Tuesday, 19 August 2014

Trash box of cities streets may remove

शहरों की सड़कों से कचरा पेटियां हटाने के लिए सरकार जल्द ही नई योजना 'जीरो गारबेज सिटी" ला रही है। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा तैयार पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसकी शुरुआत कटनी से होगी। इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों ने भी टेंडर की तैयारी कर ली है। स्थानीय निकायों के लिए कचरा निपटान बड़ी समस्या है। विभागीय सर्वे के मुताबिक 50 फीसद कचरा ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंच ही नहीं पाता था।

इसीलिए मुख्यमंत्री स्वच्छता मिशन अभियान के तहत यह योजना तैयार की गई है। इसमें सभी शहरों के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का पूरा काम पीपीपी मॉडल के तहत होगा। कटनी में अगर पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसे प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में लागू कर दिया जाएगा। विजयराघवगढ़, कैमोर सहित कुछ इलाकों में भी यह प्रयोग होगा।

अब यह होगा:

इसमें घर-घर से कचरा उठाकर उसे ट्रेचिंग ग्राउंड तक ले जाना और वहां पर डिस्पोज (निपटान) करने की जिम्मेदारी कंपनी की ही होगी। जितना कचरा उठेगा, उसके वजन के आध्ाार पर ही पेमेंट होगा। कलेक्शन पाइंट की जरूरत खत्म हो जाएगी तो कॉलोनियों में लगी कचरा पेटियां भी हट जाएंगी।

अभी यह होता है:

अभी नगर निगम के सफाई कामगार या फिर ऑफ निगम किसी को ठेका देकर घर-घर से कचरा उठवाकर कलेक्शन पाइंट (कचरा पेटी) तक लाकर रखती थी। कंपनी की जिम्मेदारी इस कलेक्शन पाइंट से कचरा उठाकर डिस्पोज करना है। इसमें सामने आया है कि 50 फीसद कचरा घरों से कचरा नहीं उठता है।

प्रदेशभर में बनेंगे 23 क्लस्टर

- इंदौर, भोपाल, जबलपुर ग्वालियर जैसे बड़े नगर निगमों को मिलेगी आसपास के छोटे नगरीय निकायों के कचरा निपटान की जिम्मेदारी

- चुनी गई कंपनी को तीन साल के लिए मिलेगा प्रोजेक्ट

- जबलपुर में 9 मेगावाट बिजली बनाने की तैयारी

- ग्वालियर में 11 महीने से सड़कों पर ही पड़ा है कचरा

- भोपाल में कुछ वार्ड में एनजीओ, तो बाकी जगह निगम उठा रहा है कचरा

कहां से कितना निकलता है कचरा

शहर कचरा (मैट्रिक टन रोजाना)

इंदौर 1000

भोपाल 650-700,

जबलपुर 400-450

ग्वालियर 300-350

(नगर निगमों से मिली जानकारी के अनुसार)

अभी पूरे प्रदेश में ही ठप है व्यवस्था

इंदौर में नगर निगम के साथ सॉलिड वेस्ट का काम कर रही एटूजेड कंपनी से लंबा विवाद चल रहा है। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। वहीं भोपाल में नगर निगम ही किसी तरह व्यवस्था चला रही है। ग्वालियर में 11 महीने से कचरा सड़कों पर ही पड़ा है तो जबलपुर में कचरा डंप हो रहा है।

इंदौर में शुरू नहीं हो पाया था प्रोजेक्ट

योजना को प्रदेशभर में लागू करना इतना आसान भी नहीं होगा। इंदौर में इस योजना को पहले लागू करने की कोशिश की गई थी लेकिन सफाई कामगारों के विरोध्ा के चलते यह सफल नहीं हो पाई थी। इंदौर-भोपाल जैसे नगर निगम में लगभग 5000 सफाई कामगार हैं। उनका मानना है कि इस योजना को लागू होने से उनका काम प्रभावित होगा।

टेंडर की तैयारी

जीरो गारबेज सिटी से अब जगह-जगह कचरा पेटी रखने की जरूरत नहीं होगी। सिर्फ कुछ मार्केट या सार्वजनिक स्थानों पर ही कचरा पेटियां रखना पड़ेगी। जीरो गारबेज सिटी प्रोजेक्ट के लिए टेंडर बुलाने की तैयारी है। जनवरी में ए टू जेड का टेंडर खत्म हो रहा है।

अरशद वारसी, कंसलटेंट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, इंदौर नगर निगम

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