जिले के सभी कोल ब्लॉक्स के निरस्त होने का खतरा मंडराने लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिए ऐतिहासिक फैसला में 1993 के बाद आवंटित सभी कोल ब्लॉक्स अवैध को अवैध ठहराते हुए निरस्त करने व फिर से सुनवाई की बात कही। इस फैसले से जिले की तमाम कोल कंपनियों के होश उड़ गए हैं।
रायगढ़ का पहला निजी कोल माइंस जिंदल को कैप्टिव कोल माइंस डोंगा महुआ तमनार में एलॉट किया गया था। इसके बाद यहां पर कोल ब्लॉक्स की बाढ़ आ गई। तमनार व घरघोड़ा ब्लॉक की ज्यादातर जमीनें कोयला क्षेत्र घोषित है और वहां कई खदानें चालू और कई प्रतिक्षित हैं। इनमें से ज्यादातर कोल ब्लॉक्स के अपने पॉवर प्लांट्स भी हैं और वहां से बिजली का उत्पादन प्रारंभ हो चुका है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे निरस्त नहीं किया है पर निरस्तीकरण को लेकर पुनः सुनवाई की बात कही है।
20 कोल ब्लॉक्स का आवंटन
जिले में वर्तमान में 20 कोल ब्लॉक्स का आवंटन किया गया है, इसमें से कई अभी प्रक्रियाधीन हैं। कोल आवंटन घोटाले के खुलासे के बाद से इन खदानों के निरस्त होने की आशंका थी, पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद यह तय हो गया है कि कम से कम यहां के 12 कोल ब्लॉक्स को फिलहाल हरी झंडी नहीं मिलेगी। अब तक कई कारणों से इन कोयला खदानों में कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका है। इनमें से कुछ कंपनियां स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अदालती लड़ाई में फंसी हुई हैं।
हालांकि कोल कंपनियों का अब तक यह तर्क था कि उन्होंने सरकार से आवंटन प्राप्त कर लिया है, यदि प्रक्रिया में कहीं कमी या खोट है तो उसका खामियाजा वे क्यूं भुगतें। पर आने वाले दिनों में कोल कंपनियों को ही दिक्कत होने वाली है। जिले के धरमजयगढ़ अनुभाग में तो कोल ब्लॉक्स की अभी शुरूआत नहीं हो सकी है। वहां पर पांच कोल ब्लॉक्स प्रस्तावित हैं। इन कोल ब्लॉक्स के विरोध में यहां के लोगों ने आए दिन आंदोलन भी किए हैं।
1993 के बाद आवंटित कोल ब्लॉक
जेएसपीएल कैप्टिव कोल माइंस डोंगा महुआ
मोनेट कोल माइंस मिलूपारा
निको जायसवाल कोल माइंस बांझिनखोल
रायपुर एलायड तमनार
जेपीएल गारे पेलमा
एसईसीएल छाल, बरौद व जामपाली
क्लियरेंस के बाद भी नहीं खुले ब्लॉक्स
बालको दुर्गापुर/तरईमार
एनटीपीसी तिलईपाली
डीबी पॉवर दुर्गापुर/सरिया
फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक
फतेहपुर कोल ब्लॉक
नीको जायसवाल गारे पेलमा
जेएसपीएल गारे 4/6
सीएमडीसी गारे पेलमा 4/8
सीएमडीसी गारे पेलमा सेक्टर 1
प्रक्रियाधीन कोल ब्लॉक
तमिलनाडू इलेक्ट्रीकल कॉर्पोरेशन गारे पेलमा सेक्टर 2
गोवा इंडस्ट्रियल कार्पोरेशन तमनार
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रीकल कॉर्पोरेशन तमनार
सीएमडीसी तमनार
इससे प्रभावित होने वाली कंपनियां
जिंदल स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड, जिंदल पॉवर लिमिटेड, डीबी पॉवर, बाल्को, नलवा स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड, एसकेएस पॉवर, टॉप वर्थ पॉवर, एमएसपी स्टील एण्ड पॉवर, कोरबा वेस्ट, जेएलडी यवतमाल, एथेना पॉवर, वंदना एनर्जी, वीसा पॉवर व आरकेएम पॉवर कंपनी आदि। इनमें से कुछ कंपनियों के कोल ब्लॉक जिले से बाहर हैं तो कुछ कंपनियां जिले से बाहर स्थापित हैं। लेकिन दोनों के केंद्र में रायगढ़ जिला है।
निरस्त होने से हो सकते हैं कई प्रभावित
यदि सुप्रीम कोर्ट ने सभी कोल ब्लॉक्स को निरस्त कर दिया तो चालू कोल ब्लॉक में काम कर रहे लोगों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। कोल ब्लॉक में काम करने वाले लोगों के अलावा उस कंपनी के पॉवर उत्पादन से जुड़े संयंत्रों में भी लोग काम कर रहे हैं। इसके अलावा इन कोल कंपनियों में लाखों करोड़ का निवेश भी हो चुका है। हालांकि इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोल ब्लॉक्स के निरस्त किए जाने के लिए अलग से सुनवाई होगी पर जिन कोल ब्लॉक्स के काम अभी शुरू नहीं हुए हैं, उनको लगभग निरस्त माना जा रहा है।
अब आगे क्या?
