पिछले ढाई माह से छेड़े गए नक्सल विरोधी अभियान का असर शनैःशनैः सामने आ रहा है। नक्सलियों के निचले स्तर के सदस्यों के आत्मसमपर्ण के बाद अब डिवीजनल व जोनल कमेटी के कुछ नेताओं ने भी हथियार छोड़ने का मन बना लिया है। वह काफी समय से सरेंडर करने के लिए पुलिस के संपर्क में हैं।
सूत्रों के अनुसार संभाग के सभी जिलों में एक साथ आपरेशन तेज होने से बीते 70 दिन के अंदर 67 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा से जु़ डे हैं। वहीं काफी संख्या में नक्सली मुठभे़ ड में भी मारे गए हैं। इससे संगठन का मनोबल गिर रहा है। बताया जाता है कि संगठन में बाहरी लीडरशिप के चलते भी गहरे मतभेद उभरने लगे हैं। इसका नतीजा आगामी दिनों में वर्चस्व की ल़ डाई के रूप में सामने आ सकता है।
खुफिया सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक फोर्स के चौतरफा हमलों से निचले कॉडर के अलावा बड़े नेता भी सकते की हालत में हैं। संभाग के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तर तथा दक्षिण डिवीजनल कमेटी तथा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के कुछ बड़े नेता जल्द ही पुलिस के समक्ष सरेंडर कर सकते हैं।
यह भी खबर है कि पुलिस के उच्चाधिकारियों से नक्सल नेता लगातार संपर्क में हैं। उचित माहौल में वह समपर्ण करने की सहमति भी व्यक्त कर सकते हैं। वहीं कुछ नेताओं ने समपर्ण के लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं। इसमें जमीन प्रदान करने, ब़ डी धनराशि प्रदान करने, मुकदमे वापस लेने आदि की मांग शामिल है। सरकार के स्तर पर इन पर विचार किया जा रहा है।
सेंट्रल कमेटी से मांगी अनुमति
डिवीजनल कमेटियों के प्रवक्ता व सचिव स्तर के कुछ नक्सलियों ने संगठन के शीर्ष नेतृत्व को भी अपने निर्णय से अवगत करा दिया है। बताया जाता है कि उन्होंने सरेंडर करने के लिए बाकायदा सूचना भेजकर अनुमति मांगी है। नक्सल मामलों के जानकार बताते हैं कि एरिया कमेटी के ऊपर के नेता समर्पण करने से पहले केंद्रीय समिति को विश्वास में लेते हैं ताकि उन्हें बाद में नक्सली नुकसान न पहुंचाए। बहरहाल शीर्ष नक्सल नेता समर्पण के लिए अनुमति देते हैं या वे बगावत का रुख अख्तियार करते हैं यह भविष्य की बात है।
इनका कहना है
'कुछ बड़े नक्सल नेता भविष्य में सरेंडर कर सकते हैं पर इसके विषय में विस्तार से कुछ कह पाना संभव नहीं
है।'
-एसआरपी कल्लूरी, आईजी, बस्तर
सूत्रों के अनुसार संभाग के सभी जिलों में एक साथ आपरेशन तेज होने से बीते 70 दिन के अंदर 67 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा से जु़ डे हैं। वहीं काफी संख्या में नक्सली मुठभे़ ड में भी मारे गए हैं। इससे संगठन का मनोबल गिर रहा है। बताया जाता है कि संगठन में बाहरी लीडरशिप के चलते भी गहरे मतभेद उभरने लगे हैं। इसका नतीजा आगामी दिनों में वर्चस्व की ल़ डाई के रूप में सामने आ सकता है।
खुफिया सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक फोर्स के चौतरफा हमलों से निचले कॉडर के अलावा बड़े नेता भी सकते की हालत में हैं। संभाग के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तर तथा दक्षिण डिवीजनल कमेटी तथा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के कुछ बड़े नेता जल्द ही पुलिस के समक्ष सरेंडर कर सकते हैं।
यह भी खबर है कि पुलिस के उच्चाधिकारियों से नक्सल नेता लगातार संपर्क में हैं। उचित माहौल में वह समपर्ण करने की सहमति भी व्यक्त कर सकते हैं। वहीं कुछ नेताओं ने समपर्ण के लिए कुछ शर्तें भी रखी हैं। इसमें जमीन प्रदान करने, ब़ डी धनराशि प्रदान करने, मुकदमे वापस लेने आदि की मांग शामिल है। सरकार के स्तर पर इन पर विचार किया जा रहा है।
सेंट्रल कमेटी से मांगी अनुमति
डिवीजनल कमेटियों के प्रवक्ता व सचिव स्तर के कुछ नक्सलियों ने संगठन के शीर्ष नेतृत्व को भी अपने निर्णय से अवगत करा दिया है। बताया जाता है कि उन्होंने सरेंडर करने के लिए बाकायदा सूचना भेजकर अनुमति मांगी है। नक्सल मामलों के जानकार बताते हैं कि एरिया कमेटी के ऊपर के नेता समर्पण करने से पहले केंद्रीय समिति को विश्वास में लेते हैं ताकि उन्हें बाद में नक्सली नुकसान न पहुंचाए। बहरहाल शीर्ष नक्सल नेता समर्पण के लिए अनुमति देते हैं या वे बगावत का रुख अख्तियार करते हैं यह भविष्य की बात है।
इनका कहना है
'कुछ बड़े नक्सल नेता भविष्य में सरेंडर कर सकते हैं पर इसके विषय में विस्तार से कुछ कह पाना संभव नहीं
है।'
-एसआरपी कल्लूरी, आईजी, बस्तर
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