नेता प्रतिपक्ष सत्येदव कटारे ने कहा है कि सरकार द्वारा लोकायुक्त और उप लोकायुक्त का कार्यकाल बढ़ाए जाने का जो फैसला लिया गया है, वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने हितों के संरक्षण के लिए लिया है। उन्होंने राज्यपाल से कहा है कि लोकायुक्त या उप लोकायुक्त के कार्यकाल को बढ़ाए जाने का फैसले अनुचित है और वे इस पर अपनी सहमति नहीं दें।
कटारे ने कहा कि लोकायुक्त संवैधानिक संस्था है जिसमें लोकायुक्त या उप लोकायुक्त की नियुक्ति में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बीच परामर्श के बाद भी फैसला होता है। मगर इनके कार्यकाल बढ़ाए जाने के फैसले को लेकर उनसे कोई परामर्श तक नहीं लिया गया। सरकार को इतनी जल्दी क्या थी क्योंकि अभी लोकायुक्त का कार्यकाल 10 महीने और है, इस बीच विधानसभा के किसी सत्र में इसे सदन में लाया जा सकता था। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने अब तक उप लोकायुक्त की नियुक्ति ही नहीं की है जबकि यह पद काफी समय से रिक्त है।
कटारे ने लोकायुक्त व उप लोकायुक्त के सात साल के कार्यकाल को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा कार्यकाल राज्यसभा सदस्य का है और शेष सभी पदों के लिए अधिकतम पांच साल का कार्यकाल है फिर लोकायुक्त व उप लोकायुक्त का कार्यकाल सात साल क्यों किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया कि लोकायुक्त द्वारा मुख्यमंत्री डंपरकांड सहित 2005 से 2012 के बीच कई मंत्रियों को क्लीनचिट दी है और अब सरकार उन्हें एक साल कार्यकाल बढ़ा रही है। सरकार के इस फैसले पर कटारे ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी है जिसमें कहा है कि वे इस निर्णय पर सरकार को स्वीकृति नहीं दें।
कटारे ने कहा कि लोकायुक्त संवैधानिक संस्था है जिसमें लोकायुक्त या उप लोकायुक्त की नियुक्ति में मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बीच परामर्श के बाद भी फैसला होता है। मगर इनके कार्यकाल बढ़ाए जाने के फैसले को लेकर उनसे कोई परामर्श तक नहीं लिया गया। सरकार को इतनी जल्दी क्या थी क्योंकि अभी लोकायुक्त का कार्यकाल 10 महीने और है, इस बीच विधानसभा के किसी सत्र में इसे सदन में लाया जा सकता था। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने अब तक उप लोकायुक्त की नियुक्ति ही नहीं की है जबकि यह पद काफी समय से रिक्त है।
कटारे ने लोकायुक्त व उप लोकायुक्त के सात साल के कार्यकाल को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि देश में सबसे ज्यादा कार्यकाल राज्यसभा सदस्य का है और शेष सभी पदों के लिए अधिकतम पांच साल का कार्यकाल है फिर लोकायुक्त व उप लोकायुक्त का कार्यकाल सात साल क्यों किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया कि लोकायुक्त द्वारा मुख्यमंत्री डंपरकांड सहित 2005 से 2012 के बीच कई मंत्रियों को क्लीनचिट दी है और अब सरकार उन्हें एक साल कार्यकाल बढ़ा रही है। सरकार के इस फैसले पर कटारे ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी है जिसमें कहा है कि वे इस निर्णय पर सरकार को स्वीकृति नहीं दें।
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