पुणे की शीतल अपनी कार से अब तक 14 हजार किलोमीटर का सफर तय कर चुकी हैं। इनका मकसद केवल लोगों से मुलाकात करना है। ऐसे लोगों से, जो अपने क्षेत्र में सेवा कार्य कर रहे हैं, बिना किसी सहायता के या बिना किसी लाभ, मोह के। शीतल प्रोफेशनल ट्रेनर हैं, जो बड़ी-बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों को ट्रेनिंग देती हैं। सोमवार की रात शीतल राजधानी रायपुर पहुंचीं।
नईदुनिया से अपनी यात्रा के बारे में चर्चा करते हुए शीतल ने बताया कि मेरा सफर 2 मार्च को गुजरात के कच्छ शहर से शुरू हुआ। मैं चाहती हूं कि सफर 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन साबरमती आश्रम में समाप्त हो। बकौल शीतल- हम लोगों ने मिलकर 'मूव्ड बाई लव' नामक एक ग्रुप बनाया है। 'मूव्ड बाई लव' को विनोबा भावे जी की एक किताब से लिया गया है।
इस ग्रुप में बड़ी संख्या में प्रोफेशनल्स शामिल हैं, जो समय निकालकर सेवा कार्य में सहयोग करते हैं। गांधी जी और विनोबा भावे जी अपनी यात्राओं में लोगों से मिला करते थे। उनका मकसद सभी लोगों को एक-दूसरे से जोड़ना था। हम भी यही करते हैं। शीतल बताती हैं-यह कोई एनजीओ या संस्था नहीं है, केवल एक ग्रुप है, जो छोटे-छोटे सेवा कार्य करता है।
देश में कई ऐसे लोग हैं, संस्थाएं हैं, जो सेवा कार्य के रूप में कई बेहतर कार्य कर रहे हैं, लेकिन इन्हें कोई जानता तक नहीं। मैं ऐसे सभी लोगों से मिलना चाहती हूं और उनको साथ जोड़ना चाहती हूं, ताकि विचारों का आदान-प्रदान हो सके। यात्रा के पश्चात हमारा ग्रुप मित्र मिलन समारोह का आयोजन करेगा। इसमें यात्रा के दौरान मिले एनजीओ, संस्थाओं और लोगों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि उनके कार्यों को पहचान मिल सके और लोगों को उनसे प्रेरणा मिले।
शीतल अब गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड की यात्रा कर चुकी हैं। छत्तीसगढ़ के बाद वे नागपुर के रास्ते मध्यप्रदेश होते हुए अन्य राज्य जाएंगी।
यह देश मिलनसार लोगों का है
शीतल बताती हैं कि वे अपनी यात्रा के दौरान केवल लोगों के घरों, गुरुद्वारे में या आश्रम में ही ठहरती हैं। वे कहती हैं कि यह देश मिलनसार लोगों का है। मैं जहां-जहां गई, सभी ने मदद की। रोजाना सुबह मेरा सफर शुरू होता है और शाम को किसी गांव में लोगों के यहां ठहर जाती हूं। यात्रा के दौरान कोई न कोई सहयात्री जरूर मिल जाता है, जो मेरी इस मुहिम में अपना योगदान देता है। मेरी गाड़ी ने भी अब तक मेरा साथ दिया है।
नईदुनिया से अपनी यात्रा के बारे में चर्चा करते हुए शीतल ने बताया कि मेरा सफर 2 मार्च को गुजरात के कच्छ शहर से शुरू हुआ। मैं चाहती हूं कि सफर 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन साबरमती आश्रम में समाप्त हो। बकौल शीतल- हम लोगों ने मिलकर 'मूव्ड बाई लव' नामक एक ग्रुप बनाया है। 'मूव्ड बाई लव' को विनोबा भावे जी की एक किताब से लिया गया है।
इस ग्रुप में बड़ी संख्या में प्रोफेशनल्स शामिल हैं, जो समय निकालकर सेवा कार्य में सहयोग करते हैं। गांधी जी और विनोबा भावे जी अपनी यात्राओं में लोगों से मिला करते थे। उनका मकसद सभी लोगों को एक-दूसरे से जोड़ना था। हम भी यही करते हैं। शीतल बताती हैं-यह कोई एनजीओ या संस्था नहीं है, केवल एक ग्रुप है, जो छोटे-छोटे सेवा कार्य करता है।
देश में कई ऐसे लोग हैं, संस्थाएं हैं, जो सेवा कार्य के रूप में कई बेहतर कार्य कर रहे हैं, लेकिन इन्हें कोई जानता तक नहीं। मैं ऐसे सभी लोगों से मिलना चाहती हूं और उनको साथ जोड़ना चाहती हूं, ताकि विचारों का आदान-प्रदान हो सके। यात्रा के पश्चात हमारा ग्रुप मित्र मिलन समारोह का आयोजन करेगा। इसमें यात्रा के दौरान मिले एनजीओ, संस्थाओं और लोगों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि उनके कार्यों को पहचान मिल सके और लोगों को उनसे प्रेरणा मिले।
शीतल अब गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड की यात्रा कर चुकी हैं। छत्तीसगढ़ के बाद वे नागपुर के रास्ते मध्यप्रदेश होते हुए अन्य राज्य जाएंगी।
यह देश मिलनसार लोगों का है
शीतल बताती हैं कि वे अपनी यात्रा के दौरान केवल लोगों के घरों, गुरुद्वारे में या आश्रम में ही ठहरती हैं। वे कहती हैं कि यह देश मिलनसार लोगों का है। मैं जहां-जहां गई, सभी ने मदद की। रोजाना सुबह मेरा सफर शुरू होता है और शाम को किसी गांव में लोगों के यहां ठहर जाती हूं। यात्रा के दौरान कोई न कोई सहयात्री जरूर मिल जाता है, जो मेरी इस मुहिम में अपना योगदान देता है। मेरी गाड़ी ने भी अब तक मेरा साथ दिया है।
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