मध्यप्रदेश क्रिकेट एसो. के चुनाव को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश के कद्दावर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बीच लगभग धूमिल हो चुकी संभावना के बीच लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन कोई सम्मानजनक रास्ता निकालने में लगी हुई हैं। उनकी कोशिश चुनाव टालने की है और इसके पीछे उनका मकसद क्रिकेट की बेहतरी का है। वे आश्वस्त हैं कि कोई न कोई हल तो निकलेगा। ऐसा करके ताई एक अलग संदेश भी देना चाहती हैं।
एमपीसीए के चुनाव में अब 14 दिन बाकी हैं। दोनों ग्रुप ने अभी तक चुनाव को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं और इस खामोशी के पीछे की कहानी कुछ और ही समझ आ रही है। पिछले दो चुनाव में सिंधिया और विजयवर्गीय अध्यक्ष पद को लेकर आमने-सामने रहे हैं। इस बार इस चुनाव लेकर दो महीने से अलग-अलग तरह की अटकले हैं। चूंकि सिंधिया को इस बार अध्यक्ष बनने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत है इसलिए एमपीसीए के सदस्यों के बीच चर्चा का विषय यह भी है कि वे इस बार अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे या नहीं। ऐसी स्थिति में वे चेयरमैन पद पर मैदान संभाल सकते हैं। विजयवर्गीय को लेकर भी यह चर्चा सदस्यों के बीच चल रही है कि यदि सिंधिया अध्यक्ष पद पर नहीं लड़े तो फिर वे खुद को चुनाव से अलग भी रख सकते हैं।
पिछले दो चुनावों में जब विजयवर्गीय ने सिंधिया के खिलाफ मोर्चा संभाला था, तब महाजन तथा विजयवर्गीय इंदौर की भाजपा राजनीति में विपरीत ध्रुव माने जाते थे। इधर दलीय राजनीति से हटकर देखें तो महाजन व सिंधिया के बीच अच्छा तालमेल रहा है। सिंधिया को कभी भी ताई की खुलकर तारीफ करने से भी परहेज नहीं रहा है। इसी के चलते एमपीसीए के पिछले दोनों चुनाव में सिंधिया को ताई से जुड़े लोगों से खुलकर मदद मिली।
अब स्थिति कुछ और है। सालभर से ताई और विजयवर्गीय के संबंध ठीक हैं। विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक जो तालमेल इनके बीच देखा गया है वह यह संकेत दे रहा है कि अब स्थिति पहले से बहुत बदल चुकी है। इस बार जब चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई थी तब विजयवर्गीय के कुछ समर्थकों ने यह संकेत दिए थे कि इस बार दोनों के बीच समझौते में ताई अहम भूमिका निभा सकती है।
एमपीसीए में अपने लिए जगह तलाश रहे विजयवर्गीय समर्थकों को उम्मीद है कि यदि सिंधिया ने ताई की बात मान ली तो उन्हें कुछ पद मिल जाएंगे और चुनाव के झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी। ऐसी स्थिति में विजयवर्गीय खुद को चुनाव से दूर भी रख सकते हैं।
12 अगस्त को सिंधिया इंदौर आकर आगर जाएंगे। एमपीसीए के मामले में वे अभी तक संजय जगदाले और महेंद्र सेठिया तक ही सीमित हैं। चुनाव, खुद की उम्मीदवारी और चुनाव होने की स्थिति में पैनल के मामले में अभी तक उन्होंने अपने कोर ग्रुप में कोई चर्चा नहीं की है। चुनाव को लेकर वे सार्वजनिक तौर पर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। इधर विजयवर्गीय भी इस मुद्दे पर खामोश ही हैं। वे बार-बार इतना जरूर कह रहे हैं कि समझौता की संभावना अभी भी है।
एमपीसीए के चुनाव में अब 14 दिन बाकी हैं। दोनों ग्रुप ने अभी तक चुनाव को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं और इस खामोशी के पीछे की कहानी कुछ और ही समझ आ रही है। पिछले दो चुनाव में सिंधिया और विजयवर्गीय अध्यक्ष पद को लेकर आमने-सामने रहे हैं। इस बार इस चुनाव लेकर दो महीने से अलग-अलग तरह की अटकले हैं। चूंकि सिंधिया को इस बार अध्यक्ष बनने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत है इसलिए एमपीसीए के सदस्यों के बीच चर्चा का विषय यह भी है कि वे इस बार अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे या नहीं। ऐसी स्थिति में वे चेयरमैन पद पर मैदान संभाल सकते हैं। विजयवर्गीय को लेकर भी यह चर्चा सदस्यों के बीच चल रही है कि यदि सिंधिया अध्यक्ष पद पर नहीं लड़े तो फिर वे खुद को चुनाव से अलग भी रख सकते हैं।
पिछले दो चुनावों में जब विजयवर्गीय ने सिंधिया के खिलाफ मोर्चा संभाला था, तब महाजन तथा विजयवर्गीय इंदौर की भाजपा राजनीति में विपरीत ध्रुव माने जाते थे। इधर दलीय राजनीति से हटकर देखें तो महाजन व सिंधिया के बीच अच्छा तालमेल रहा है। सिंधिया को कभी भी ताई की खुलकर तारीफ करने से भी परहेज नहीं रहा है। इसी के चलते एमपीसीए के पिछले दोनों चुनाव में सिंधिया को ताई से जुड़े लोगों से खुलकर मदद मिली।
अब स्थिति कुछ और है। सालभर से ताई और विजयवर्गीय के संबंध ठीक हैं। विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक जो तालमेल इनके बीच देखा गया है वह यह संकेत दे रहा है कि अब स्थिति पहले से बहुत बदल चुकी है। इस बार जब चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हुई थी तब विजयवर्गीय के कुछ समर्थकों ने यह संकेत दिए थे कि इस बार दोनों के बीच समझौते में ताई अहम भूमिका निभा सकती है।
एमपीसीए में अपने लिए जगह तलाश रहे विजयवर्गीय समर्थकों को उम्मीद है कि यदि सिंधिया ने ताई की बात मान ली तो उन्हें कुछ पद मिल जाएंगे और चुनाव के झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी। ऐसी स्थिति में विजयवर्गीय खुद को चुनाव से दूर भी रख सकते हैं।
12 अगस्त को सिंधिया इंदौर आकर आगर जाएंगे। एमपीसीए के मामले में वे अभी तक संजय जगदाले और महेंद्र सेठिया तक ही सीमित हैं। चुनाव, खुद की उम्मीदवारी और चुनाव होने की स्थिति में पैनल के मामले में अभी तक उन्होंने अपने कोर ग्रुप में कोई चर्चा नहीं की है। चुनाव को लेकर वे सार्वजनिक तौर पर भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। इधर विजयवर्गीय भी इस मुद्दे पर खामोश ही हैं। वे बार-बार इतना जरूर कह रहे हैं कि समझौता की संभावना अभी भी है।
Source: Chhattisgarh Hindi News & MP Hindi News
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