यदि सारे कोल ब्लॉक्स का आवंटन अवैध है तो जिन कंपनियों ने इसका दोहन कर लिया या जो कर रहे हैं उसकी भरपाई कैसे होगी? सवाल यह भी है कि क्या उनसे निकाले गए कोयले की राशि वसूली जाएगी ? यदि सभी कोल ब्लॉक्स निरस्त हो गए तो कोल ब्लॉक्स के कोयले से जो बिजली का उत्पादन किया जा रहा है जिसकी देश में बहुत जरूरत है उसको बाधित होने दिया जाएगा?
जिन कंपनियों ने कोल ब्लॉक आवंटन के बाद पॉवर प्लांट का काम शुरू कर दिया उनके नुकसान की भरपाई कैसे होगी? कई उद्योगपतियों का यह भी कहना है कि यदि प्रक्रिया में गलती थी तो इसका खामियाजा कंपनी क्युं भुगते? इसके लिए दोषियों को दंडित किए जाने की बजाए कंपनियां नुकसान क्यों सहें? हालांकि कुछ लोगों को यह भी विश्वास है कि सरकार कोई न कोई रास्ता जरूर निकाल लेगी।
हालांकि मुझे फैसले की पूरी जानकारी नहीं है, पर यदि प्रक्रिया में गलती है तो इसे फिर से दुरुस्त किया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया को कोर्ट अपने अधीन पूरी करवा सकता है। वैसे सरकार और कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेगी।
प्रशांत पाण्डेय, जीएम, पीआर एमएसपी स्टील एण्ड पॉवर
बहुत अच्छा फैसला है। उम्मीद है कि गलत तरीके से आवंटित कोल ब्लॉक्स को रद्द किया जाएगा। खासकर उन खदानों को जो अभी चालू नहीं हुए हैं। हमें पता था सरकार की बजाए कोर्ट ही कुछ कर सकती है और हुआ भी वही।
रमेश अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता व ग्रीनमैन अवार्ड विनर
दुखद है, उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सारी समस्याएं दूर हो जाएगी। लेकिन यह सोचने वाली बात है कि क्या बिजली के बगैर हम रह पाएंगे व क्या कोयला के बगैर बिजली बन पाएगी?
अनूप राय, डीबी पॉवर
रायगढ़ का पहला निजी कोल माइंस जिंदल को कैप्टिव कोल माइंस डोंगा महुआ तमनार में एलॉट किया गया था। इसके बाद यहां पर कोल ब्लॉक्स की बाढ़ आ गई। तमनार व घरघोड़ा ब्लॉक की ज्यादातर जमीनें कोयला क्षेत्र घोषित है और वहां कई खदानें चालू और कई प्रतिक्षित हैं। इनमें से ज्यादातर कोल ब्लॉक्स के अपने पॉवर प्लांट्स भी हैं और वहां से बिजली का उत्पादन प्रारंभ हो चुका है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसे निरस्त नहीं किया है पर निरस्तीकरण को लेकर पुनः सुनवाई की बात कही है।
20 कोल ब्लॉक्स का आवंटन
जिले में वर्तमान में 20 कोल ब्लॉक्स का आवंटन किया गया है, इसमें से कई अभी प्रक्रियाधीन हैं। कोल आवंटन घोटाले के खुलासे के बाद से इन खदानों के निरस्त होने की आशंका थी, पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद यह तय हो गया है कि कम से कम यहां के 12 कोल ब्लॉक्स को फिलहाल हरी झंडी नहीं मिलेगी। अब तक कई कारणों से इन कोयला खदानों में कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सका है। इनमें से कुछ कंपनियां स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अदालती लड़ाई में फंसी हुई हैं।
हालांकि कोल कंपनियों का अब तक यह तर्क था कि उन्होंने सरकार से आवंटन प्राप्त कर लिया है, यदि प्रक्रिया में कहीं कमी या खोट है तो उसका खामियाजा वे क्यूं भुगतें। पर आने वाले दिनों में कोल कंपनियों को ही दिक्कत होने वाली है। जिले के धरमजयगढ़ अनुभाग में तो कोल ब्लॉक्स की अभी शुरूआत नहीं हो सकी है। वहां पर पांच कोल ब्लॉक्स प्रस्तावित हैं। इन कोल ब्लॉक्स के विरोध में यहां के लोगों ने आए दिन आंदोलन भी किए हैं।
1993 के बाद आवंटित कोल ब्लॉक
जेएसपीएल कैप्टिव कोल माइंस डोंगा महुआ
मोनेट कोल माइंस मिलूपारा
निको जायसवाल कोल माइंस बांझिनखोल
रायपुर एलायड तमनार
जेपीएल गारे पेलमा
एसईसीएल छाल, बरौद व जामपाली
