Wednesday, 2 July 2014

CAG report: Maha Kumbh not show up in the planning and coordination of

संगम तट पर महाकुंभ 2013 के आयोजन की सफलता पर अपनी पीठ थपथपाने वाले विभागों की खामियों को अब सीएजी ने उजागर किया है। लेखा परीक्षा रिपोर्ट के अनुसार विभागों में नियोजन का अभाव था और सामंजस्य बनाने के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन तक नहीं बनाया गया था।

मेला खत्म हो गया पर काम नहीं

महाकुंभ 2013 की ऑडिट रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई। तेरह विभागों के अभिलेखों की जांच पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महाकुंभ की शुरुआत 14 जनवरी 2013 से हुई थी लेकिन लोक निर्माण विभाग और नगर निगम के कई काम मेला खत्म होने के कई माह बाद तक अधूरे रहे। विशेष तौर पर सड़क निर्माण के 111 कायरें में से 65 कार्य जून 2013 तक नहीं खत्म किए जा सके थे। यही स्थिति नगर निगम की 35 सड़कों की भी थी। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र भी है कि 26.64 करोड़ लागत के चार काम तो मेला खत्म होने के बाद भी शुरू नहीं हो सके थे। कई सड़कों के चौड़ीकरण का काम बिना यातायात गणना के ही कराया गया। 23 सड़कों के चौड़ीकरण पर 57.41 करोड़ का व्यय अनियमित रहा। मेला की शुरुआत में लगभग 59 फीसद काम अधूरे थे।

लागबुक में ट्रैक्टर और पंजीकरण में रिक्शा

सीएजी रिपोर्ट ने महाकुंभ के कायरें में धांधली की ओर भी इशारा किया है। भूमि के समतलीकरण में दो ट्रैक्टरों को एक ही समय में दो स्थानों पर कार्य करता हुआ दिखाया गया। इस कार्य में 93 ट्रैक्टर लगाए गए थे लेकिन नौ की पंजीकरण संख्या मोटरसाइकिल, स्कूटर, आटो रिक्शा, खुली ट्रक एवं बसों की थी। अभिलेख परीक्षण में तीस श्रमिक भी ऐसे मिले जो एक ही समय दो स्थानों पर कार्य करते दर्शाए गए। 23 ठेकेदारों को 4.65 करोड़ अग्रिम भुगतान पर भी आपत्तियां जताई गई है। कहा गया है कि यह न सिर्फ अनियमित था बल्कि ठेकेदारों को अनुचित लाभ भी था।

मनमानी खरीदारी, दवाओं की बर्बादी

महाकुंभ में राज्य क्रय मैन्युअल की भी जमकर अवहेलना की गई। अधिक सामान खरीद लेने से धनराशि अवरुद्ध रही। मसलन स्वास्थ्य विभाग ने 93.45 लाख रुपये से 172 तरह की औषधियां खरीदी जिनमें 61.06 लाख का उपयोग नहीं किया जा सका। इनकी एक्सपायरी भी अगस्त 2013 में ही हो जानी थी। मेडिकल कालेज ने मई में इन दवाओं को गरीबों में बांटने की अनुमति मांगी लेकिन शासन से छह अगस्त 2013 को अनुमति दी गई। हालांकि शासन का कहना था कि अधिकांश दवाओं का इस्तेमाल कर लिया गया। नगर निगम ने भी अधिक सामान खरीदे।

भीड़ प्रबंधन पर सवाल

कैग ने महाकुंभ में भीड़ प्रबंधन की योजना को भी कटघरे में रखते हुए कहा है कि विभागों में समन्वय एवं प्रबंधन का अभाव था। मौनी अमावस्या पर रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के लिए भी समन्वय की कमी को ही जिम्मेदार माना। रेलवे और मेला नियंत्रण कक्ष में सजीव प्रसारण को साझा करने की कोई सुविधा नहीं थी।

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