Monday, 25 August 2014

13 akhara refusal to accept god sai

शिर्डी के साईं बाबा को भगवान मानने को लेकर चल रहे विवाद पर छत्‍तीसगढ़ के कवर्धा में बुलाई गई धर्म संसद में 13 अखाड़ों के प्रमुख ने साईं को भगवान मानने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि साईं के भगवान होने का कोई प्रमाणिक दस्‍तावेज नहीं है। उन्‍होंने कहा कि लोग गलत रास्‍ते पर जा रहे है और उन्‍हें वापस लाने के लिए ही धर्म संसद बुलाई गई है। धर्मसंसद में आए हुए विद्वानों ने कहा कि साईं बाबा ना गुरू हैं, ना अवतार और ना ही संत।

13 अखाड़ों के प्रमुख का कहना है कि शंकराचार्य स्‍वरुपानंद सरस्‍वती जो कहेंगे हम वही करेंगे। वे भटके हुए हिंदुओं को वापस लाने का काम कर रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि साईं भक्‍त इसका विरोध करेंगे तो उन्‍होंने कहा किसी के डर से परंपरा नहीं बदली जा सकती। देश में लाखों समाधियों की पूजा की जाती है हम उसका विरोध नहीं करते, लेकिन भगवान को उनके साथ जोड़ना गलत है।

धर्म संसद में तेरह अखाड़ों के संतों में निरंजन अखाड़ा के नरेंद्रगिरी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के हरिगिरी सहित अन्‍य संत शामिल हुए हैं।

धर्मसंसद को संबोधित करते हुए शंकराचार्य स्‍वरूपानंद सरस्‍वती ने कहा कि साईं का कोई अस्‍त‍ित्‍व ही नहीं है।इसलिये पूजा का कोई फल नहीं मिलने वाला। उन्‍होंने कहा - हम साईं की मूर्ति तोड़ने नहीं जा रहे बल्कि उनका अस्‍त‍ित्‍व शून्‍य करने जा रहे हैं।

स्‍वरूपानंद ने कहा कि साईं की पूजा से मानव जीवन खराब होता है। उन्‍होंने प्रतिप्रश्‍न किया कि इस आयोजन में साईं संस्‍थान से कोई क्‍यों नहीं आया।

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