क्लियरेंस के बाद भी नहीं खुले ब्लॉक्स
बालको दुर्गापुर/तरईमार
एनटीपीसी तिलईपाली
डीबी पॉवर दुर्गापुर/सरिया
फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक
फतेहपुर कोल ब्लॉक
नीको जायसवाल गारे पेलमा
जेएसपीएल गारे 4/6
सीएमडीसी गारे पेलमा 4/8
सीएमडीसी गारे पेलमा सेक्टर 1
प्रक्रियाधीन कोल ब्लॉक
तमिलनाडू इलेक्ट्रीकल कॉर्पोरेशन गारे पेलमा सेक्टर 2
गोवा इंडस्ट्रियल कार्पोरेशन तमनार
महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रीकल कॉर्पोरेशन तमनार
सीएमडीसी तमनार
इससे प्रभावित होने वाली कंपनियां
जिंदल स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड, जिंदल पॉवर लिमिटेड, डीबी पॉवर, बाल्को, नलवा स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड, एसकेएस पॉवर, टॉप वर्थ पॉवर, एमएसपी स्टील एण्ड पॉवर, कोरबा वेस्ट, जेएलडी यवतमाल, एथेना पॉवर, वंदना एनर्जी, वीसा पॉवर व आरकेएम पॉवर कंपनी आदि। इनमें से कुछ कंपनियों के कोल ब्लॉक जिले से बाहर हैं तो कुछ कंपनियां जिले से बाहर स्थापित हैं। लेकिन दोनों के केंद्र में रायगढ़ जिला है।
निरस्त होने से हो सकते हैं कई प्रभावित
यदि सुप्रीम कोर्ट ने सभी कोल ब्लॉक्स को निरस्त कर दिया तो चालू कोल ब्लॉक में काम कर रहे लोगों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। कोल ब्लॉक में काम करने वाले लोगों के अलावा उस कंपनी के पॉवर उत्पादन से जुड़े संयंत्रों में भी लोग काम कर रहे हैं। इसके अलावा इन कोल कंपनियों में लाखों करोड़ का निवेश भी हो चुका है। हालांकि इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कोल ब्लॉक्स के निरस्त किए जाने के लिए अलग से सुनवाई होगी पर जिन कोल ब्लॉक्स के काम अभी शुरू नहीं हुए हैं, उनको लगभग निरस्त माना जा रहा है।
अब आगे क्या?
यदि सारे कोल ब्लॉक्स का आवंटन अवैध है तो जिन कंपनियों ने इसका दोहन कर लिया या जो कर रहे हैं उसकी भरपाई कैसे होगी? सवाल यह भी है कि क्या उनसे निकाले गए कोयले की राशि वसूली जाएगी ? यदि सभी कोल ब्लॉक्स निरस्त हो गए तो कोल ब्लॉक्स के कोयले से जो बिजली का उत्पादन किया जा रहा है जिसकी देश में बहुत जरूरत है उसको बाधित होने दिया जाएगा?
जिन कंपनियों ने कोल ब्लॉक आवंटन के बाद पॉवर प्लांट का काम शुरू कर दिया उनके नुकसान की भरपाई कैसे होगी? कई उद्योगपतियों का यह भी कहना है कि यदि प्रक्रिया में गलती थी तो इसका खामियाजा कंपनी क्युं भुगते? इसके लिए दोषियों को दंडित किए जाने की बजाए कंपनियां नुकसान क्यों सहें? हालांकि कुछ लोगों को यह भी विश्वास है कि सरकार कोई न कोई रास्ता जरूर निकाल लेगी।
हालांकि मुझे फैसले की पूरी जानकारी नहीं है, पर यदि प्रक्रिया में गलती है तो इसे फिर से दुरुस्त किया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया को कोर्ट अपने अधीन पूरी करवा सकता है। वैसे सरकार और कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेगी।
प्रशांत पाण्डेय, जीएम, पीआर एमएसपी स्टील एण्ड पॉवर
बहुत अच्छा फैसला है। उम्मीद है कि गलत तरीके से आवंटित कोल ब्लॉक्स को रद्द किया जाएगा। खासकर उन खदानों को जो अभी चालू नहीं हुए हैं। हमें पता था सरकार की बजाए कोर्ट ही कुछ कर सकती है और हुआ भी वही।
रमेश अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता व ग्रीनमैन अवार्ड विनर
दुखद है, उम्मीद है कि आने वाले दिनों में सारी समस्याएं दूर हो जाएगी। लेकिन यह सोचने वाली बात है कि क्या बिजली के बगैर हम रह पाएंगे व क्या कोयला के बगैर बिजली बन पाएगी?
अनूप राय, डीबी पॉवर
Source: Chhattisgarh Hindi News & MP Hindi News
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