Friday, 4 July 2014

These two kings were not included in the mahabharata war

महाभारत युद्ध के समय सारे भारतवर्ष में, सिर्फ दो ही राजा युद्ध में शामिल नहीं हुए थे एक बलराम और दूसरे भोजकट के राजा रुक्मी। रुक्मी की छोटी बहन रुक्मिणी श्रीकृष्ण की पत्नी थीं।

महाभारत में वर्णित है कि जिस समय युद्ध की तैयारियां हो रही थीं और उधर एक दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम, पांडवों की छावनी में अचानक पहुंचे।

दाऊ भैया (बलराम) को आता देख श्रीकृष्ण, युधिष्ठर आदि बड़े प्रसन्न हुए। सभी ने उनका आदर किया। सभी को अभिवादन कर बलराम, धर्मराज के पास बैठ गए।

उन्होंने कहा कि भारत में लालच, क्रोध और द्वेष का बोलबाला हो गया है। यह कहते हुए उनका गला भर आया। थोड़ी देर रुककर बोले कि महाभारत युद्ध की वजह से सारा संसार भयानक, भीभत्स दृश्यों से भर गया है।

कितनी बार मैनें(बलराम) ने कृष्ण को कहा कि हमारे लिए तो पांडव और कौरव दोनों ही एक समान हैं। दोनों को मूर्खता करनी की सूझी है। इसमें हमें बीच में पड़ने की आवश्यकता नहीं, पर कृष्ण ने मेरी एक न मानी। अर्जुन के पिरति उसका स्नेह इतना ज्यादा है कि वह कौरवों के विपक्ष मे है।

अब जिस तरफ कृष्ण हों, उसके विपक्ष में कैसे जाउं? भीम और दुर्योधन दोनों ने ही मुझसे गदा सीखी है। दोनों ही मेरे शिष्य हैं। दोनों पर मेरा एक जैसा स्नेह है। इन दोनों कुरुवंशियों को आपस में लड़ते देखकर मुझे अच्छा नहीं लगता। अतः में तीर्थ यात्रा पर जा रहा हूं।

कहते हैं कि कभी-कभी हरेक मनुष्य को धर्म संकट जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे अवसर पर लोग दुविधा में फंस जाते हैं। होना यह चाहिए कि समस्या के मूल में जाना चाहिए। क्यों कि समस्या के एक होने पर भी उनके कई हल होते हैं।

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