अगर आपको सांस लेने में दिक्कत है और आप मधुमेह पीड़ित हैं तथा श्री बाबा अमरनाथ की यात्रा के लिए पंजीकरण भी करवा चुके हैं तो लापरवाही न बरतें। आपकी जरा सी लापरवाही आपकी जान के लिए खतरा बन सकती है। सिर्फ स्वास्थ्य प्रमाणपत्र हासिल करने से आप स्वस्थ्य नहीं हो जाते, यात्रा के दौरान स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
इन दिनों चल रही श्री बाबा अमरनाथ की यात्रा में चार दिन में चार श्रद्धालुओं की हृदयघात से मौत हो चुकी है। यात्रा के दौरान सावधानियां न बरतना महंगा पड़ रहा है। यात्रा में लापरवाही के कारण ही वर्ष 2009 में 45 श्रद्धालुओं की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई थी। इसके अगले वर्ष 2010 में सरकार द्वारा श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल प्रमाणपत्र अनिवार्य करने के बावजूद मरने वालों की संख्या 68 हो गई।
वर्ष 2011 में तो 105 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इसके बाद बोर्ड ने फिर से स्वास्थ्य प्रमाणपत्र को अनिवार्य किया और सुप्रीम कोर्ट ने भी यात्रियों को हर संभव स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। लेकिन मात्र स्वास्थ्य प्रमाणपत्र हासिल करने से ही कुछ नहीं होता। इसके लिए आपको स्वयं भी कई सावधानियां बरतने की जरूरत है। मेडिसीन के विशेषज्ञ डॉ. नीरज शर्मा का कहना है कि बोर्ड जो हेल्थ एडवाइजरी जारी करता है, उसका भी यात्री पालन नहीं करते हैं। यात्रा के दौरान अक्सर देखा गया है कि शहरों में रहने वाले श्रद्धालु अधिक बीमार होते हैं। इन लोगों को पैदल चलने या फिर पहाड़ी क्षेत्रों में चलने का अभ्यास नहीं होता। अमरनाथ यात्रा के दौरान जब इन लोगों को अचानक पहाड़ी क्षेत्र में चलना पड़ता है तो उनके दिल को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती। इससे यात्री को हार्ट अटैक हो जाता है।
श्रइन बोर्ड की ओर से जारी हेल्थ एडवाइजरी का करें पालन-
यात्रा में जाने के लिए यह जरूरी है कि पैदल चलने की आदत डालें। यात्रा में आने से ठीक पहले भी डॉक्टरों से स्वास्थ्य की जांच करवाएं। अगर आप हृदय रोगी हैं, बाईपास सर्जरी करवाई है तो यात्र में भाग लेने से परहेज करें। मधुमेह, ब्लडप्रेशर या फिर किसी अन्य बीमारी के मरीज यात्रा के दौरान भी नियमित दवाइयां लें। यात्रा में गर्म कपड़े जरूर साथ रखें, ठंड में दिल अधिक दगा देता है। यात्र रुक-रुक कर व विश्रम कर करें। अगर यात्रा के दौरान सांस की समस्या आती है तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं
मेडिकल कॉलेज जम्मू में कार्डियालोजी विभाग के एचओडी डॉ. सुशील शर्मा का कहना है कि अमरनाथ यात्रा पहाड़ी क्षेत्र में है और वहां बहुत अधिक ठंड होती है। ठंड में दिल को अधिक पंपिंग की जरूरत पड़ती है मगर नाड़ियों के सिकुड़ जाने के कारण ऐसा हो नहीं पाता। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में आक्सीजन की भी कमी है। ऐसे में स्वस्थ्य लोगों को ही पूरी सावधानी के साथ यात्रा करनी चाहिए। अगर कोई पहले से ही दिल का रोगी है तो वह यात्रा में जाने से परहेज करें।
