्रशासन की पहल पर आम बैठक बुलाई गई। इसमें पूर्व ब्लॉक प्रमुख शमशेर सिंह सजवाण, पूर्व सैनिक संगठन के केंद्रीय संरक्षक शोभाराम रतूड़ी, सत्यपाल राणा आदि ने श्राइन बोर्ड का गठन को जनहित में जरूरी बताया। उनका कहना था कि नीलकंठ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ रही है।

मंदिर समिति सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं कर पा रही है। सारा खर्च प्रशासन को उठाना पड़ता है। सुलोचना पयाल, वेदप्रकाश शर्मा, डीएस गुसांई, बंशी लाल नौटियाल, शमशेर सिंह आदि ने कहा कि श्राइन बोर्ड गठित होने से इस तीर्थ क्षेत्र का विकास होगा। राज्य आंदोलनकारी इंद्रदत्त शर्मा ने चेताया कि एक सप्ताह के भीतर इस बाबत जिला प्रशासन से शासन को रिपोर्ट नहीं जाती है तो जनता पुन: आंदोलन को बाध्य होगी। नीलकंठ मंदिर समिति के प्रतिनिधि धन सिंह राणा ने भी जनहित में श्राइन बोर्ड का समर्थन करते हुए मंदिर समिति द्वारा क्षेत्र में कराए जा रहे कार्यो का ब्योरा प्रस्तुत किया।

तहसीलदार एससी ध्यानी ने कहा कि बैठक में सभी लोगों ने श्राइन बोर्ड गठन के समर्थन में अपनी बात रखी है। वह दो दिन के भीतर जिलाधिकारी को इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे। बैठक का संचालन प्रधान संगठन के निवर्तमान ब्लॉक अध्यक्ष सत्यपाल सिंह पयाल ने किया। बैठक में देवेंद्र सिंह राणा, महिपाल सिंह पयाल, राजेंद्र जुगलान, तौली केप्रधान रविंद्र सिंह, आलम सिंह नेगी, बैरागढ़ के प्रधान अरुण जुगलान, पूर्व प्रधान कृपाल सिंह, श्रीधर प्रसाद नौटियाल, सुरेंद्र सिंह सजवाण आदि उपस्थित थे।

नीलकंठ मंदिर- गेंद प्रशासन के पाले में

नीलकंठ महादेव मंदिर के अधिग्रहण व यहां श्रइन बोर्ड के गठन की मांग पर क्षेत्रीय जनता ने मोहर लगा दी है अब गेंद प्रशासन के पाले में है। शासन के आदेश पर पांच माह बाद बैठक बुलाकर प्रशासन की मंशा पर सवाल खड़े हुए हैं। महत्वपूर्ण बैठक में उप जिलाधिकारी के न पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी जताई। नीलकंठ महादेव मंदिर से जुड़ी इस मांग को लेकर चले आंदोलन के बाद दो वर्ष की अवधि में नायब तहसीलदार, तहसीलदार, उप जिलाधिकारी यमकेश्वर व जिलाधिकारी पौड़ी पूर्व में नीलकंठ मंदिर के अधिग्रहण को लेकर सहमति रिपोर्ट शासन को भेज चुके थे। शासन स्तर पर लंबित इस मामले में मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी पौड़ी को आदेश जारी किए थे। इसी क्त्रम में 28 फरवरी को सचिव धर्मस्व उत्तराखंड उमाकांत पंवार की अध्यक्षता में आंदोलनकारियों की बैठक हुई। इस बैठक के बाद सचिव धर्मस्व ने जिलाधिकारी पौड़ी को आदेश जारी कर निर्देशित किया कि एसडीएम के द्वारा नीलकंठ मंदिर में श्रइन बोर्ड के गठन के लिए आम बैठक बुलाई जाए। इसके बाद भी पांच माह तक बैठक न बुलाने पर प्रशासन की मंशा पर सवाल उठते रहे। आखिरकार गुरुवार को डीएम कैंप कार्यालय लक्ष्मण झूला में बुलाई गई बैठक में यमकेश्वर के उप जिलाधिकारी नहीं पहुंचे। एसडीएम की अनुपस्थिति यहां पहुंचे जन प्रतिनिधियों और ग्रामीणों को अखरी। इन सभी लोगों ने एसडीएम के खिलाफ प्रदर्शन कर उन्हें यहां से अन्यत्र भेजे जाने की मांग की। इस मामले को लेकर राज्य आंदोलनकारी इंद्रदत्त शर्मा ने कहा कि नीलकंठ मंदिर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर जिला प्रशासन की भूमिका को सही नहीं ठहराया जा सकता। ऐसी महत्वपूर्ण बैठक में एसडीएम का न आना कई सवालों को जन्म देता है। 

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