पांढुर्ना (छिंदवाड़ा)। जाम नदी के किनारे मंगलवार को गोटमार शुरू हो गया। नदी के बीचों बीच गाड़े गए पलक के पेड़ को लेकर दोनों किनारे पर सांवर गांव व पांढुर्ना के सैकड़ों लोग जमा होकर एकदूसरे पर पत्थरबाजी कर रहे हैं। इसमें दोपहर तक करीब 200 लोगों के घायल होने की जानकारी है।
पांढुर्ना के पास जाम नदी में हर साल गोटमार मेला आयोजित होता है। भादों के महीने में बैलों की पूजा की जाती है और उसके अगले दिन गोटमार मेले होता है। इसके लिए प्रशासन भी तैयारियां करता है। जाम नदी के एक किनारे पर सांवर गांव के लोग होते हैं तो दूसरे किनारे पर पांढुर्ना के लोग जमा होते हैं। सांवर गांव के लोग पलक नामक का एक पेड़ लाकर जाम नदी में गाड़ते हैं जिसे पांढुर्ना के लोग ले जाकर चंडी माता के मंदिर में रखते हैं।
इस पेड़ को लेकर सांवर और पांढुर्ना के लोगों के बीच संघर्ष होता है क्योंकि सांवर गांव के लोग पेड़ को नदी में ही रखना चाहते हैं। पांढुर्ना के लोग जब पेड़ को ले जाने के लिए नदी में उतरते हैं तो सांवर गांव के लोग पत्थरबाजी शुरू कर देते हैं। इसके जवाब में पांढुर्ना के लोग भी पत्थरबाजी करते हैं। शाम तक यह क्रम चलता है और फिर पांढुर्ना के लोग उसे ले जाते हैं।
प्रशासन की व्यवस्थाएं
इस मेले को लेकर प्रशासन और पुलिस डॉक्टरों की टीम के साथ वहां मौजूद रहता है। तीन-तीन डॉक्टरों की टीम सांवर-पांढुर्ना के दोनों किनारों की तरफ रहती है। यह गोटमार में घायल हुए ग्रामीणों का इलाज करती है। दोपहर इन टीमों के पास करीब दो लोग घायल हालत में पहुंचे जिनका उपचार किया गया।
पांढुर्ना के पास जाम नदी में हर साल गोटमार मेला आयोजित होता है। भादों के महीने में बैलों की पूजा की जाती है और उसके अगले दिन गोटमार मेले होता है। इसके लिए प्रशासन भी तैयारियां करता है। जाम नदी के एक किनारे पर सांवर गांव के लोग होते हैं तो दूसरे किनारे पर पांढुर्ना के लोग जमा होते हैं। सांवर गांव के लोग पलक नामक का एक पेड़ लाकर जाम नदी में गाड़ते हैं जिसे पांढुर्ना के लोग ले जाकर चंडी माता के मंदिर में रखते हैं।
इस पेड़ को लेकर सांवर और पांढुर्ना के लोगों के बीच संघर्ष होता है क्योंकि सांवर गांव के लोग पेड़ को नदी में ही रखना चाहते हैं। पांढुर्ना के लोग जब पेड़ को ले जाने के लिए नदी में उतरते हैं तो सांवर गांव के लोग पत्थरबाजी शुरू कर देते हैं। इसके जवाब में पांढुर्ना के लोग भी पत्थरबाजी करते हैं। शाम तक यह क्रम चलता है और फिर पांढुर्ना के लोग उसे ले जाते हैं।
प्रशासन की व्यवस्थाएं
इस मेले को लेकर प्रशासन और पुलिस डॉक्टरों की टीम के साथ वहां मौजूद रहता है। तीन-तीन डॉक्टरों की टीम सांवर-पांढुर्ना के दोनों किनारों की तरफ रहती है। यह गोटमार में घायल हुए ग्रामीणों का इलाज करती है। दोपहर इन टीमों के पास करीब दो लोग घायल हालत में पहुंचे जिनका उपचार किया गया।
Source: Chhattisgarh Hindi News & MP Hindi News
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