आधार शिविर यात्री निवास में बने स्वास्थ्य केंद्र में हर दिन औसतन सौ यात्री अपनी जांच करवा रहे हैं। कैंप के प्रभारी डॉ. अशोक शर्मा का कहना है कई यात्रियों को पहलगाम से जाना है, वह जल्दी पहुंच गए हैं। उन्हें दर्द, बुखार, पेट की समस्या है, जिसकी जांच कर दवाई दी जा रही है।
इन दिनों चल रही श्री बाबा अमरनाथ की यात्रा में चार दिन में चार श्रद्धालुओं की हृदयघात से मौत हो चुकी है। यात्रा के दौरान सावधानियां न बरतना महंगा पड़ रहा है। यात्रा में लापरवाही के कारण ही वर्ष 2009 में 45 श्रद्धालुओं की हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई थी। इसके अगले वर्ष 2010 में सरकार द्वारा श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल प्रमाणपत्र अनिवार्य करने के बावजूद मरने वालों की संख्या 68 हो गई।
वर्ष 2011 में तो 105 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इसके बाद बोर्ड ने फिर से स्वास्थ्य प्रमाणपत्र को अनिवार्य किया और सुप्रीम कोर्ट ने भी यात्रियों को हर संभव स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए। लेकिन मात्र स्वास्थ्य प्रमाणपत्र हासिल करने से ही कुछ नहीं होता। इसके लिए आपको स्वयं भी कई सावधानियां बरतने की जरूरत है। मेडिसीन के विशेषज्ञ डॉ. नीरज शर्मा का कहना है कि बोर्ड जो हेल्थ एडवाइजरी जारी करता है, उसका भी यात्री पालन नहीं करते हैं। यात्रा के दौरान अक्सर देखा गया है कि शहरों में रहने वाले श्रद्धालु अधिक बीमार होते हैं। इन लोगों को पैदल चलने या फिर पहाड़ी क्षेत्रों में चलने का अभ्यास नहीं होता। अमरनाथ यात्रा के दौरान जब इन लोगों को अचानक पहाड़ी क्षेत्र में चलना पड़ता है तो उनके दिल को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती। इससे यात्री को हार्ट अटैक हो जाता है।
श्रइन बोर्ड की ओर से जारी हेल्थ एडवाइजरी का करें पालन-
यात्रा में जाने के लिए यह जरूरी है कि पैदल चलने की आदत डालें। यात्रा में आने से ठीक पहले भी डॉक्टरों से स्वास्थ्य की जांच करवाएं। अगर आप हृदय रोगी हैं, बाईपास सर्जरी करवाई है तो यात्र में भाग लेने से परहेज करें। मधुमेह, ब्लडप्रेशर या फिर किसी अन्य बीमारी के मरीज यात्रा के दौरान भी नियमित दवाइयां लें। यात्रा में गर्म कपड़े जरूर साथ रखें, ठंड में दिल अधिक दगा देता है। यात्र रुक-रुक कर व विश्रम कर करें। अगर यात्रा के दौरान सांस की समस्या आती है तो तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं
मेडिकल कॉलेज जम्मू में कार्डियालोजी विभाग के एचओडी डॉ. सुशील शर्मा का कहना है कि अमरनाथ यात्रा पहाड़ी क्षेत्र में है और वहां बहुत अधिक ठंड होती है। ठंड में दिल को अधिक पंपिंग की जरूरत पड़ती है मगर नाड़ियों के सिकुड़ जाने के कारण ऐसा हो नहीं पाता। उनका कहना है कि इस क्षेत्र में आक्सीजन की भी कमी है। ऐसे में स्वस्थ्य लोगों को ही पूरी सावधानी के साथ यात्रा करनी चाहिए। अगर कोई पहले से ही दिल का रोगी है तो वह यात्रा में जाने से परहेज करें।
आधार शिविर यात्री निवास में बने स्वास्थ्य केंद्र में हर दिन औसतन सौ यात्री अपनी जांच करवा रहे हैं। कैंप के प्रभारी डॉ. अशोक शर्मा का कहना है कई यात्रियों को पहलगाम से जाना है, वह जल्दी पहुंच गए हैं। उन्हें दर्द, बुखार, पेट की समस्या है, जिसकी जांच कर दवाई दी जा रही है।
Source: Spiritual Hindi Stories & Rashifal 2014
No comments:
Post a Comment