संघ के पूर्व प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड की जांच कर रही एनआईए के अगले सप्ताह चार्जशीट पेश करने के पहले हुए खुलासे को जोशी के परिजन हास्यास्पद कह रहे हैं। उनका कहना है कि इस हत्याकांड के पीछे के सच को छिपाने के लिए एनआईए ऐसी कहानी रच रही है।
सोमवार को समाचार-पत्रों में छपी खबरों के बाद से परिजन काफी निराश हैं। नाम ना छापने के अनुरोध पर एक परिजन ने बताया कि एनआईए अब दबाव में काम कर रही है। वह इस हत्याकांड के पीछे के सच को छुपाने के प्रयास में मामले को नया मोड़ देने के प्रयास में है। पहले भी जब ऐसी बात सामने आई थी, तब प्रज्ञा सिंह ने खुद सामने आकर ऐसी बात से इंकार किया था। अब फिर से इस बात को छेड़कर आखिर एनआईए क्या साबित करना चाहती है। उन्होंने बताया कि वे इस बारे में एनआईए अधिकारियों से चर्चा करेंगे।
जोशी को गुरुभाई मानती थी प्रज्ञा
परिजन के मुताबिक, प्रज्ञा का कई बार देवास और बागली में आना-जाना होता था। वह सुनील जोशी को गुरु भाई मानती थी। फिर ऐसी बातों का क्या मतलब है। अगर आज भी इस बारे में प्रज्ञा से चर्चा की जाए तो खुद ही इस बात को इंकार कर देगी कि सुनील जोशी उन पर गलत निगाह रखता था।
पिता की जगह मिल रही थी, नौकरी लेकिन नहीं की
जोशी के एक चचेरे भाई के मुताबिक, सुनील जोशी के पिता जिला शिक्षा अधिकारी थे। उनकी मां भी एक निजी स्कूल में प्रिंसिपल थीं। उसे 12 भाषाओं का ज्ञान था। पिता की मौत के बाद उसे अनुकंपा नियुक्ति मिल रही थी, लेकिन उन्होंने नौकरी नहीं की। 1991 से ही वह घर से बाहर थे और स्वयं सेवक संघ के लिए काम करते थे। -नप्र
सोमवार को समाचार-पत्रों में छपी खबरों के बाद से परिजन काफी निराश हैं। नाम ना छापने के अनुरोध पर एक परिजन ने बताया कि एनआईए अब दबाव में काम कर रही है। वह इस हत्याकांड के पीछे के सच को छुपाने के प्रयास में मामले को नया मोड़ देने के प्रयास में है। पहले भी जब ऐसी बात सामने आई थी, तब प्रज्ञा सिंह ने खुद सामने आकर ऐसी बात से इंकार किया था। अब फिर से इस बात को छेड़कर आखिर एनआईए क्या साबित करना चाहती है। उन्होंने बताया कि वे इस बारे में एनआईए अधिकारियों से चर्चा करेंगे।
जोशी को गुरुभाई मानती थी प्रज्ञा
परिजन के मुताबिक, प्रज्ञा का कई बार देवास और बागली में आना-जाना होता था। वह सुनील जोशी को गुरु भाई मानती थी। फिर ऐसी बातों का क्या मतलब है। अगर आज भी इस बारे में प्रज्ञा से चर्चा की जाए तो खुद ही इस बात को इंकार कर देगी कि सुनील जोशी उन पर गलत निगाह रखता था।
पिता की जगह मिल रही थी, नौकरी लेकिन नहीं की
जोशी के एक चचेरे भाई के मुताबिक, सुनील जोशी के पिता जिला शिक्षा अधिकारी थे। उनकी मां भी एक निजी स्कूल में प्रिंसिपल थीं। उसे 12 भाषाओं का ज्ञान था। पिता की मौत के बाद उसे अनुकंपा नियुक्ति मिल रही थी, लेकिन उन्होंने नौकरी नहीं की। 1991 से ही वह घर से बाहर थे और स्वयं सेवक संघ के लिए काम करते थे। -नप्र
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